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दीपक प्रकाश के सितारे बुलंदी पर, कार्यकाल खत्म होने के बाद भी पार्टी ने नहीं निकाला विकल्प, जिम्मेदारियों में किया इजाफा

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Published : Apr 25, 2023, 8:26 PM IST

कई राज्यों में बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं. झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है, ऐसे में पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा तेज है कि क्या इनके कार्यकाल को बढ़ाया जाएगा या फिर पार्टी को नया कप्तान मिलेगा? वैसे केंद्रीय नेतृत्व ने दीपक प्रकाश पर भरोसा करते हुए कुछ और नई जिम्मेदारियां भी दीं हैं.

Jharkhand BJP President
Jharkhand BJP President

रांची: झारखंड भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश के सितारे बुलंदी पर हैं. 25 फरवरी को ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि दीपक प्रकाश ही कंटिन्यू करेंगे या किसी दूसरे नेता को जिम्मेदारी दी जाएगी. दरअसल, भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष को कंटिन्यू करने की परिपाटी नहीं रही है. इसको लेकर संगठन के भीतर कयासों के बाजार गर्म हैं. क्योंकि पिछले ही माह राजस्थान, बिहार, ओड़िशा और दिल्ली के पार्टी अध्यक्ष बदले जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें- पुलिस नोटिस पर धुर्वा थाना पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश सहित पांच नेता, पूछताछ के दौरान लगे आरोपों को किया खारिज

राजस्थान में सतीश पूनिया की जगह चितौड़गढ़ से दो बार सांसद रहे सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. बिहार में संजय जयसवाल की जगह नीतीश और लालू प्रसाद के दोस्त रहे शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी को जिम्मेदारी दी है. ओड़िशा में समीर मोहंती की जगह आदिवासी समाज पर अच्छी पकड़ रखने वाले मनमोहन सामल को अध्यक्ष बनाया गया है. जबकि केजरीवाल के गढ़ यानी दिल्ली में वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष से फूलटाइम अध्यक्ष बना दिया गया है. दरअसल, दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद आदेश गुप्ता ने पद से इस्तीफा दे दिया था.

झारखंड भाजपा के भीतर चर्चा इसलिए भी तेज हो गई है क्योंकि शीर्ष नेतृत्व ने 23 अप्रैल को ही हिमाचल प्रदेश में अध्यक्ष बदला है. वहां डॉ राजीव बिन्दल को मनोनीत किया गया है. फिर ऐसी क्या वजह है कि झारखंड में दीपक प्रकाश कंटिन्यू कर रहे हैं. अंदरखाने यह भी चर्चा है कि ज्यादातर लोग इनको बदलने के पक्ष में हैं लेकिन सूत्र बता रहे है कि इनको राष्ट्रीय अध्यक्ष का आशीर्वाद प्राप्त है. 11 अप्रैल को सचिवालय घेराव वाली रैली को इन्होंने अपनी सफलता के रूप में केंद्र के सामने पेश किया है. जानकार बता रहे हैं कि दीपक प्रकाश गुट के लोग चाहते हैं कि किसी तरह उनका कार्यकाल कुछ माह और बढ़ जाए. क्योंकि कुछ माह बाद पार्टी लोकसभा चुनाव मोड में चली जाएगी. वैसी स्थिति में संगठन में फेरबदल का जोखिम उठाना सही नहीं होगा. अगर लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अच्छा कर लिया तो दीपक प्रकाश का कद और बढ़ जाएगा.

ये भी पढ़ें- दीपक प्रकाश पर रांची प्रशासन मेहरबान! सचिवालय घेराव का किया था नेतृत्व, लेकिन एफआईआर में नहीं है नाम, चर्चा तेज

पार्टी सूत्रों का कहना है कि झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन को टालना समझ से परे है. क्योंकि राज्य में अबतक पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में दीपक प्रकाश कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए. रामगढ़ में सहयोगी आजसू की जीत को छोड़ दें तो पार्टी दुमका, मधुपुर, बेरमो और मांडर में कमल नहीं खिला सकी. आने वाले समय में डुमरी में उपचुनाव होना है. लेकिन यहां जगरनाथ महतो के असमय निधन की वजह से सहानुभूति की लहर है. वैसे भी यहां आजसू की परीक्षा होनी है.

ऐसा नहीं है कि शीर्ष भाजपा नेतृत्व की झारखंड पर नजर नहीं है. अगर ऐसा होता तो यूपी के दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी को यहां का प्रदेश प्रभारी नहीं बनाया गया होता. यूपी के ही कर्मवीर सिंह को प्रदेश संगठन महामंत्री बनाकर लाया गया है. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पर सस्पेंस बरकरार है. सूत्र बता रहे हैं कि सामाजिक और जातीय संतुलन की कसौटी पर नया विकल्प तौला जा रहा है. लेकिन सवाल वही है कि कबतक. अव्वल तो ये कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर दीपक प्रकाश को बड़ी जिम्मेदारी दी है. दीपक प्रकाश कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान को लेकर चार दिवसीय दौरे पर हैं. लिहाजा, पार्टी में कयासों का बाजार गर्म है. सबको शीर्ष नेतृत्व के फैसले का इंतजार है.

रांची: झारखंड भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश के सितारे बुलंदी पर हैं. 25 फरवरी को ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि दीपक प्रकाश ही कंटिन्यू करेंगे या किसी दूसरे नेता को जिम्मेदारी दी जाएगी. दरअसल, भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष को कंटिन्यू करने की परिपाटी नहीं रही है. इसको लेकर संगठन के भीतर कयासों के बाजार गर्म हैं. क्योंकि पिछले ही माह राजस्थान, बिहार, ओड़िशा और दिल्ली के पार्टी अध्यक्ष बदले जा चुके हैं.

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राजस्थान में सतीश पूनिया की जगह चितौड़गढ़ से दो बार सांसद रहे सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. बिहार में संजय जयसवाल की जगह नीतीश और लालू प्रसाद के दोस्त रहे शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी को जिम्मेदारी दी है. ओड़िशा में समीर मोहंती की जगह आदिवासी समाज पर अच्छी पकड़ रखने वाले मनमोहन सामल को अध्यक्ष बनाया गया है. जबकि केजरीवाल के गढ़ यानी दिल्ली में वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष से फूलटाइम अध्यक्ष बना दिया गया है. दरअसल, दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद आदेश गुप्ता ने पद से इस्तीफा दे दिया था.

झारखंड भाजपा के भीतर चर्चा इसलिए भी तेज हो गई है क्योंकि शीर्ष नेतृत्व ने 23 अप्रैल को ही हिमाचल प्रदेश में अध्यक्ष बदला है. वहां डॉ राजीव बिन्दल को मनोनीत किया गया है. फिर ऐसी क्या वजह है कि झारखंड में दीपक प्रकाश कंटिन्यू कर रहे हैं. अंदरखाने यह भी चर्चा है कि ज्यादातर लोग इनको बदलने के पक्ष में हैं लेकिन सूत्र बता रहे है कि इनको राष्ट्रीय अध्यक्ष का आशीर्वाद प्राप्त है. 11 अप्रैल को सचिवालय घेराव वाली रैली को इन्होंने अपनी सफलता के रूप में केंद्र के सामने पेश किया है. जानकार बता रहे हैं कि दीपक प्रकाश गुट के लोग चाहते हैं कि किसी तरह उनका कार्यकाल कुछ माह और बढ़ जाए. क्योंकि कुछ माह बाद पार्टी लोकसभा चुनाव मोड में चली जाएगी. वैसी स्थिति में संगठन में फेरबदल का जोखिम उठाना सही नहीं होगा. अगर लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अच्छा कर लिया तो दीपक प्रकाश का कद और बढ़ जाएगा.

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पार्टी सूत्रों का कहना है कि झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन को टालना समझ से परे है. क्योंकि राज्य में अबतक पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में दीपक प्रकाश कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए. रामगढ़ में सहयोगी आजसू की जीत को छोड़ दें तो पार्टी दुमका, मधुपुर, बेरमो और मांडर में कमल नहीं खिला सकी. आने वाले समय में डुमरी में उपचुनाव होना है. लेकिन यहां जगरनाथ महतो के असमय निधन की वजह से सहानुभूति की लहर है. वैसे भी यहां आजसू की परीक्षा होनी है.

ऐसा नहीं है कि शीर्ष भाजपा नेतृत्व की झारखंड पर नजर नहीं है. अगर ऐसा होता तो यूपी के दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी को यहां का प्रदेश प्रभारी नहीं बनाया गया होता. यूपी के ही कर्मवीर सिंह को प्रदेश संगठन महामंत्री बनाकर लाया गया है. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पर सस्पेंस बरकरार है. सूत्र बता रहे हैं कि सामाजिक और जातीय संतुलन की कसौटी पर नया विकल्प तौला जा रहा है. लेकिन सवाल वही है कि कबतक. अव्वल तो ये कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर दीपक प्रकाश को बड़ी जिम्मेदारी दी है. दीपक प्रकाश कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान को लेकर चार दिवसीय दौरे पर हैं. लिहाजा, पार्टी में कयासों का बाजार गर्म है. सबको शीर्ष नेतृत्व के फैसले का इंतजार है.

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