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झारखंड में नई शिक्षा नीति लागू कराना आसान नहीं, राज्य सरकार नहीं दिखा रही कोई रुचि

नई शिक्षा नीति 2020 को केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी है. इसे राज्यों में लागू करने की प्लानिंग हो रही है लेकिन झारखंड में इसको लेकर राज्य सरकार के स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं हुई है. झारखंड में इसे लागू कराना आसान नहीं होगा. झारखंड के स्कूलों में 23 हजार से अधिक पद रिक्त हैं.

new education policy in jharkhand
झारखंड में नई शिक्षा नीति
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Published : Mar 10, 2021, 7:41 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 10:16 PM IST

रांची: नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी है और इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों का सार्वभौमिकरण करना है. नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारकर देश की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लेने की कवायद की जा रही है. झारखंड में इसको लेकर कोई कदम खास कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं. विश्वविद्यालयों में इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

नई शिक्षा नीति लागू करना आसान नहीं

झारखंड में नई शिक्षा नीति को लागू करना आसान नहीं होगा. इसके लिए सरकार को भी कई चीजों में सुधार करना होगा. यहां के स्कूलों में 95 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी. मौजूदा स्थिति ऐसी है कि राज्य में सृजित पदों के मुकाबले कार्यरत शिक्षकों की संख्या 70 हजार के करीब ही है. रिक्त पदों की संख्या 23 हजार से अधिक है. नई शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षक पर 30 छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी होगी और इसे मेंटेन करने के लिए एक साल के अंदर 23 हजार रिक्त पदों को भरना झारखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.

यह भी पढ़ें: महंगाई की डबल मार: तेजी से बढ़ रही घरेलू सिलेंडर की कीमत, सब्सिडी में भी कटौती कर रही सरकार

राज्य में हर स्तर के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं. प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के सर्वाधिक पद रिक्त हैं. राज्य में शिक्षकों के कुल 95 हजार 615 स्वीकृत पद हैं जिसमें कार्यरत शिक्षकों की संख्या 72,004 ही है जबकि रिक्त पद 23,611 हैं. वहीं, राज्य के हाई स्कूलों में 25,119 शिक्षकों के पद सृजित हैं. इसमें 17,630 शिक्षक ही कार्यरत हैं. खाली पदों की संख्या 7,569 है. विभाग की मानें तो राज्य के हाई स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों के सबसे अधिक पद रिक्त हैं.

प्लस टू स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी

झारखंड के प्लस टू स्कूलों की हालत भी ऐसी ही है. प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों के 5,610 पद सृजित हैं जिसमें 2,546 शिक्षक ही कार्यरत हैं. विद्यालयों में 3064 पद रिक्त हैं. शिक्षकों की कमी की वजह से नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारना झारखंड के लिए काफी परेशानी भरा होगा. दक्षिणी छोटा नागपुर के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से बात की तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के स्तर पर अब तक नई शिक्षा नीति को लेकर कोई निर्देश विभाग को नहीं दिया गया है.

यह भी पढ़ें: सीएम ममता बनर्जी चुनाव प्रचार के दौरान घायल, साजिश का लगाया आरोप

विश्वविद्यालयों में तैयार हो रहे कोर्स स्ट्रक्चर

नई शिक्षा नीति को लेकर विभिन्न विश्वविद्यालयों ने अपने तरीके से कुछ हद तक काम करना शुरू कर दिया है. झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिया है. नई शिक्षा नीति के तहत स्ट्रक्चर को दिशा देने के लिए लगातार कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है. कोर्स स्ट्रक्चर तैयार कर लिया गया है. शिक्षाविदों से लगातार विचार-विमर्श किया जा रहा है. मातृभाषा पर जोर देने के लिए हिंदी भाषा को भी इस विश्वविद्यालय में महत्व दिया जाएगा.

राज्य सरकार के निर्देश का इंतजार

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय भी राज्य सरकार की हरी झंडी के इंतजार में है. इस विश्वविद्यालय में भी कुछ हद तक नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने को लेकर प्लानिंग की गई है. रजिस्ट्रार अजय कुमार चौधरी का कहना है कि जब तक राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी स्पष्ट योजना नहीं बताती है तब तक इस विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना संभव नहीं हो पाएगा. दूसरी ओर रांची विश्वविद्यालय में भी नई शिक्षा नीति को लेकर कार्य योजना तैयार की गई है. हालांकि, यह विश्वविद्यालय भी राज्य सरकार के निर्देश के इंतजार में है.

रांची: नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी है और इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों का सार्वभौमिकरण करना है. नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारकर देश की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लेने की कवायद की जा रही है. झारखंड में इसको लेकर कोई कदम खास कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं. विश्वविद्यालयों में इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

नई शिक्षा नीति लागू करना आसान नहीं

झारखंड में नई शिक्षा नीति को लागू करना आसान नहीं होगा. इसके लिए सरकार को भी कई चीजों में सुधार करना होगा. यहां के स्कूलों में 95 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी. मौजूदा स्थिति ऐसी है कि राज्य में सृजित पदों के मुकाबले कार्यरत शिक्षकों की संख्या 70 हजार के करीब ही है. रिक्त पदों की संख्या 23 हजार से अधिक है. नई शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षक पर 30 छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी होगी और इसे मेंटेन करने के लिए एक साल के अंदर 23 हजार रिक्त पदों को भरना झारखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.

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राज्य में हर स्तर के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं. प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के सर्वाधिक पद रिक्त हैं. राज्य में शिक्षकों के कुल 95 हजार 615 स्वीकृत पद हैं जिसमें कार्यरत शिक्षकों की संख्या 72,004 ही है जबकि रिक्त पद 23,611 हैं. वहीं, राज्य के हाई स्कूलों में 25,119 शिक्षकों के पद सृजित हैं. इसमें 17,630 शिक्षक ही कार्यरत हैं. खाली पदों की संख्या 7,569 है. विभाग की मानें तो राज्य के हाई स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों के सबसे अधिक पद रिक्त हैं.

प्लस टू स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी

झारखंड के प्लस टू स्कूलों की हालत भी ऐसी ही है. प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों के 5,610 पद सृजित हैं जिसमें 2,546 शिक्षक ही कार्यरत हैं. विद्यालयों में 3064 पद रिक्त हैं. शिक्षकों की कमी की वजह से नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारना झारखंड के लिए काफी परेशानी भरा होगा. दक्षिणी छोटा नागपुर के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से बात की तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के स्तर पर अब तक नई शिक्षा नीति को लेकर कोई निर्देश विभाग को नहीं दिया गया है.

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विश्वविद्यालयों में तैयार हो रहे कोर्स स्ट्रक्चर

नई शिक्षा नीति को लेकर विभिन्न विश्वविद्यालयों ने अपने तरीके से कुछ हद तक काम करना शुरू कर दिया है. झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिया है. नई शिक्षा नीति के तहत स्ट्रक्चर को दिशा देने के लिए लगातार कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है. कोर्स स्ट्रक्चर तैयार कर लिया गया है. शिक्षाविदों से लगातार विचार-विमर्श किया जा रहा है. मातृभाषा पर जोर देने के लिए हिंदी भाषा को भी इस विश्वविद्यालय में महत्व दिया जाएगा.

राज्य सरकार के निर्देश का इंतजार

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय भी राज्य सरकार की हरी झंडी के इंतजार में है. इस विश्वविद्यालय में भी कुछ हद तक नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने को लेकर प्लानिंग की गई है. रजिस्ट्रार अजय कुमार चौधरी का कहना है कि जब तक राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी स्पष्ट योजना नहीं बताती है तब तक इस विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना संभव नहीं हो पाएगा. दूसरी ओर रांची विश्वविद्यालय में भी नई शिक्षा नीति को लेकर कार्य योजना तैयार की गई है. हालांकि, यह विश्वविद्यालय भी राज्य सरकार के निर्देश के इंतजार में है.

Last Updated : Mar 10, 2021, 10:16 PM IST
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