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रांची: भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को नहीं मिल रही हरी झंडी, एजेंसियां नहीं कर पा रही कार्रवाई

रांची में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच सही से नहीं हो पा रही है. सीएम की तरफ से जांच के आदेश जारी होने के बाद भी एंटी करप्शन ब्यूरो विभागीय काम के चलते भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर पा रही है.

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Published : Jul 14, 2020, 1:46 AM IST

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भ्रष्टाचार

रांची: झारखंड में भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में विभाग कुंडली मार कर बैठा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जांच के आदेश के बाद भी एंटी करप्शन ब्यूरो विभागीय सुस्ती के कारण भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर पा रही है. इस बीच यह भी बात फैल रही है कि भ्रष्टाचारियों ने मामला मैनेज कर लिया है.

बड़े मामले बीच अधर में लटके
झारखंड में हाल के दिनों में उर्जा निगम और जेरेडा निदेशक पर 170 करोड़ की अनियमितता को लेकर एफआईआर, दुमका में पूर्व जिला न्यायाधीश पर दर्ज मामले, धनबाद में 200 करोड़ की अनियमितता के मामले ऐसे हैं, जिनमें एसीबी में कार्रवाई लंबित है. वहीं, ग्लोबल समिट को लेकर कई बार हुए शिकायतों पर एसीबी ने विभाग का मंतव्य मांगा है, लेकिन विभागीय स्तर पर कार्रवाई को लेकर कोई मंतव्य अबतक एसीबी को नहीं मिला. इन मामलों पर कार्रवाई नहीं होने से घालमेल की शंका प्रबल हो रही है. वहीं, जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वे लोग खुलेआम यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने मामला मैनेज कर लिया है. यही वजह है कि जांच के आदेश सरकार की तरफ से नहीं आ रहे हैं. जरेडा में भ्रष्टाचार में फंसे एक अधिकारी के सरकार के एक बडे़ ओहदेदार से बड़े नजदीकी संबंध बताए जा रहे हैं.

एसीबी को विभाग से एफआईआर की अनुमति का इंतजार
जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एसीबी ने जून के पहले हफ्ते में कर दी थी. एसीबी ने पूरे मामले में पीई जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल और निगरानी विभाग को भेजी थी. विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की गई थी. मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के आदेश मिलते ही इस मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी, लेकिन एक माह से अधिक अरसा बीतने के बाद भी एफआईआर का आदेश एसीबी तक नहीं पहुंचा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी ने 170 करोड़ की अनियमितता से संबंधित पीई दर्ज की थी. शुरुआती जांच में निरंजन कुमार के अलावे श्रीराम सिंह, अरविंद कुमार समेत कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली थी.

इसे भी पढ़ें-मंत्री अर्जुन मुंडा ने की प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात, HEC की समस्यों के बारे में की चर्चा

गुमला के रजिस्ट्रार पर नहीं हो पाया पीई
एसीबी गुमला के सब रजिस्ट्रार राम कुमार मधेशिया के खिलाफ जल्द ही पीई दर्ज करना था. एसीबी ने लोकायुक्त डीएन उपाध्याय को मिली शिकायत के आधार पर राम कुमार मधेशिया के खिलाफ जांच की थी, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप को सही पाया गया था. ऐसे में एसीबी ने अक्तूबर 2019 में मधेशिया के खिलाफ एफआईआर के लिए निगरानी विभाग से अनुमति मांगी गई थी. हालांकि, तब विभाग ने निगरानी इसकी अनुमति नहीं दी थी. दोबारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 30 मई को इस संबंध में एसीबी जांच के आदेश दिए, लेकिन इस मामले में भी पीई दर्ज नहीं हो पायी. डीएन उपाध्याय ने गुमला के सब रजिस्ट्रार राम कुमार मधेशिया और उनके कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच करने की अनुशंसा एसीबी से की थी. सब रजिस्ट्रार और उनके कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर गुमला अधिवक्ता संघ की ओर से लोकायुक्त के यहां शिकायत की गयी थी. प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाया गया था.

200 करोड़ के प्राक्कलन घोटाले में भी कार्रवाई नहीं
धनबाद नगर निगम में 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की एसीबी जांच का आदेश जून में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. धनबाद मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल पर आरोप था कि पहले से ही अच्छी स्थिति में रही पीसीसी सड़कों को तोड़कर प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ाकर फिर से पीसीसी सड़कों का ही निर्माण करा दिया गया. यह भी आरोप है कि परामर्शी मेसर्स मास एंड व्वायड को परामर्शी शुल्क के रूप में बढ़े हुए प्राक्कलन के अनुसार मोटी रकम देकर 50 प्रतिशत की राशि महापौर ने वसूल ली, जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है. उसकी गुणवत्ता निम्न स्तरीय है.

निलंबित जज पर भी अबतक जांच शुरू नहीं
दुमका के तत्कालीन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश ओम प्रकाश सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच एसीबी से कराना था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) के पत्र के आलोक में ओम प्रकाश सिंह के विरुद्ध दर्ज मामले का अनुसंधान एसीबी को सौंपे जाने पर सहमति दी थी. सिंह के खिलाफ दुमका नगर थाना में भारतीय वन अधिनियम-1927 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामले दर्ज हैं. अपने आवासीय परिसर में सागवान पेड़ कटवा कर रखने के आरोप में 2019 के सितंबर माह में दुमका के तत्कालीन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश सिंह को निलंबित कर दिया गया था.

रांची: झारखंड में भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में विभाग कुंडली मार कर बैठा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जांच के आदेश के बाद भी एंटी करप्शन ब्यूरो विभागीय सुस्ती के कारण भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर पा रही है. इस बीच यह भी बात फैल रही है कि भ्रष्टाचारियों ने मामला मैनेज कर लिया है.

बड़े मामले बीच अधर में लटके
झारखंड में हाल के दिनों में उर्जा निगम और जेरेडा निदेशक पर 170 करोड़ की अनियमितता को लेकर एफआईआर, दुमका में पूर्व जिला न्यायाधीश पर दर्ज मामले, धनबाद में 200 करोड़ की अनियमितता के मामले ऐसे हैं, जिनमें एसीबी में कार्रवाई लंबित है. वहीं, ग्लोबल समिट को लेकर कई बार हुए शिकायतों पर एसीबी ने विभाग का मंतव्य मांगा है, लेकिन विभागीय स्तर पर कार्रवाई को लेकर कोई मंतव्य अबतक एसीबी को नहीं मिला. इन मामलों पर कार्रवाई नहीं होने से घालमेल की शंका प्रबल हो रही है. वहीं, जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वे लोग खुलेआम यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने मामला मैनेज कर लिया है. यही वजह है कि जांच के आदेश सरकार की तरफ से नहीं आ रहे हैं. जरेडा में भ्रष्टाचार में फंसे एक अधिकारी के सरकार के एक बडे़ ओहदेदार से बड़े नजदीकी संबंध बताए जा रहे हैं.

एसीबी को विभाग से एफआईआर की अनुमति का इंतजार
जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एसीबी ने जून के पहले हफ्ते में कर दी थी. एसीबी ने पूरे मामले में पीई जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल और निगरानी विभाग को भेजी थी. विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की गई थी. मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के आदेश मिलते ही इस मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी, लेकिन एक माह से अधिक अरसा बीतने के बाद भी एफआईआर का आदेश एसीबी तक नहीं पहुंचा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी ने 170 करोड़ की अनियमितता से संबंधित पीई दर्ज की थी. शुरुआती जांच में निरंजन कुमार के अलावे श्रीराम सिंह, अरविंद कुमार समेत कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली थी.

इसे भी पढ़ें-मंत्री अर्जुन मुंडा ने की प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात, HEC की समस्यों के बारे में की चर्चा

गुमला के रजिस्ट्रार पर नहीं हो पाया पीई
एसीबी गुमला के सब रजिस्ट्रार राम कुमार मधेशिया के खिलाफ जल्द ही पीई दर्ज करना था. एसीबी ने लोकायुक्त डीएन उपाध्याय को मिली शिकायत के आधार पर राम कुमार मधेशिया के खिलाफ जांच की थी, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप को सही पाया गया था. ऐसे में एसीबी ने अक्तूबर 2019 में मधेशिया के खिलाफ एफआईआर के लिए निगरानी विभाग से अनुमति मांगी गई थी. हालांकि, तब विभाग ने निगरानी इसकी अनुमति नहीं दी थी. दोबारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 30 मई को इस संबंध में एसीबी जांच के आदेश दिए, लेकिन इस मामले में भी पीई दर्ज नहीं हो पायी. डीएन उपाध्याय ने गुमला के सब रजिस्ट्रार राम कुमार मधेशिया और उनके कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच करने की अनुशंसा एसीबी से की थी. सब रजिस्ट्रार और उनके कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर गुमला अधिवक्ता संघ की ओर से लोकायुक्त के यहां शिकायत की गयी थी. प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाया गया था.

200 करोड़ के प्राक्कलन घोटाले में भी कार्रवाई नहीं
धनबाद नगर निगम में 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की एसीबी जांच का आदेश जून में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. धनबाद मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल पर आरोप था कि पहले से ही अच्छी स्थिति में रही पीसीसी सड़कों को तोड़कर प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ाकर फिर से पीसीसी सड़कों का ही निर्माण करा दिया गया. यह भी आरोप है कि परामर्शी मेसर्स मास एंड व्वायड को परामर्शी शुल्क के रूप में बढ़े हुए प्राक्कलन के अनुसार मोटी रकम देकर 50 प्रतिशत की राशि महापौर ने वसूल ली, जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है. उसकी गुणवत्ता निम्न स्तरीय है.

निलंबित जज पर भी अबतक जांच शुरू नहीं
दुमका के तत्कालीन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश ओम प्रकाश सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच एसीबी से कराना था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) के पत्र के आलोक में ओम प्रकाश सिंह के विरुद्ध दर्ज मामले का अनुसंधान एसीबी को सौंपे जाने पर सहमति दी थी. सिंह के खिलाफ दुमका नगर थाना में भारतीय वन अधिनियम-1927 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामले दर्ज हैं. अपने आवासीय परिसर में सागवान पेड़ कटवा कर रखने के आरोप में 2019 के सितंबर माह में दुमका के तत्कालीन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश सिंह को निलंबित कर दिया गया था.

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