रांची: अतिक्रमणकारियों के आगे झारखंड राज्य हाउसिंग बोर्ड इन दिनों बेबस होता दिख रहा है. लाख कोशिशों के बावजूद रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट और जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाए लोगों से खाली नहीं कराया जा सका है. ऐसे में बोर्ड को इन संपत्तियों से फूटी कौड़ी की आमदनी नहीं हो रही है. इसे ध्यान में रखते हुए आवास बोर्ड ऐसे अतिक्रमित संपत्तियों को कानूनी रूप से अतिक्रमणकारियों को ही स्वामित्व देने की तैयारी में है.
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आवास बोर्ड के सामने इसके लिए अतिक्रमणकारियों को उस संपत्ति पर रहने का कोई ना कोई प्रमाण पत्र देना होगा. प्रमाण पत्र के तौर पर या तो बिजली बिल या आधार कार्ड या नगर निगम पानी कनेक्शन या गैस कनेक्शन का प्रमाण पत्र माना जाएगा. नहीं तो आवास बोर्ड के फ्लैट में रहने वाले किसी पांच आवंटियों द्वारा उस व्यक्ति को यहां रहने का प्रमाण पत्र देना होगा. योजना के मुताबिक ऐसे लोगों से बोर्ड एक निर्धारित राशि लेकर स्वामित्व प्रदान करेगी. झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय पासवान के अनुसार, सरकार लोगों को छत देना चाहती है, ना कि छत हटाना चाहती है. इसी के तहत यह तैयारी की गई है.
विभिन्न जिलों में है हाउसिंग बोर्ड की अतिक्रमित संपत्ति: रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में झारखंड राज्य आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैट अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा जमशेदपुर में हाउसिंग बोर्ड की जमीन अतिक्रमित है, उसके बाद पलामू, हजारीबाग और धनबाद है. जहां बड़ी संख्या में हाउसिंग की फ्लैट पर अवैध रूप से लोग कब्जा जमाए हुए हैं.
इधर, हाउसिंग बोर्ड के इस निर्णय पर लोग आपत्ति जताने लगे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता सुशांतो की मानें तो इस खेल में कहीं ना कहीं अधिकारियों की बड़ी भूमिका है. जिसके कारण सरकारी जमीन की लूट राज्य में हो रही है. वहीं झारखंड बचाओ मोर्चा से जुड़े विजय शंकर नायक ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे कहीं ना कहीं अतिक्रमण को बढ़ावा मिलेगा. आवास बोर्ड को चाहिए कि नए सिरे से ऐसे फ्लैट और जमीनों को लॉटरी कर आवंटित करने का काम करे.