रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में राज्य के सभी जिला के सिविल कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत के आदेश के आलोक में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के भवन निर्माण सचिव कोर्ट में उपस्थित हुए. अदालत ने अधिकारी से पूछा कि जब उनके कनीय अधिकारी के खिलाफ शिकायत होती है तो वह तुरंत एक्शन क्यों नहीं लेते हैं सचिव के द्वारा सकारात्मक जवाब पेश नहीं किए जाने पर अदालत ने भवन निर्माण सचिव को फटकार लगाई.
ये भी पढ़ेंः अभियंताओं की कार्यप्रणाली पर झारखंड हाई कोर्ट नाराज, 3 साल से एक जगह पर जमे अधिकारियों की मांगी सूची
अदालत ने मौखिक पूछा कि जब प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज, घाटशिला ने एक जूनियर इंजीनियर के खिलाफ कंप्लेन किया था तो उसके खिलाफ तुरंत एक्शन क्यों नहीं लिया गया. उनका ट्रांसफर तुरंत क्यों नहीं किया गया. इस पर भवन निर्माण सचिव की ओर से बताया गया कि उसे बीते दिनों ट्रांसफर कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट इस विषय पर सख्त हुई है तब आनन-फानन में कार्रवाई की गई है.
4 माह पहले उस जूनियर इंजीनियर के खिलाफ शिकायत की गई थी लेकिन एक्शन लेने में इतना समय क्यों लगाया गया. इस पर कोर्ट को बताया गया की ट्रांसफर करने से मैन पावर की कमी होती है. जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ट्रांसफर के बाद नए लोग आते हैं ऐसे में मैन पावर की कमी कैसे हो सकती है? भवन निर्माण विभाग में 3 साल से अधिक समय से अभियंता एक जगह पर जमे हैं, उनका ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने मौखिक कहा कि प्रतीत होता है कि जूनियर इंजीनियर बादशाह बन बैठे हैं, वे डिस्ट्रिक्ट जज की नहीं सुनते हैं. कोर्ट ने गिरिडीह सिविल कोर्ट के भवन के बारे में भी पूछा. साथ ही कहा कि गिरिडीह के भी एक अभियंता ने सटीक जवाब नहीं दिया था उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई.
अदालतों और न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में 1900 जवान पदस्थापितः कोर्ट को बताया गया था कि अदालतों और न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में 1900 जवान पदस्थापित हैं. अदालतों की सुरक्षा के लिए सेना से रिटायर सैनिकों की सेवा के साथ-साथ जैप के जवानों के पदस्थापन पर विचार किया जा रहा है. इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है. रांची सिविल कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. अदालतों के बाउंड्री वाल सहित सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है.