रांची: पुलिस के जवान शूटिंग रेंज में अक्सर निशानेबाजी का अभ्यास करते रहते हैं, लेकिन जब ये जवान दिल की बंद धड़कनों को दोबारा शुरू करने की तकनीक सीखें तो निश्चित ही इनका लक्ष्य काफी बड़ा होगा. झारखंड में अब पुलिस के जवान भी एक्सपर्ट से दिलों की बंद हो चुकी धड़कन (Heart Beat) को दोबारा शुरू करने की तकनीक सीपीआर (CPR-Cardio Pulmonary Resuscitation) सीख रहे हैं.
शुक्रवार को रांची के JAP-1 ग्राउंड में झारखंड हृदय समागम कॉन्फ्रेंस के पहले दिन IRB, JAP और रांची पुलिस के जवानों ने कोलकाता से आए एक्सपर्ट से CPR की तकनीक सीखी और कहा कि इसका लाभ अभियान के समय अपने घायल हुए सहयोगियों की जान बचाने में मिलेगा.
03 मिनट में हो जाती है ब्रेन डेथ: कोलकाता से आये सीपीआर विशेषज्ञ मो. मुस्ताक कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति का हर्ट बीट यानि दिल की धड़कन रुक जाए और उसे मेडिकल इमरजेंसी उपलब्ध न हो तो सिर्फ 03 मिनट में उस व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में जब तक मेडिकल इमरजेंसी पहुंचे उससे पहले की जीवन रक्षक प्रक्रिया CPR है. इसे अगर सही तरीके से किया जाए तो 90% से अधिक मामले में दोबारा हृदय गति यानि दिल की धड़कन को शुरू किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि न सिर्फ पुलिसकर्मियों को बल्कि कॉलेज-उच्च विद्यालय के किशोर, छात्र-छात्राओं को भी सीपीआर की जानकारी देनी चाहिए ताकि समाज में जहां जरूरत हो, वहीं वैसे लोग मिल जाएं जो सही तरीके से CPR देकर व्यक्ति की जान बचा सकें.
हर 30 बार छाती पर दवाब के बाद दो बार दी जाती है कृत्रिम सांस: सीपीआर एक्सपर्ट ने पुलिस के जवानों को डमी मॉडल पर सीपीआर देने के सही तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रति मिनट 100 बार छाती पर एक खास स्थान पर 1-2 इंच का दबाव बनने जितना प्रेशर देकर दबाना होता है. हर 30 दवाब के बाद बीमार व्यक्ति को कैसे माउथ टू माउथ दो बार कृत्रिम सांस देना है, इसकी भी जानकारी दी गयी.
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