रांचीः चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कृषि शुल्क विधेयक पर पुनर्विचार करने की मांग की है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे से मिलाकात की और विधेयक की खामियों को बताते हुए वापस लेने का आग्रह किया. इसके साथ ही ज्ञापन भी सौंपा.
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चैंबर के प्रतिनिधिमंडल ने इस विधेयक से होनेवाली कठिनाईयों पर चिंता जताते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. मुलाकात के दौरान इस विधेयक की बारीकियों से अवगत कराते हुए चैंबर के शिष्टमंडल ने कहा कि झारखंड में कृषि उपज पर कृषि शुल्क देय किये जाने से कृषि उत्पादन, इसके विपणन, संबंधित प्रसंस्करण उद्योग और व्यापार में भारी कमी आयेगी, जिससे किसानों को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि किसानों को उसके उत्पाद की कीमत भी नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि शुल्क से प्राप्त राशि से कहीं अधिक नुकसान जीएसटी से प्राप्त होनेवाले राशि में कमी के रूप में होगी.
प्रतिनिधिमंडल के आग्रह पर झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे और रांची महानगर के अध्यक्ष कुमार राजा ने इस मामले में आवश्यक सहयोग के लिए आश्वस्त किया. उन्होंने यह भी कहा कि जनहित से जुड़े मामले पर सरकार गंभीर है. प्रतिनिधिमंडल में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, प्रवक्ता ज्योति कुमारी, पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, ललित केडिया, केके साबू, रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी सहित अन्य सदस्य शामिल थे.
बता दें कि राज्यपाल रमेश बैस ने शीतकालीन सत्र से पहले झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में बने विधेयक में अंतर पाते हुए लौटा दिया था. विधानसभा से पारित इस विधेयक के कानून बनने से कृषि उपज पर दो फीसदी कृषि बाजार समिति टैक्स लगना था. बजट सत्र में सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के बाद मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था. राज्यपाल की आपत्ति के बाद सरकार ने फिर से संशोधन के पश्चात शीतकालीन सत्र में पास कराकर राजभवन को मंजूरी के लिए भेजा है.