रांचीः भ्रष्टाचार के कारण झारखंड हमेशा से सुर्खियों में रहा है. संयुक्त बिहार के समय हुए चारा घोटाला का सबसे बड़ा मामला रांची डोरंडा कोषागार से जुड़ा हुआ था. उसी समय हुआ अलकतरा घोटाला भी हजारीबाग एवं अन्य जगहों में सुर्खियों में रहा. राज्य गठन के बाद भी भ्रष्टाचार से नाता झारखंड को नहीं छूटा. जेपीएससी मेधा घोटाला हो या मधुकोड़ा राज का लूटकांड आज भी सभी के जेहन में है. मगर एक साल के भीतर राज्य के दो दो आईएएस अधिकारी पर ईडी की कार्रवाई और उसके बाद हुई गिरफ्तारी ने यह बहस छेड़ दिया है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन.
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सीनियर आईएएस पूजा सिंघल के बाद रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रशासनिक हलकों में खलबली मची हुई है. सीएम के प्रधान सचिव रहे आईएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का पहले से ही ईडी के रडार पर हैं और इनसे पूछताछ हो चूकी है. ऐसा नहीं है कि इससे पहले राज्य के किसी आईएएस को भ्रष्टाचार के मामले में जेल नहीं जाना पड़ा है. मधु कोड़ा के शासनकाल में स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप के साथ स्वास्थ्य सचिव रहे डॉ प्रदीप कुमार इससे पहले ईडी और सीबीआई की गिरफ्त में आ चुके हैं. इसके अलावा राज्य प्रशासनिक पदाधिकारियों की लंबी सूची है जिनपर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं.
भ्रष्टाचार को लेकर जारी है सियासतः आईएएस छवि रंजन की गिरफ्तारी के बाद भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर इसी बहाने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी ने कहा कि बीजेपी पहले से ही कह रही है कि इस सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है, इसके बावजूद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. आज अगर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर सरकार के स्तर पर कार्रवाई की गई होती तो झारखंड को शर्मसार नहीं होना पड़ता. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा है कि ये सरकार चाहती नहीं है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे क्योंकि इसमें सभी आकंठ डूबे हुए हैं.
भारतीय जनता पार्टी के आरोपों पर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने पलटवार किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है कि ब्यूरोक्रेट्स किसी का नहीं होता है. हर सरकार में ऐसे अधिकारी होते रहे हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और कार्रवाई भी होती रही. भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हो जरूर होना चाहिए मगर इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है.
कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा है कि बीजेपी के द्वारा जिस तरह से आरोप लगाए जाते हैं और उसके बाद कार्रवाई की जाती है इससे ईडी पर सवाल उठने लगते हैं. भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर हो मगर इसके पीछे ईडी का मकसद हर बार यह रहता है कि राजा को कैसे पकड़ा जाये. बहरहाल ईडी के द्वारा मनी लॉउड्रिग मामले में लगातार की जा रही कार्रवाई से राज्य में जहां प्रशासनिक महकमों में हड़कंप है वहीं सरकार के अंदर भी खलबली मची हुई है कि अगला शिकार कौन होगा.