रांची: अपराध की दुनिया में एक हसीना, फर्जी पुलिस और यूट्यूबर की खौफनाक दास्तां है. एक ऐसी साजिश जिसमें कोई फंसा तो समझो गया. इस खेल में जरा सी चूक पूरे परिवार को तबाह कर सकती है और हंसती खेलती दुनिया उजड़ सकती है.
हनी ट्रैप यह खेल थोड़ा अलग है. कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण बदनाम गलियों में जब लोगों का जाना कम हो गया तब कुछ लड़कियों ने साइबर अपराध का हाथ थाम लिया. इसके बाद इस गिरोह ने शुरू किया हनीट्रैप का धंधा. धीरे-धीरे यह धंधा अब सेक्स के बड़े कारोबार का रूप ले रहा है.
लड़कियों पर कमेंट्स करने वालों पर होती है नजर
एटीएम और खातों से रकम उड़ाने वाले साइबर अपराधियों ने लॉकडाउन के दौरान ठगी का यह नया तरीका इजाद किया है. यह गिरोह सबसे पहले अपना शिकार चुनता है. शिकार चुनने के लिए यह सोशल साइट्स में ऐसे लोगों की हरकतों पर नजर रखता है जो लड़कियों की तस्वीरों पर खूब कमेंट्स और लाइक करते हैं. जैसे ही शिकार तय होता है, सबसे पहले उसे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा जाता है.
फोन पर ऑनलाइन सेक्स के लिए उकसाती है महिला
फ्रेंड रिक्वेस्ट मंजूर होते ही गिरोह की महिला सदस्य शिकार के साथ किसी न किसी बहाने से चैट शुरू कर देती है. चैट के दौरान ही फोन नबंर लिया जाता है. इसके बाद बातचीत फेसबुक से हट कर वाट्सअप कॉल तक आ जाती है. इस दौरान लड़की अपने शिकार को ऑनलाइन सेक्स के लिए उकसाती है. पहले लड़की अश्लील हरकत करती है. दूसरी तरफ से भी वही हरकत होती है तब लड़की उसे रिकॉर्ड कर लेती है. यहीं से शुरू होता है सेक्स के नाम पर ब्लैकमेलिंग का खेल और अब दो लोगों की एंट्री होती है.
यहां से दो लोगों की एंट्री...
वीडियो रिकॉर्ड करने वाली लड़की अपने शिकार से उसके वीडियो के लिए पैसे की डिमांड करती है. साथ में यह भी धमकी देती है कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो वह वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड कर देगी. अगर शिकार नहीं डरा तो थोड़ी देर बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारी के नाम पर फोन आना शुरू होता है और यह बताया जाता है कि उसके ऊपर मामला दर्ज हो चुका है. अगर बचना है तो वह लड़की को पैसे दे दे.
अभी पीड़ित क्राइम ब्रांच के अधिकारी से बात करता ही रहता है कि थोड़ी ही देर में उसे एक यूट्यूबर का भी कॉल आ जाता है. वह बताता है कि उसे एक वीडियो अपलोड करने के लिए दिया गया है. अगर इसके एवज में वह पैसे नहीं देता है तो यह वीडियो यूट्यूब पर अपलोड कर दिया जाएगा. उधर, लड़की भी अपने शिकार को लगातार पैसे के लिए धमकाते रहती है. थक हार कर शिकार पैसे देकर पीछा छुड़ाता है.
सामने नहीं आ रहे लोग
हुस्न के इस फरेब जाल में फंसे लोग समाज में बदनामी के डर से सामने भी नहीं आ रहे हैं. ठगी के शिकार अधिकांश ऐसे लोग हैं जिनका भरा पूरा परिवार है. परिवारिक जिंदगी तबाह होने के खौफ की वजह से पुलिस तक मामला नहीं पहुंच पा रहा है. कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाई भी लेकिन वे सिर्फ पुलिस से पर्सनल मदद चाहते हैं ताकि मामला सामने न आए.
बेहद शातिर है गिरोह
साइबर अपराधियों के गिरोह में शामिल युवतियां बेहद शातिर हैं. वह सुनियोजित तरीके से लोगों को झांसे में लेती है. कई स्थानों पर तो ठगी का सिलसिला मिस कॉल से शुरू होता है. रॉन्ग नंबर लगने की बात कह कर बताया जाता कि सामने कोई महिला बात कर रही है क्या. इसके बाद गिरोह के सदस्य अपने शिकार की गतिविधि चेक करते हैं.
अगर उसकी तरफ से कॉल नहीं गई तो युवतियों की तरफ से व्हाट्स एप या फेसबुक पर चैटिंग की शुरुआत की जाती है. घर, परिवार या पति से परेशान बताकर सहानुभूति बटोरी जाती है और फिर बातचीत का सिलसिला शुरू होता है. इसी बीच अश्लील वीडियो कॉल कर और उसे रिकॉर्ड कर ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी जाती है.
पुलिस अधिकारियों के प्रोफाइल का इस्तेमाल
यह गिरोह पुलिस अधिकारियों के प्रोफाइल का ही इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम दे रहा है. लड़कियां अपने शिकार को असली पुलिस वाले की तस्वीर से धमकाती है. रांची के साइबर डीएसपी सुमित कुमार की वर्दी वाली तस्वीर दिखाकर लाखों से ठगी करने वाले 11 साइबर अपराधी बीते मंगलवार को राजस्थान के अलवर से पकड़े गए हैं.
एक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ रांची में ही 60 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें वीडियो कॉल के जरिए अश्लील वीडियो बनाकर लोगों को ब्लैकमेल किया गया. पुलिस के अनुसार साइबर अपराधियों की ठगी का ये तरीका लॉकडाउन के दौरान शुरू हुआ था. राजधानी रांची में जो मामले सामने आए उनकी रिपोर्ट नहीं हुई है. रांची पुलिस ने इसको लेकर अलर्ट भी जारी किया था. लोगों से अपील की गई थी कि वे इस तरह का कॉल नहीं उठाएं. अगर कोई व्यक्ति ब्लैकमेल करता है तो इसकी जानकारी पुलिस को तुरंत दें.