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बाघों की घटती संख्या पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त, कहा- वन अधिकारी को क्यों दिया जाता है वेतन ? - tiger in jharkhand

झारखंड हाई कोर्ट में घटती बाघों की संख्या के मामले में सुनवाई की. सुनवाई को दौरान आधे-अधूरे शपथ पत्र प्रस्तुत किए गए. इसपर अदालन ने अधिकारियों को फटकार लगाई हैं.

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बाघों की घटती संख्या पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त
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Published : Dec 18, 2021, 9:54 AM IST

रांचीः झारखंड में बाघों की घटती संख्या के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वन सचिव और पीसीसीएफ को विस्तृत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. अदलत ने शपथ पत्र के जरिये बताने के लिए कहा है कि झारखंड में वर्तमान में कितने बाघ हैं, बाघ को कब देखा गया और कितने नर और कितने मादा बाघ हैं. इसके साथ ही बाघ के परिवार की बढ़ोतरी हो रही है या नहीं, बाघों की संख्या बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार क्या कर रही है और बाघ की ट्रैकिंग के लिए क्या तकनीक है. इस सभी बिंदुओं पर 21 जनवरी से पहले जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ेंःझारखंड वन विभाग के सचिव हाई कोर्ट में तलबः रांची-पटना एनएच मामले में सरकार के जवाब से कोर्ट नाखुश

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश किया गया. अदालत ने सरकार के जवाब को देखते हुए काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि वर्ष 2018 में 5 बाघ देखे गए थे तो अभी कितने बाघ हैं. इसकी कोई जानकारी नहीं है. आधे-अधूरे शपथ पत्र पर अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाई और मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी वेतन लेते हैं और सो जाते हैं. क्या अधिकारियों को सोने के लिए वेतन दिया जाता है. इन अधिकारियों को नींद कैसे आती है.

जानकारी देते अधिवक्ता

वन्य जीव की संरक्षण को लेकर दायर की गई पीआईएल

बता दें कि वन्य जीव की संरक्षण को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से कहा गया है कि राज्य के जंगलों से जंगली जानवर दिन प्रतिदिन घटते जा रहे हैं. आए दिन उनकी मौत हो रही है. उसके बचाव में सरकार कुछ नहीं कर रही है. इस याचिका को अदालत ने गंभीरता से ली और सुनवाई कर रही है.

रांचीः झारखंड में बाघों की घटती संख्या के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वन सचिव और पीसीसीएफ को विस्तृत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. अदलत ने शपथ पत्र के जरिये बताने के लिए कहा है कि झारखंड में वर्तमान में कितने बाघ हैं, बाघ को कब देखा गया और कितने नर और कितने मादा बाघ हैं. इसके साथ ही बाघ के परिवार की बढ़ोतरी हो रही है या नहीं, बाघों की संख्या बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार क्या कर रही है और बाघ की ट्रैकिंग के लिए क्या तकनीक है. इस सभी बिंदुओं पर 21 जनवरी से पहले जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश किया गया. अदालत ने सरकार के जवाब को देखते हुए काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि वर्ष 2018 में 5 बाघ देखे गए थे तो अभी कितने बाघ हैं. इसकी कोई जानकारी नहीं है. आधे-अधूरे शपथ पत्र पर अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाई और मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी वेतन लेते हैं और सो जाते हैं. क्या अधिकारियों को सोने के लिए वेतन दिया जाता है. इन अधिकारियों को नींद कैसे आती है.

जानकारी देते अधिवक्ता

वन्य जीव की संरक्षण को लेकर दायर की गई पीआईएल

बता दें कि वन्य जीव की संरक्षण को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से कहा गया है कि राज्य के जंगलों से जंगली जानवर दिन प्रतिदिन घटते जा रहे हैं. आए दिन उनकी मौत हो रही है. उसके बचाव में सरकार कुछ नहीं कर रही है. इस याचिका को अदालत ने गंभीरता से ली और सुनवाई कर रही है.

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