रांचीः 66वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के आधिकारिक कर्यक्रम की घाना की राजधानी अकरा में शुरुआत हुई. कार्यक्रम का मुख्य थीम था राष्ट्रमंडल चार्टर के दस वर्ष. संसदों द्वारा निर्धारित मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा. झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने ऊर्जा संकट और पर्यावरण संरक्षण, संसद में महिला आरक्षण और ई संसद के माध्यम से संसदीय प्रक्रिया को और कारगर बनाए जाने जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए.
उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष, 1972 स्टॉकहोम में आयोजित सम्मेलन में कही गयी बात को दोहराया कि पर्यावरण को तबतक संरक्षित नहीं किया जा सकता, जब तक गरीबी का समाधान नहीं किया जाता. जो लोग अपनी आर्थिक कठिनाईयों के कारण प्रदूषित जीवन जीने को विवश हैं, उन्हें पर्यावरण संरक्षण का पाठ नहीं पठाया जा सकता. इसलिए दुनिया के सभी देशों की प्राथमिकता गरीबी की समस्या का निदान होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी वाणी में महिलाओं को भावनात्मक रूप से पुरुषों से अधिक शक्तिशाली बताया था. उनके बलिदान की क्षमता को पुरुषों से ज्यादा बताया था. उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है. उन्होंने ई संसद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि झारखंड में नेशनल ई विधान एप्लीकेशन (NeVA) के माध्यम से सदस्यों को स्मार्ट डेस्क पर ले जाना और विधानसभा के चलती कार्यवाहिी को लाइव रूप से पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध कराना बेहद खास है. शुक्रवार को राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के जनरल असेंबली की बैठक निर्धारित है, जिसमें अध्यक्ष द्वारा झारखंड ब्रांच का प्रतिनिधित्व किया जायेगा.
उद्घाटन समारोह को घाना के संसदीय कार्य मंत्री ओसी केयी मेन्सा बोन्सु, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के महासचिव स्टीफन ट्विग ने संबोधित किया. स्टीफन ट्विग ने अपने संबोधन में संसदों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व, मानवधिकारों की रक्षा और जलवायु परिवर्तन को संघ की प्राथमिकता बताया. उन्होंने भारत, न्यूजीलैंड और सिएरा लियोन को संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए बधाइयां दी.
ट्विग् ने बताया कि राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा राष्ट्रमंडल को एक विधायी स्वरूप देने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. लेकिन ब्रिटिश सरकार अगर इस बार इस संबंध में कानून बनाने की पहल नहीं करती है तो राष्ट्रमंडल का मुख्यालय ब्रिटेन से हटाये जाने पर विचार किया जायेगा. आपको बता दें कि राष्ट्रमंडल की स्थापना एक कल्याणकारी संस्था के रूप में की गयी थी. अब इसे ब्रिटिश संसद के द्वारा कानूनी स्वरूप प्रदान कराने का प्रयास किया जा रहा है. कार्यक्रम का मूल भाषण घाना के राष्टृपति नाना अडो डंकवा अकूफ़ो अडो द्वारा दिया गया. कार्यक्रम में अलग अलग विषयों पर कार्यशाला आयोजित की गयी.