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झारखंड सरकार ने किया साफ, अब प्रवासी मजदूरों से नहीं लिए जाएंगे टिकट के पैसे

लॉकडाउन में फंसे मजदूरों से भाड़ा वसूले के विवादों को लेकर झारखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है. झारखंड सरकार ने कहा कि अब प्रवासी मजदूरों का वापस लौटने पर पैसा नहीं लिया जाएगा.

Jharkhand government
झारखंड मंत्रालय
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Published : May 7, 2020, 12:48 PM IST

रांची: कोरोना लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों ने भाड़ा लिए जाने वाले विवादों के बीच बुधवार को राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब जो प्रवासी मजदूर झारखंड लौटेंगे उनको अपनी जेब से पैसे नहीं खर्च करने होंगे. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने कहा के 29 अप्रैल के बाद स्थितियों में परिवर्तन आया है. उसी के मद्देनजर थोड़ी कन्फ्यूजन की स्थिति हो गई थी. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने पैसा खुद दिया है जबकि कुछ राज्यों में मजदूरों से पैसा लिया गया है. यह एक पॉलिसी का मामला है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अब या तो प्रवासी मजदूरों के लौटने का भाड़ा डिस्पैचिंग स्टेट देगा या फिर झारखंड सरकार देगी. उन्होंने कहा कि इस बाबत मुख्य सचिव ने भी निर्देश दिया है.

देखें पूरी खबर
मजदूरों के लौटने में तीन स्तर पर लेनी होगी सहमति

उन्होंने कहा कि किसी भी मजदूर को वापस लौटने के लिए तीन स्तर पर सहमति मिलनी आवश्यक है. पहला तो जहां वह रह रहा है, वहां से उसे इजाजत लेनी होगी. दूसरा वहां की राज्य सरकार इजाजत दे और तीसरा झारखंड सरकार मजदूरों के लौटने पर अपनी इजाजत दे. उन्होंने कहा कि अगर इन तीन स्तरों में से किसी एक पर भी संशय होता है तो मजदूर झारखंड वापस नहीं लौट पाएंगे.

नोडल ऑफिसरों के नंबरों की बजाए कॉल सेंटर पर करें फोन

उन्होंने कहा कि दरअसल कोविड-19 को लेकर किए जा रहे प्रयासों के कोआर्डिनेशन के लिए बनी स्टेट नोडल ऑफिसर के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम कॉल सेंटर नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके फोन नंबरों पर दूसरे राज्यों से लोग फोन कर रहे हैं. जबकि सरकार ने उनके नंबर सर्कुलेट नहीं किए हैं. उन्होंने कहा कि दरअसल अलग से कॉल सेंटर बनाया गया है, जहां से अलग-अलग अधिकारी अपने अपने राज्यों को कोऑर्डिनेट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह आपदा का समय है ऐसे में इस तरह का कन्फ्यूजन होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं.

कोविड -19 के मद्देनजर अबतक अलॉट किये गए 57.83 करोड़

कौशल ने बताया कि अब तक कोविड-19 के मद्देनजर 57.83 करोड़ो रुपए अलॉट किए गए हैं. उसमें दाल भात केंद्र के मद्देनजर 7.48 करोड़ तीन अलग-अलग किस्तों में रिलीज किए गए. जबकि पुलिस डिपार्टमेंट, हेल्थ डिपार्टमेंट और पीआरडी समेत अन्य विभागों को भी अलग-अलग पैसे दिए गए. उन्होंने कहा कि epassjharkhand.nic.in में अब लोग रजिस्ट्रेशन करा कर अंतर जिला और अंतर राज्य मूवमेंट के लिए पास हासिल कर सकते हैं.

12 ट्रेनों से लौटे 10054 लोग

वहीं, प्रवासी मजदूरों के मूवमेंट के लिए बनाए गए परिवहन विभाग के नोडल ऑफिसर के रवि कुमार ने कहा कि कि 6 राज्यों से मजदूरों को वापस लाने के लिए बात की गई है. उन्होंने कहा कि मजदूरों को लाने के लिए ट्रेनों का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है क्योंकि इससे लॉ एंड ऑर्डर प्रॉब्लम हो सकती है. उन्होंने कहा कि दरअसल जहां से मजदूर आएंगे वह राज्य तय करता है कि ट्रेन कब और कितने लोगों को लेकर जाएगी. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के हिसाब से अब तक 12 ट्रेनें झारखंड आ चुकी है. जिनमें कुल 10054 लोग लौटे हैं. उनमें 2146 छात्र शामिल हैं जबकि 2438 लोग अपनी गाड़ियों से वापस लौटे हैं. वहीं पांच राज्यों से बसों से 6076 लोग झारखंड लौटे हैं. उन्होंने कहा कि एक ट्रेन में 2004 लोगों के आने की क्षमता है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर 1200 ट्रेन में सफर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ओरिजनेटिंग राज्यों से उन मजदूरों के वापस लौटने से पहले वहां प्रॉपर मेडिकल चेकअप होता है और स्क्रीनिंग होती है.

अन्य मेडिकल सर्विस के लिए हों रहे हैं प्रयास

कोविड-19 के तहत चल रहे स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों के संबंध में सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले यह स्पष्ट किया है कि हेल्थ केयर और डायग्नोस्टिक सेंटर खुले रहने चाहिए. पर्याप्त व्यवस्था के साथ डायलिसिस कीमोथेरेपी जैसे मरीजों को चिकित्सा देनी है. उन्होंने कहा कि इस बाबत आईएमए के अधिकारियों से भी बात हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हुए गर्भस्थ महिलाओं के साथ घटनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था कर ली है. उन्होंने बताया कि एक आंकड़े के अनुसार 51933 महिलाओं की मई महीने में डिलीवरी होनी है और इसकी पूरी तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा esanjeevani के तहत लोगों को मेडिकल कंसल्टेंसी दी जा रही है और पिछले 4 दिनों में 215 लोगों ने इसका लाभ उठाया है.

ये भी देखें- केरल से हटिया पहुंचते ही मजदूरों ने झारखंड की माटी को चूमा, CM हेमंत ने कहा स्वागत है साथियों

प्रदेश में 0.86 प्रतिशत है पॉजिटिविटी रेट

उन्होंने बताया कि अभी तक झारखंड में 127 पॉजीटिव केस पाए गए हैं. जिनमें 89 एक्टिव केस हैं. उन्होंने बताया कि आंकड़ों के हिसाब से झारखंड में डबलिंग रेट नेशनल एवरेज के 3 गुना है. वही मोर्टालिटी रेट 2.4 प्रतिशत है. जबकि राज्य में अब तक 15130 लोगों का टेस्ट हुआ है जिसमें से 15005 नेगेटिव पाए गए हैं. उस हिसाब से पॉजिटिविटी रेट 0.83% है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में टेस्ट हो इसके राज्य सरकार प्रयास कर रही है और इसके लिए मशीनों की आर्डर दिए गए हैं. वहीं एक हफ्ते में सात आठ जिलों में मशीनें आ जाएंगी. जिसके बाद जांच आसान हो जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए कि राज्य सरकार जांच कराने में किसी तरह की कोताही बरत रही है. उन्होंने बताया कि राज्य में फिलहाल 46 कंटेनमेंट जॉन हैं जिनमें 71868 घर हैं. जहां 8071 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं.

रांची: कोरोना लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों ने भाड़ा लिए जाने वाले विवादों के बीच बुधवार को राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब जो प्रवासी मजदूर झारखंड लौटेंगे उनको अपनी जेब से पैसे नहीं खर्च करने होंगे. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने कहा के 29 अप्रैल के बाद स्थितियों में परिवर्तन आया है. उसी के मद्देनजर थोड़ी कन्फ्यूजन की स्थिति हो गई थी. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने पैसा खुद दिया है जबकि कुछ राज्यों में मजदूरों से पैसा लिया गया है. यह एक पॉलिसी का मामला है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अब या तो प्रवासी मजदूरों के लौटने का भाड़ा डिस्पैचिंग स्टेट देगा या फिर झारखंड सरकार देगी. उन्होंने कहा कि इस बाबत मुख्य सचिव ने भी निर्देश दिया है.

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मजदूरों के लौटने में तीन स्तर पर लेनी होगी सहमति

उन्होंने कहा कि किसी भी मजदूर को वापस लौटने के लिए तीन स्तर पर सहमति मिलनी आवश्यक है. पहला तो जहां वह रह रहा है, वहां से उसे इजाजत लेनी होगी. दूसरा वहां की राज्य सरकार इजाजत दे और तीसरा झारखंड सरकार मजदूरों के लौटने पर अपनी इजाजत दे. उन्होंने कहा कि अगर इन तीन स्तरों में से किसी एक पर भी संशय होता है तो मजदूर झारखंड वापस नहीं लौट पाएंगे.

नोडल ऑफिसरों के नंबरों की बजाए कॉल सेंटर पर करें फोन

उन्होंने कहा कि दरअसल कोविड-19 को लेकर किए जा रहे प्रयासों के कोआर्डिनेशन के लिए बनी स्टेट नोडल ऑफिसर के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम कॉल सेंटर नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके फोन नंबरों पर दूसरे राज्यों से लोग फोन कर रहे हैं. जबकि सरकार ने उनके नंबर सर्कुलेट नहीं किए हैं. उन्होंने कहा कि दरअसल अलग से कॉल सेंटर बनाया गया है, जहां से अलग-अलग अधिकारी अपने अपने राज्यों को कोऑर्डिनेट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह आपदा का समय है ऐसे में इस तरह का कन्फ्यूजन होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं.

कोविड -19 के मद्देनजर अबतक अलॉट किये गए 57.83 करोड़

कौशल ने बताया कि अब तक कोविड-19 के मद्देनजर 57.83 करोड़ो रुपए अलॉट किए गए हैं. उसमें दाल भात केंद्र के मद्देनजर 7.48 करोड़ तीन अलग-अलग किस्तों में रिलीज किए गए. जबकि पुलिस डिपार्टमेंट, हेल्थ डिपार्टमेंट और पीआरडी समेत अन्य विभागों को भी अलग-अलग पैसे दिए गए. उन्होंने कहा कि epassjharkhand.nic.in में अब लोग रजिस्ट्रेशन करा कर अंतर जिला और अंतर राज्य मूवमेंट के लिए पास हासिल कर सकते हैं.

12 ट्रेनों से लौटे 10054 लोग

वहीं, प्रवासी मजदूरों के मूवमेंट के लिए बनाए गए परिवहन विभाग के नोडल ऑफिसर के रवि कुमार ने कहा कि कि 6 राज्यों से मजदूरों को वापस लाने के लिए बात की गई है. उन्होंने कहा कि मजदूरों को लाने के लिए ट्रेनों का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है क्योंकि इससे लॉ एंड ऑर्डर प्रॉब्लम हो सकती है. उन्होंने कहा कि दरअसल जहां से मजदूर आएंगे वह राज्य तय करता है कि ट्रेन कब और कितने लोगों को लेकर जाएगी. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के हिसाब से अब तक 12 ट्रेनें झारखंड आ चुकी है. जिनमें कुल 10054 लोग लौटे हैं. उनमें 2146 छात्र शामिल हैं जबकि 2438 लोग अपनी गाड़ियों से वापस लौटे हैं. वहीं पांच राज्यों से बसों से 6076 लोग झारखंड लौटे हैं. उन्होंने कहा कि एक ट्रेन में 2004 लोगों के आने की क्षमता है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर 1200 ट्रेन में सफर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ओरिजनेटिंग राज्यों से उन मजदूरों के वापस लौटने से पहले वहां प्रॉपर मेडिकल चेकअप होता है और स्क्रीनिंग होती है.

अन्य मेडिकल सर्विस के लिए हों रहे हैं प्रयास

कोविड-19 के तहत चल रहे स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों के संबंध में सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले यह स्पष्ट किया है कि हेल्थ केयर और डायग्नोस्टिक सेंटर खुले रहने चाहिए. पर्याप्त व्यवस्था के साथ डायलिसिस कीमोथेरेपी जैसे मरीजों को चिकित्सा देनी है. उन्होंने कहा कि इस बाबत आईएमए के अधिकारियों से भी बात हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हुए गर्भस्थ महिलाओं के साथ घटनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था कर ली है. उन्होंने बताया कि एक आंकड़े के अनुसार 51933 महिलाओं की मई महीने में डिलीवरी होनी है और इसकी पूरी तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा esanjeevani के तहत लोगों को मेडिकल कंसल्टेंसी दी जा रही है और पिछले 4 दिनों में 215 लोगों ने इसका लाभ उठाया है.

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प्रदेश में 0.86 प्रतिशत है पॉजिटिविटी रेट

उन्होंने बताया कि अभी तक झारखंड में 127 पॉजीटिव केस पाए गए हैं. जिनमें 89 एक्टिव केस हैं. उन्होंने बताया कि आंकड़ों के हिसाब से झारखंड में डबलिंग रेट नेशनल एवरेज के 3 गुना है. वही मोर्टालिटी रेट 2.4 प्रतिशत है. जबकि राज्य में अब तक 15130 लोगों का टेस्ट हुआ है जिसमें से 15005 नेगेटिव पाए गए हैं. उस हिसाब से पॉजिटिविटी रेट 0.83% है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में टेस्ट हो इसके राज्य सरकार प्रयास कर रही है और इसके लिए मशीनों की आर्डर दिए गए हैं. वहीं एक हफ्ते में सात आठ जिलों में मशीनें आ जाएंगी. जिसके बाद जांच आसान हो जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए कि राज्य सरकार जांच कराने में किसी तरह की कोताही बरत रही है. उन्होंने बताया कि राज्य में फिलहाल 46 कंटेनमेंट जॉन हैं जिनमें 71868 घर हैं. जहां 8071 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं.

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