रांची: 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को अब तक न्याय के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है. दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और आपराधिक मामलों की मॉनटरिंग के लिए सतनाम सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ में सुनवाई हुई.
कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जतायी कि मुआवजा भुगतान के लिए जारी 15 सितंबर के आदेश के आलोक में राज्य सरकार की ओर से अबतक स्टेट्स रिपोर्ट क्यों नहीं दाखिल हुआ. कोर्ट ने पूछा कि जिला स्तर पर दंगा पीड़ितों को कितना मुआवजा का भुगतान हुआ है. सुनवाई के दौरान बोकारो जिला से जुड़ा मामला प्रमुखता से उठा.
कोर्ट ने पूछा कि कैबिनेट की स्वीकृति के बाद इस जिला के लिए मुआवजा भुगतान मद में कंटींजेंसी फंड से 1 करोड़ 20 लाख रुपए मुहैया कराना था. फिर भी बोकारो जिला को राशि निर्गत क्यों नहीं हुई. यही नहीं सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीपी सिंह की अध्यक्षता में मुआवजे को लेकर बनी कमीशन की रिपोर्ट की कॉपी भी क्यों मुहैया नहीं कराई गयी.
दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की अदालत ने सुनवाई की अलगी तारीख 12 दिसंबर तय की है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि बोकारो में मुआवजा भुगतान के लिए फंड मिलते ही भुगतान की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी. इसी के बाद कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी थी. साथ ही सरकार की ओर से बताया गया था कि रांची, रामगढ़ और पलामू में दंगा पीड़ितों के लिए मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है.
प्रार्थी के अधिवक्ता दीवाकर उपाध्याय ने इस बात पर सवाल उठाया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित कमीशन ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी है. कमीशन ने चार जिलों के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था. लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं हुआ. आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सुरक्षा गार्ड्स ने ही कर दी थी. इसके बाद पूरे देश में दंगा भड़क गया था. झारखंड में इसका सबसे ज्यादा असर रामगढ़, रांची, बोकारो और पलामू में पड़ा था.
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