रांची: जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलकर जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए उनसे न्याय की मांग की. सरयू राय के मुताबिक राज्यपाल ने भरोसा दिलाया है कि वह इस मसले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे. यह भी आश्वासन मिला है कि अगर यह काम नियम या जनहित के विरूद्ध हुआ है तो उसपर कार्रवाई करने का निर्देश देंगे.
विधायक सरयू राय ने राज्यपाल को बताया कि संविधान के अनुच्छेद-243(q) के मुताबिक किसी भी शहर को पूर्णतः या आंशिक रूप से औद्योगिक नगरी घोषित करने के लिए राज्यपाल अधिकृत हैं. यदि कोई निजी या सरकारी संस्थान किसी शहर में पूर्णतः या अंशतः नागरिक सुविधायें देना चाहती है तो उस इलाके के क्षेत्रफल को देखते हुए राज्यपाल उसे औद्योगिक नगरी घोषित कर सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने राज्यपाल को विश्वास में लेना तो दूर उन्हें सूचित किये बिना मंत्रिपरिषद से जमशेदपुर में औद्योगिक नगर समिति गठित करने का निर्णय ले लिया.
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जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के सरकार का आपाधापी में किये गये निर्णय के विषय में माननीय राज्यपाल को अवगत कराने के लिए आज उनसे मिलकर स्मार-पत्र सौंपा. महोदय ने करीब 40 मिनट तक मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे. @jhar_governor pic.twitter.com/ibmCdCclA6
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— Saryu Roy (@roysaryu) December 21, 2023जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के सरकार का आपाधापी में किये गये निर्णय के विषय में माननीय राज्यपाल को अवगत कराने के लिए आज उनसे मिलकर स्मार-पत्र सौंपा. महोदय ने करीब 40 मिनट तक मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे. @jhar_governor pic.twitter.com/ibmCdCclA6
— Saryu Roy (@roysaryu) December 21, 2023
सरयू राय का कहना है कि जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का झारखंड सरकार के मंत्रिपरिषद का निर्णय विधानसभा के वर्तमान शीतकालीन सत्र आरंभ होने के बीच में किया गया, लेकिन सरकार ने इसे सदन पटल पर नहीं रखा. सदन को सूचित किये जाने के बाद भी सरकार ने कैबिनेट का यह निर्णय सदन में नहीं रखा. यह सरकार का असंवैधानिक आचरण है. अधिसूचना में सरकार ने कहा है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के 16 वार्डों को औद्योगिक नगरी में शामिल किया जायेगा. जो बस्तियां टाटा लीज क्षेत्र से बाहर हैं, उनमें सुविधायें देने के लिए ‘राईट ऑफ वे’ का शुल्क लिया जायेगा. यह सरकार द्वारा 2005 में टाटा-लीज नवीकरण समझौता के प्रावधान के विपरीत है.
यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन बस्तियों से शुल्क लिया जायेगा, उन्हें वास स्थान का मालिकाना हक दिया जायेगा या नहीं. उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि ऐसी बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दें. सरयू राय ने राज्यपाल को बताया है कि जमशेदपुर के जो 16 वार्ड शामिल किये गये हैं, उनके प्रतिनिधि को कोई स्थान समिति में नहीं दिया गया है, जो नगरपालिका के स्वशासन और संविधान की अवधारणा के खिलाफ है.
सरकार द्वारा घोषित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति के संबंध में 2005 से 2016 के बीच कई अधिसूचनाओं और इसपर हुए झारखण्ड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का आधा-अधूरा उल्लेख किया गया है. इसमें यह उल्लेख किया ही नहीं है कि 1989 में जमशेदपुर को नगर निगम बनाने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का जो निर्णय हुआ, उसे सरकार लागू क्यों नहीं करा सकी और सर्वोच्च न्यायालय के सामने सरकार और टाटा स्टील ने इस मामले को न्यायालय से बाहर सुलझाने का शपथ पत्र दिया, लेकिन जवाहर लाल शर्मा का इस विषय में आवेदन अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई की प्रक्रिया में है. इसका अधिसूचना में कोई जिक्र नहीं है.
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