रांचीः राजधानी रांची के लाखों लोगों की जान बचाने वाले सेवा सदन अस्पताल को रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) ने पिछले दिनों बिल्डिंग बायलॉज उल्लंघन के आरोप में तोड़ने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में याचिका दायर की गई, जिसपर गुरुवार को सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद रांची नगर निगम के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. अदालत ने नगर निगम को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को अपील करने का पूरा समय दिया जाए, तब तक के लिए किसी भी प्रकार की कोई तोड़फोड़ नहीं करना है.
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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में रांची नगर निगम की ओर से सेवा सदन को तोड़ने के आदेश पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत में सुनवाई के दौरान सेवा सदन की ओर से जानकारी दी गई कि नगर निगम ने तोड़ने का नोटिस दिया, जो सही नहीं है.
नहीं सुना गया सेवा सदन का पक्ष
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि हमें अपना पक्ष रखने के लिए समय नहीं मिला. अपील करने के लिए जो उपयुक्त फोरम है, वह कार्य नहीं कर रहा है. इसलिए मुझे अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए. अदालत में यह भी बताया गया कि बिना मेरे पक्ष सुने सेवा सदन को तोड़ना ठीक नहीं है. इसपर अदालत ने रांची नगर निगम के आदेश पर तत्काल रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को अपील के लिए उचित समय देने का निर्देश दिया है.
अपील के लिए 30 दिनों का समय
बता दें कि अतिक्रमण हटाने के क्रम में रांची नगर निगम ने सेवा सदन को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था. इस नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसपर सुनवाई के दौरान सेवा सदन की ओर से अदालत में बताया गया कि नगर आयुक्त के न्यायालय में मेरा पक्ष नहीं सुना गया. बिना मेरे पक्ष सुने पुराना अस्पताल को तोड़ना ठीक नहीं है. इसपर अदालत ने याचिकाकर्ता को अपील के लिए 30 दिनों का समय दिया है.