रांची: 2024 लोकसभा चुनाव में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का गठन हो चुका है. कांग्रेस, राजद, झामुमो, आप, वामदल, जदयू, राकांपा समेत बड़ी संख्या में भाजपा विरोधी दलों के नेताओं ने हाथ मिला लिया है, लेकिन क्या इन दलों के कार्यकर्ताओं के दिल मिल पाए हैं? ये बड़ा सवाल है.
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झारखंड में कांग्रेस के लोकसभा प्रभारियों और संयोजकों के साथ गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक में अलग-अलग प्रभारियों ने जो विचार व्यक्त किये उससे यह संकेत मिलता है कि पार्टियों के नेता भले ही एक हो गये हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं का दिल अब तक नहीं मिल पाया है.
पलामू में राजद कमजोर-रामेश्वर उरांव: कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और AICC सदस्य अविनाश पांडे द्वारा ली गयी वर्चुअल मीटिंग में लोकसभा प्रभारियों ने अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में वहां के स्थानीय कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक का फीडबैक भी साझा किया. इस दौरान पलामू लोकसभा सीट के प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि राजद अब यहां पहले जितनी ताकतवर नहीं रही. पलामू के कांग्रेस नेताओं की इच्छा है कि अगर कांग्रेस इस सीट पर चुनाव लड़ती है, तो कार्यकर्ता उत्साह के साथ चुनाव की तैयारी में जुट जायेंगे. मंत्री रामेश्वर उरांव ने प्रभारी से पलामू कार्यकर्ताओं की राय से आलाकमान को अवगत कराने का अनुरोध किया.
विजय हांसदा से नाराज राजमहल के कार्यकर्ता- प्रदीप यादव: राजमहल लोकसभा सीट फिलहाल जेएमएम के पास है. विजय हांसदा वहां से सांसद भी हैं. लेकिन कांग्रेस की वर्चुअल बैठक में वहां के प्रभारी प्रदीप यादव ने कहा कि क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में यह बात सामने आई है कि वहां के सांसद का व्यवहार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए अच्छा नहीं रहा है. ऐसे में राजमहल के स्थानीय कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता चाहते हैं कि भले ही गठबंधन में झामुमो के पास एक सीट हो, लेकिन कम से कम उम्मीदवार का चेहरा बदला जाना चाहिए. इसी तरह अन्य क्षेत्रों के लोकसभा प्रभारियों ने भी अन्य क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की राय से प्रभारी को अवगत कराया.
भाजपा को हराना जरूरी- अविनाश पांडे: कांग्रेस के लोकसभा प्रभारियों और संयोजकों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि वह विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की भावनाओं से आलाकमान को जरूर अवगत कराएंगे. लेकिन आपको यह बात सभी लोकसभा क्षेत्रों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को समझानी चाहिए कि अगला लोकसभा चुनाव कितना महत्वपूर्ण है और इसमें भाजपा को परास्त करना क्यों जरूरी है.
झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि पार्टी के हर समर्पित कार्यकर्ता की इच्छा है कि उनकी पार्टी चुनाव लड़े. कभी-कभी वर्तमान सांसद-विधायक के प्रति नाराजगी होती है. ऐसे में कार्यकर्ताओं की भावनाओं को जानना और समझना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जब नेतृत्व कोई निर्णय लेता है तो सभी कार्यकर्ता उस निर्णय से सहमत होते हैं.
झामुमो की प्रतिक्रिया: वहीं, कांग्रेस की वर्चुअल बैठक में विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों को लेकर व्यक्त किये गये विचारों को झामुमो अस्वभाविक नहीं मानता है. जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे का कहना है कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और वे खुद ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन अंतिम निर्णय उनके नेता लेंगे. कार्यकर्ताओं की भावना को गलत नहीं कहा जा सकता.
अब सवाल यह उठता है कि जब राज्य में पहले से महागठबंधन बनाकर सरकार चला रही पार्टियों झामुमो, कांग्रेस और राजद के जमीनी नेता और कार्यकर्ता ही एकजुट नहीं हैं तो अन्य इंडिया गठबंधन के पार्टियों की क्या स्थिति होगी. ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि हो सकता है कि इंडिया पार्टियों के नेताओं ने राज्य में बीजेपी के खिलाफ भले ही हाथ मिला लिया हो, लेकिन जमीन पर इन पार्टियों के कार्यकर्ताओं के दिल अभी तक नहीं मिल पाए हैं.