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Jharkhand Government Recruitment Rules 2021: हाई कोर्ट ने पूछा हिंदी को हटाने की जरूरत क्यों पड़ी, 22 दिसंबर को अगली सुनवाई - Jharkhand high court on new employment policy

झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 का विवाद कोर्ट तक पहुंच गया है. Jharkhand Government Recruitment Rules 2021 को याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी की और पूछा कि हिंदी हटाने की जरूरत क्यों पड़ी. हाई कोर्ट ने नई नियोजन नीति बनाने से संबंधित बैठक के सभी दस्तावेज मांगे है.

Jharkhand Government Recruitment Rules 2021
हाई कोर्ट ने पूछा हिंदी को हटाने की जरूरत क्यों पड़ी
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Published : Dec 1, 2021, 5:20 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 8:08 PM IST

रांची: झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 को हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा से हिंदी को हटाने और झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने वाले छात्रों को परीक्षा की अनुमति के बिंदुओं पर अदालत ने दलीलें सुनीं. हाई कोर्ट ने इस मामले पर सरकार से जवाब-तलब किया है. हाई कोर्टने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर ऐसी क्या आवश्यकता हुई कि इस तरह की नीति लाने की जरूरत पड़ी. हाई कोर्ट ने ये भी पूछा है कि किस परिस्थिति में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं पास अभ्यर्थियों को ही परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई है.

ये भी पढ़ें-लोकसभा में उठी समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई.मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 और पुरानी नियुक्ति नियमावली में किए गए संशोधन कानून की नजर में गलत हैं. इसे असंवैधानिक होने की वजह से रद्द कर देना चाहिए. इस पर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नई नियोजन नीति बनाने से संबंधित बैठक के रिकॉर्ड मूल दस्तावेज के साथ मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

देखें पूरी खबर

झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 के इन नियमों पर आपत्ति

याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं पास करने वाले अभ्यर्थियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई है. इस नियुक्ति नियमावली में कहा गया है कि झारखंड के ऐसे निवासी जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है, सिर्फ उन पर ही यह नियम लागू होगा. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें यहां आरक्षण का लाभ दिया जाता है, उनके लिए यह नियम शिथिल रहेगा.

झारखंड हाई कोर्ट ने आश्वस्त किया

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है. सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है. लेकिन इस संशोधित नियमावली में हिंदी को ही हटा दिया गया. इसके साथ ही उर्दू जो कि एक खास वर्ग की भाषा है, उसे जोड़ दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है. इसलिए यह नियम असंवैधानिक है, इसे निरस्त कर दिया जाए. संशोधित नियमावली के तहत नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है इसीलिए इस पर रोक लगाई जाए. झारखंड हाई कोर्ट ने अधिवक्ता को आश्वस्त करते हुए कहा कि अगर इस बीच किसी प्रकार का कोई विज्ञापन निकाला जाता है तो हाई कोर्ट के आदेश से वह प्रभावित होगा.

इन्होंने दायर की है याचिका

याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने कर्मचारी चयन आयोग की ओर से ली जाने वाली परीक्षाओं के लिए बनाए गए विशेष नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई नियुक्ति नियमावली में कई खामियां हैं इसलिए से रद्द कर दिया जाए.

रांची: झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 को हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा से हिंदी को हटाने और झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने वाले छात्रों को परीक्षा की अनुमति के बिंदुओं पर अदालत ने दलीलें सुनीं. हाई कोर्ट ने इस मामले पर सरकार से जवाब-तलब किया है. हाई कोर्टने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर ऐसी क्या आवश्यकता हुई कि इस तरह की नीति लाने की जरूरत पड़ी. हाई कोर्ट ने ये भी पूछा है कि किस परिस्थिति में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं पास अभ्यर्थियों को ही परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई है.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई.मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 और पुरानी नियुक्ति नियमावली में किए गए संशोधन कानून की नजर में गलत हैं. इसे असंवैधानिक होने की वजह से रद्द कर देना चाहिए. इस पर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नई नियोजन नीति बनाने से संबंधित बैठक के रिकॉर्ड मूल दस्तावेज के साथ मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

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झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 के इन नियमों पर आपत्ति

याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली 2021 में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं पास करने वाले अभ्यर्थियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई है. इस नियुक्ति नियमावली में कहा गया है कि झारखंड के ऐसे निवासी जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है, सिर्फ उन पर ही यह नियम लागू होगा. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें यहां आरक्षण का लाभ दिया जाता है, उनके लिए यह नियम शिथिल रहेगा.

झारखंड हाई कोर्ट ने आश्वस्त किया

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है. सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है. लेकिन इस संशोधित नियमावली में हिंदी को ही हटा दिया गया. इसके साथ ही उर्दू जो कि एक खास वर्ग की भाषा है, उसे जोड़ दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है. इसलिए यह नियम असंवैधानिक है, इसे निरस्त कर दिया जाए. संशोधित नियमावली के तहत नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है इसीलिए इस पर रोक लगाई जाए. झारखंड हाई कोर्ट ने अधिवक्ता को आश्वस्त करते हुए कहा कि अगर इस बीच किसी प्रकार का कोई विज्ञापन निकाला जाता है तो हाई कोर्ट के आदेश से वह प्रभावित होगा.

इन्होंने दायर की है याचिका

याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने कर्मचारी चयन आयोग की ओर से ली जाने वाली परीक्षाओं के लिए बनाए गए विशेष नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई नियुक्ति नियमावली में कई खामियां हैं इसलिए से रद्द कर दिया जाए.

Last Updated : Dec 1, 2021, 8:08 PM IST
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