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झारखंड पड़ोसी राज्य बिहार से भी फिसड्डी, सामाजिक प्रगति सूचकांक पर विपक्ष ने सरकार को घेरा - Ranchi news

सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड अपने पड़ोसी राज्य बिहार से भी पिछड़ गया है (Jharkhand at bottom of social progress index). इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा है और सरकार की नीतियों और मंशा पर सवाल उठाए हैं.

Jharkhand at bottom of social progress index
amba prashad viranchi narayan and saryu rai
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Published : Dec 22, 2022, 3:39 PM IST

Updated : Dec 22, 2022, 3:52 PM IST

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रांची: सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड के बिहार से भी नीचे आने को लेकर राजनीति तेज हो गई है (Jharkhand at bottom of social progress index). भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि अभी झारखंड सामाजिक प्रगति सूचकांक में बिहार से नीचे हुआ है, अगर यह सरकार लंबे दिनों तक रह गई तो राज्य देश में सबसे अंतिम पायदान पर पहुंच जाएगा.

ये भी पढ़ें: झारखंड में बजट राशि का हाल: नौ महीने में महज 44 फीसदी हो पाई खर्च

विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड की रैंकिंग को लेकर हेमंत सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि जब सरकार में बैठे लोगों के इशारे पर सरकारी खजाने की लूट की छूट मिलने लगे, बड़े बड़े चूहे सरकारी खजाने को उतरने के लिए भेजे जाएं, तो ऐसी परिस्थिति में समाज की प्रगति और जनकल्याण की परवाह कौन करता है.


वहीं, सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड के प्रदर्शन को बिहार से भी कमजोर होने को लेकर कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि यह चिंता की बात है और झारखंड सरकार ने इस स्थिति को बदलने और बेहतर स्थिति में झारखंड को ले जाने का अपना संकल्प दोहराया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को राजनीति करने का कोई हक नहीं है.


पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि सामाजिक प्रगति सूचकांक में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि झारखंड का प्रदर्शन खराब रहा है, बल्कि बिहार और झारखंड जैसे प्रदेशों में अक्सर ही सामाजिक प्रगति सूचकांक की कमोवेश यही स्थिति रही है. उन्होंने कहा कि जो लोग सामाजिक प्रगति सूचकांक बनाते हैं उन्हें झारखंड बिहार जैसे प्रदेशों जिनका परफॉर्मेंस लगातार खराब रहा है उनको ध्यान में रखकर अपने मानदंडों में सुधार करना चाहिए.

सरयू राय ने कहा कि यह कहना कि झारखंड का सामाजिक प्रगति सूचकांक में खराब प्रदर्शन के पीछे वर्तमान सरकार की कोई कार्यशैली है यह ठीक नहीं है. जब से झारखंड बना है तब से सामाजिक प्रगति सूचकांक ऐसा ही रहा है. उन्होंने कहा कि स्थिति कमोबेश पहले जैसी ही है, आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कोई खास अंतर नहीं आता है, उन्होंने कहा कि राज्य औकात से अधिक का बजट बना लेते हैं, ताकि जनता में अच्छा मैसेज जाए, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में क्या होता है, बजट की राशि खर्च नहीं होती. उन्होंने कहा कि पहले अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को हकीकत की कसौटी पर कसना होगा तभी सामाजिक प्रगति की योजनाएं बनेगी तो वह लाभकारी भी होगा.

क्या है सामाजिक प्रगति सूचकांक में: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के द्वारा जारी राज्यों की सामाजिक प्रगति सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में बुनियादी मानवीय जरूरत, लोगों के बेहतर जीवन शैली और रोजगार के अवसर तीनों की कमी है. इस मामले में झारखंड पड़ोसी राज्य बिहार से भी नीचे है. झारखंड का एसपीआई यानी सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स 43.5 है जबकि पड़ोसी राज्य बिहार का 44.47 है.


सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट देश के 36 राज्य और क्रेंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलो के सामाजिक प्रगति के अलग-अलग मानको पर उनके प्रदर्शन के अनुसार आंका गया है. पुडुचेरी में सामाजिक प्रगति इंडेक्स सबसे अधिक लगभग 66 है तो लक्ष्यदीप में यह 65.89 और गोवा में 65.53 है. झारखंड, बिहार और असम जैसे राज्यों ने सामाजिक प्रगति इंडेक्स में भले ही खराब प्रदर्शन किया हो, लेकिन सरकारी योजनाओं मेल लोगों की भागीदारी व्यक्तिगत अधिकार व्यक्तिगत आजादी और हेल्थ के मामले में यह राज्य अच्छे नंबर हासिल किए हैं. वहीं पोषण सूचना और संचार और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में यह राज्य पिछड़ गए हैं.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी यह रिपोर्ट है जिसमें यह आकलन किया जाता है कि देश के अलग-अलग राज्यों ने सामाजिक प्रगति की योजनाओं को लेकर कितनी प्रगति की है, इस सर्वे से यह पता चलता है कि राज्य में सामाजिक प्रगति को लेकर योजनाओं को धरातल पर उतारने में कहां कमी रह गई और कैसे इसे दूर किया जा सकता है.

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रांची: सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड के बिहार से भी नीचे आने को लेकर राजनीति तेज हो गई है (Jharkhand at bottom of social progress index). भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि अभी झारखंड सामाजिक प्रगति सूचकांक में बिहार से नीचे हुआ है, अगर यह सरकार लंबे दिनों तक रह गई तो राज्य देश में सबसे अंतिम पायदान पर पहुंच जाएगा.

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विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड की रैंकिंग को लेकर हेमंत सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि जब सरकार में बैठे लोगों के इशारे पर सरकारी खजाने की लूट की छूट मिलने लगे, बड़े बड़े चूहे सरकारी खजाने को उतरने के लिए भेजे जाएं, तो ऐसी परिस्थिति में समाज की प्रगति और जनकल्याण की परवाह कौन करता है.


वहीं, सामाजिक प्रगति सूचकांक में झारखंड के प्रदर्शन को बिहार से भी कमजोर होने को लेकर कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि यह चिंता की बात है और झारखंड सरकार ने इस स्थिति को बदलने और बेहतर स्थिति में झारखंड को ले जाने का अपना संकल्प दोहराया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को राजनीति करने का कोई हक नहीं है.


पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि सामाजिक प्रगति सूचकांक में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि झारखंड का प्रदर्शन खराब रहा है, बल्कि बिहार और झारखंड जैसे प्रदेशों में अक्सर ही सामाजिक प्रगति सूचकांक की कमोवेश यही स्थिति रही है. उन्होंने कहा कि जो लोग सामाजिक प्रगति सूचकांक बनाते हैं उन्हें झारखंड बिहार जैसे प्रदेशों जिनका परफॉर्मेंस लगातार खराब रहा है उनको ध्यान में रखकर अपने मानदंडों में सुधार करना चाहिए.

सरयू राय ने कहा कि यह कहना कि झारखंड का सामाजिक प्रगति सूचकांक में खराब प्रदर्शन के पीछे वर्तमान सरकार की कोई कार्यशैली है यह ठीक नहीं है. जब से झारखंड बना है तब से सामाजिक प्रगति सूचकांक ऐसा ही रहा है. उन्होंने कहा कि स्थिति कमोबेश पहले जैसी ही है, आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कोई खास अंतर नहीं आता है, उन्होंने कहा कि राज्य औकात से अधिक का बजट बना लेते हैं, ताकि जनता में अच्छा मैसेज जाए, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में क्या होता है, बजट की राशि खर्च नहीं होती. उन्होंने कहा कि पहले अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को हकीकत की कसौटी पर कसना होगा तभी सामाजिक प्रगति की योजनाएं बनेगी तो वह लाभकारी भी होगा.

क्या है सामाजिक प्रगति सूचकांक में: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के द्वारा जारी राज्यों की सामाजिक प्रगति सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में बुनियादी मानवीय जरूरत, लोगों के बेहतर जीवन शैली और रोजगार के अवसर तीनों की कमी है. इस मामले में झारखंड पड़ोसी राज्य बिहार से भी नीचे है. झारखंड का एसपीआई यानी सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स 43.5 है जबकि पड़ोसी राज्य बिहार का 44.47 है.


सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट देश के 36 राज्य और क्रेंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलो के सामाजिक प्रगति के अलग-अलग मानको पर उनके प्रदर्शन के अनुसार आंका गया है. पुडुचेरी में सामाजिक प्रगति इंडेक्स सबसे अधिक लगभग 66 है तो लक्ष्यदीप में यह 65.89 और गोवा में 65.53 है. झारखंड, बिहार और असम जैसे राज्यों ने सामाजिक प्रगति इंडेक्स में भले ही खराब प्रदर्शन किया हो, लेकिन सरकारी योजनाओं मेल लोगों की भागीदारी व्यक्तिगत अधिकार व्यक्तिगत आजादी और हेल्थ के मामले में यह राज्य अच्छे नंबर हासिल किए हैं. वहीं पोषण सूचना और संचार और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में यह राज्य पिछड़ गए हैं.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी यह रिपोर्ट है जिसमें यह आकलन किया जाता है कि देश के अलग-अलग राज्यों ने सामाजिक प्रगति की योजनाओं को लेकर कितनी प्रगति की है, इस सर्वे से यह पता चलता है कि राज्य में सामाजिक प्रगति को लेकर योजनाओं को धरातल पर उतारने में कहां कमी रह गई और कैसे इसे दूर किया जा सकता है.

Last Updated : Dec 22, 2022, 3:52 PM IST
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