रांचीः नेता प्रतिपक्ष मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए दो बिंदु तय किए हैं. जिस पर 16 मई को मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र की बेंच में दोनों पक्षों की ओर से बहस होगी.
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हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा सूचना आयुक्त समेत अन्य बोर्ड निगम में नियुक्ति को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट ने दो बिंदु निर्धारित किए हैं. झारखंड विधानसभा की ओर से अदालत में पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनील कुमार ने बताया कि अगली सुनवाई में पहला बिंदू न्यायालय के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को नेता प्रतिपक्ष पर निर्णय लेने का निर्देश दे सकता है या नहीं और दूसरा बिंदु यह है कि सर्वाधिक संख्या वाले किसी भी विरोधी दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है या नहीं. इन दोनों बिंदुओं पर 16 मई को दोनों पक्षों की ओर से अदालत में बहस होगी.
बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से अदालत के समक्ष पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने न्यायालय में कहा कि बीजेपी अगर किसी भी विधायक को नेता चुनकर नेता प्रतिपक्ष का नाम विधानसभाध्यक्ष को भेजते हैं तो उनको अधिकार नहीं है कि वो इसे नहीं मानेंगे. ये बीजेपी को अधिकार है और कानून सम्मत है. इसलिए बीजेपी से बाबूलाल मरांडी के बजाय किसी अन्य नेता का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए स्पीकर द्वारा मांगा जाना कहीं से भी उचित नहीं है.
विधानसभा के प्रभारी सचिव हाई कोर्ट में हुए हाजिरः न्यायालय के आदेश पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान झारखंड विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर हाई कोर्ट पहुंचे. सुनवाई के दौरान कोर्ट में वो उपस्थित रहे. अगली सुनवाई यानी 16 मई को न्यायालय के आदेश पर विधानसभा के प्रभारी सचिव को हाजिर होने से छूट दी गई है. नेता प्रतिपक्ष के मामले में झारखंड विधानसभा के द्वारा न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र दाखिल कर जवाब भी दिया गया है.
विधानसभा की ओर से हाई कोर्ट में पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनिल कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि शपथ पत्र के माध्यम से 18 मई को दल बदल के एक अन्य मामले की स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई होने का जिक्र करते हुए समय की मांग की गई है. साथ ही स्पीकर न्यायाधिकरण के द्वारा नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर अब तक हुई सुनवाई और कार्रवाई से न्यायालय को अवगत कराया गया है.
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