रांचीः झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत ने राज्य में स्वीकृत पदों पर आउटसोर्स आधारित नियुक्ति करने पर अगले आदेश तक रोक (High Court banned appointments from outsourcing) लगा दी है. अदालत ने सरकार को इस आदेश को सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. साथ ही सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. इस आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश अदालत ने दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.
याचिकाकर्ता लक्ष्मीकांत गुइन ने याचिका दायर की है, उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान कई मामलों में यह सामने आया है कि सरकार स्वीकृत पदों के खिलाफ लगातार आउटसोर्स पर नियुक्ति (outsourcing appointment in Jharkhand) कर रही है. प्रथम दृष्टया ऐसी नियुक्तियां अवैध हैं. स्वीकृत रिक्त पदों पर जिनकी नियुक्ति की जा रही (Outsource based appointment on sanctioned posts) है उनकी नियोक्ता सरकार नहीं रहती है. किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर सरकार ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती. क्योंकि दोनों के बीच नियोक्ता और कर्मचारी का संबंध नहीं होता. ऐसे कर्मचारियों पर किसी प्रकार का नियंत्रण भी नहीं रहता. ऐसे में स्वीकृत पदों पर आउटसोर्स से नियुक्ति को वैध नहीं माना जा सकता.
अदालत ने इस मामले में सहयोग करने के लिए अधिवक्ता मनोज टंडन, इंद्रजीत सिन्हा और सुमीत गाड़ोदिया को एमेकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया. याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर विभिन्न सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों पर आउटसोर्स से नियुक्ति किये जाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि इस पद पर स्थायी नियुक्ति की जानी चाहिए. इस पर अदालत ने कहा कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कई याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं.