रांचीः कोरोना संक्रमण के कारण रोजगार पर आए संकट के बाद स्टार्टअप के जरिए छोटे-मोटे कारोबार की ओर युवाओं की इच्छा बढी है. बुधवार को राजधानी रांची में स्टार्टअप से जुड़े युवा प्रोफेशनल के लिए टी-फोर-बी की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और मंगलम लुब्रीकेंट के प्रबंध निदेशक फिलीप मैथ्यू, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोल मैनेजमेंट के पूर्व महाप्रबंधक एके मिश्रा सहित कई लोग उपस्थित थे.
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युवा प्रोफेशनल्स का स्टार्टअप के प्रति बढ़े रुझान के पीछे कहीं ना कहीं राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति है. टी-फोर-बी की ओर से आयोजित कार्यशाला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोल मैनेजमेंट के पूर्व महाप्रबंधक एके मिश्रा ने स्टार्टअप और नेतृत्व क्षमता के तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कोई भी काम समर्पण और इमानदारी से की जाए, तो सफलता मिलना निश्चित है. उन्होंने कहा कि एक टीम लीडर को समदर्शी, सतदर्शी, प्रियदर्शी और पारदर्शी होना सबसे जरूरी है और तीन सी यानी Condem, criticize और complain से बचने की सलाह दी. झारखंड सरकार की नई औद्योगिक नीति की सराहना करते हुए एके मिश्रा ने कहा कि राज्य में स्टार्टअप की असीम संभावनाएं हैं.
कल तक खोज रहे थे नौकरी
धनबाद से आये युवा उद्यमी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कल तक नौकरी की तलाश में भटक रहे थे और स्टार्टअप शुरू कर लोगों को नौकरी दे रहे हैं. टी-फोर-बी के कम्युनिटी मैनेजर बांदुली पॉल ने कहा कि अब झारखंड बदल गया है. उन्होंने कहा कि डिजिटल दुनिया में एक-दूसरे से जुड़कर नया औद्योगिक वातावरण बनाया जा सकता है.
नई औद्योगिक नीति से रोजगार बढने की उम्मीद
राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए हेमंत सरकार ने नई औद्योगिक नीति 2021 लाया है. इस नई औद्योगिक नीति के तहत झारखंड में पांच लाख लोगों को रोजगार और एक लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इसमें पांच सेक्टरों टेक्सटाइल एंड अपेरल, ऑटोमोबाइल्स, ऑटो कंपोनेंट्स एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल, एग्रोफूड प्रोसेसिंग एंड मीट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फार्माक्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग पर सर्वाधिक फोकस किया गया है. इसके साथ ही स्टार्टअप के आठ सेक्टर स्टार्टअप एंड इक्यूबेसन सेंटर्स, शिक्षा एवं तकनीकी संस्थान, हेल्थकेयर, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, ब्रुअरी एंड डिस्टीलरी को खास ध्यान रखा गया है. इतना ही नहीं, निजी विश्वविद्यालय, मेडिकल एजुकेशन एंड हेल्थ केयर फैसिलिटी को इनसेंटिव का प्रावधान किया गया है.