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सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए इंस्ट्रक्टर होंगे बहाल, हाईकोर्ट का आदेश- 6 माह में पूरी करें नियुक्ति प्रक्रिया

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Published : May 18, 2023, 5:21 PM IST

झारखंड के सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए जल्द इंस्ट्रक्टर बहाल किए जाएंगे. हाईकोर्ट ने सरकार को 6 महीने में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है.

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रांची: दिव्यांगजनों के लिए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, हॉस्पिटल, मॉल समेत सभी महत्वपूर्ण सार्वजनिक जगहों पर पोर्टेबल रैंप समेत ब्रेल लिपि की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. लेकिन दुर्भाग्य है कि झारखंड के दिव्यांग बच्चों को सरकारी स्कूलों में किसी तरह की विशेष सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे जुड़ी छाया मंडल की जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने सुनवाई की. राज्य सरकार के जवाब के बाद कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया.

ये भी पढ़ें- हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016: सात वर्षों में सात बार उलझी नियुक्ति प्रक्रिया, आखिर शुक्रवार को मिलेगा अपॉइंटमेंट लेटर

स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से शपथ पत्र के जरिए हाईकोर्ट को बताया गया कि दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति को लेकर नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है. लिहाजा, स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति जल्द की जाएगी. इसपर हाईकोर्ट ने छह माह के भीतर स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया.

याचिकाकर्ता छाया मंडल की तरफ से अधिवक्ता अभय प्रकाश ने पक्ष रखते हुए बताया कि प्रार्थी रांची के सरकारी स्कूल में अपने दिव्यांग बच्चे का एडमिशन कराना चाहती थीं. उन्हें इसके लिए बार-बार दौड़ाया गया लेकिन एडमिशन नहीं हुआ. बाद में उन्हें पता चला कि सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं. जबकि राइट टू डिसेबिलिटी एक्ट 2016 और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत दिव्यांग बच्चों को पढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए. इसके लिए स्पेशल इंस्ट्रक्टर का होना जरूरी है. याचिका के जरिए हाईकोर्ट को बताया गया कि राज्य में करीब 5 लाख दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए एनजीओ को राज्य सरकार 30 से 40 लाख रुपए देती है. फिर भी उनके बच्चे को स्कूल में इसलिए दाखिला नहीं मिल रहा है कि वहां स्पेशल इंस्ट्रक्टर ही नहीं है. ऐसे में दिव्यांग बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें- नमाज कक्ष विवाद: 20 माह बाद भी विधायकों की कमेटी नहीं तैयार कर पाई रिपोर्ट, हाईकोर्ट ने तय की सुनवाई की अगली तारीख, क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि इसी साल फरवरी में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने पत्र जारी कर इस बात पर आपत्ति जतायी थी कि प्रखंड स्तर पर शिक्षक/थेरेपिस्ट दिव्यांग बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के सरकारी स्कूलों में एक लाख से ज्यादा दिव्यांग बच्चे हैं. लेकिन 750 की तुलना में 333 रिसोर्स शिक्षक ही पदस्थापित हैं. दुर्भाग्य से शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद से यह मंत्रालय किसी को अलॉट नहीं किया गया है.

रांची: दिव्यांगजनों के लिए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, हॉस्पिटल, मॉल समेत सभी महत्वपूर्ण सार्वजनिक जगहों पर पोर्टेबल रैंप समेत ब्रेल लिपि की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. लेकिन दुर्भाग्य है कि झारखंड के दिव्यांग बच्चों को सरकारी स्कूलों में किसी तरह की विशेष सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे जुड़ी छाया मंडल की जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने सुनवाई की. राज्य सरकार के जवाब के बाद कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया.

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स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से शपथ पत्र के जरिए हाईकोर्ट को बताया गया कि दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति को लेकर नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है. लिहाजा, स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति जल्द की जाएगी. इसपर हाईकोर्ट ने छह माह के भीतर स्पेशल इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया.

याचिकाकर्ता छाया मंडल की तरफ से अधिवक्ता अभय प्रकाश ने पक्ष रखते हुए बताया कि प्रार्थी रांची के सरकारी स्कूल में अपने दिव्यांग बच्चे का एडमिशन कराना चाहती थीं. उन्हें इसके लिए बार-बार दौड़ाया गया लेकिन एडमिशन नहीं हुआ. बाद में उन्हें पता चला कि सरकारी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं. जबकि राइट टू डिसेबिलिटी एक्ट 2016 और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत दिव्यांग बच्चों को पढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए. इसके लिए स्पेशल इंस्ट्रक्टर का होना जरूरी है. याचिका के जरिए हाईकोर्ट को बताया गया कि राज्य में करीब 5 लाख दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए एनजीओ को राज्य सरकार 30 से 40 लाख रुपए देती है. फिर भी उनके बच्चे को स्कूल में इसलिए दाखिला नहीं मिल रहा है कि वहां स्पेशल इंस्ट्रक्टर ही नहीं है. ऐसे में दिव्यांग बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जाएंगे.

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आपको बता दें कि इसी साल फरवरी में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने पत्र जारी कर इस बात पर आपत्ति जतायी थी कि प्रखंड स्तर पर शिक्षक/थेरेपिस्ट दिव्यांग बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के सरकारी स्कूलों में एक लाख से ज्यादा दिव्यांग बच्चे हैं. लेकिन 750 की तुलना में 333 रिसोर्स शिक्षक ही पदस्थापित हैं. दुर्भाग्य से शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद से यह मंत्रालय किसी को अलॉट नहीं किया गया है.

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