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झारखंड की गाड़ियों में कब लगेगा हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट, क्यों और कहां लटका है मामला, ट्रांसपोर्टर्स हैं परेशान - रांची न्यूज

झारखंड में 1 अप्रैल 2019 के बाद निर्मित सभी तरह के वाहनों के लिए हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट (High security number plates) को अनिवार्य कर दिया गया है. झारखंड परिवहन विभाग की लापरवाही और सुस्ती की वजह से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

High security number plates
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Published : Dec 9, 2022, 7:07 PM IST

Updated : Dec 9, 2022, 8:22 PM IST

रांची: झारखंड परिवहन विभाग की लापरवाही और सुस्ती की वजह से झारखंड के ट्रांसपोर्टर्स परेशान (Transporters of Jharkhand upset) हैं. उनकी जेब ढीली हो रही है. मामला हाई सिक्युरिटी रजिस्टेशन प्लेट से जुड़ा है. दरअसल, झारखंड में 1 अप्रैल 2019 के बाद निर्मित सभी तरह के वाहनों के लिए हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट (High security number plates) यानी एचएसआरपी को अनिवार्य कर दिया गया है. झारखंड परिवहन विभाग भी इससे इत्तेफाक रखता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड में विभाग ने इसके लिए सितंबर 2011 में ही पहल कर दी थी लेकिन अगस्त 2012 से हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट बनाने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय मोटहवाहन नियमावली 1989 के संशोधित नियम 50 के तहत और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 28 मार्च 2001 को जारी अधिसूचना के अलावा मनींद्रजीत सिंह बिट्टा बनाम भारत सरकार और अन्य मामले में साल 2008 और 2011 में आये फैसलों के आलोक में झारखंड में भी हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट योजना को लागू करने के लिए निविदा निकाली गई थी. निविदा के आधार पर मेसर्स आर्गोस इंपेक्स प्रा.लि. नामक कंपनी के एल-1 होने पर अप्रैल 2012 में एकरारनामा किया गया था. लेकिन कंपनी ने नियम और शर्तों के तहत काम नहीं किया. इस आधार पर अगस्त 2012 को एकरारनामा रद्द करते हुए कंपनी और उसके ज्वाइंट वेंचर्स को अगले पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. तब से यह मामला आरबिट्रेशन ट्रिब्युनल के पास विचाराधीन है. विभाग की इस सफाई से साफ है कि जबतक ट्रिब्युनल का फैसला नहीं आ जाता, तबतक नये सीरे से इस दिशा में कवायद नहीं हो पाएगी. खास बात है कि परिवहन विभाग के अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

रांची गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता सुनील सिंह ने बताया कि झारखंड परिवहन विभाग का पाप ट्रांसपोर्टर्स को ढोना पड़ रहा है. हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं होने से खासकर यूपी और साउथ में दिक्कत होती है. एक सिपाही भी गाड़ी को रोक देता है. इस दौरान मैनेज करने में काफी दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टर्स का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. इसी वजह से अब परिवहन विभाग में बोलना बंद कर दिया गया है. अगर परमिट फेल है तो ये लोग तुरंत फाइन वसूलते हैं. लेकिन वक्त पर परमिट जारी नहीं करते.

क्या है हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट: हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट यानी एचएसआरपी एक होलोग्राम स्टीकर होता है. स्टीकर पर गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर दर्ज होता है. इसको वाहन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इस नंबर को प्रेशर मशीन से प्रिंट किया जाता है. वाहन में लगने में बाद इस प्लेट को कोई नहीं खोल पाएगा. पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों के लिए हरे नीले रंग का और डीजल गाड़ियों के लिए नारंगी रंग का स्टीकर होता है. कई दूसरे राज्य इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं.

रि-रजिस्ट्रेशन की भी सुस्त रफ्तार: झारखंड में हर दिन गाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. राज्य बनने के बाद साल 2001 में झारखंड में निबंधित वाहनों की कुल संख्या 22,240 थी जो नवंबर 2022 तक बढ़कर 66,69,640 हो गयी है. इसमें 15 साल पुरानी गाड़ियों की तादात अच्छी खासी है. खराब फिटनेस के कारण बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इसी साल से राज्य में न सिर्फ कॉमर्शिल और फोर व्हीलर बल्कि सभी गाड़ियों का दोबारा रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन इसका कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है. राजधानी रांची में ही 1200 से ज्यादा ऐसे ऑटो चल रहे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन फेल हो चुका है.

रांची: झारखंड परिवहन विभाग की लापरवाही और सुस्ती की वजह से झारखंड के ट्रांसपोर्टर्स परेशान (Transporters of Jharkhand upset) हैं. उनकी जेब ढीली हो रही है. मामला हाई सिक्युरिटी रजिस्टेशन प्लेट से जुड़ा है. दरअसल, झारखंड में 1 अप्रैल 2019 के बाद निर्मित सभी तरह के वाहनों के लिए हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट (High security number plates) यानी एचएसआरपी को अनिवार्य कर दिया गया है. झारखंड परिवहन विभाग भी इससे इत्तेफाक रखता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड में विभाग ने इसके लिए सितंबर 2011 में ही पहल कर दी थी लेकिन अगस्त 2012 से हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट बनाने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय मोटहवाहन नियमावली 1989 के संशोधित नियम 50 के तहत और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 28 मार्च 2001 को जारी अधिसूचना के अलावा मनींद्रजीत सिंह बिट्टा बनाम भारत सरकार और अन्य मामले में साल 2008 और 2011 में आये फैसलों के आलोक में झारखंड में भी हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट योजना को लागू करने के लिए निविदा निकाली गई थी. निविदा के आधार पर मेसर्स आर्गोस इंपेक्स प्रा.लि. नामक कंपनी के एल-1 होने पर अप्रैल 2012 में एकरारनामा किया गया था. लेकिन कंपनी ने नियम और शर्तों के तहत काम नहीं किया. इस आधार पर अगस्त 2012 को एकरारनामा रद्द करते हुए कंपनी और उसके ज्वाइंट वेंचर्स को अगले पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. तब से यह मामला आरबिट्रेशन ट्रिब्युनल के पास विचाराधीन है. विभाग की इस सफाई से साफ है कि जबतक ट्रिब्युनल का फैसला नहीं आ जाता, तबतक नये सीरे से इस दिशा में कवायद नहीं हो पाएगी. खास बात है कि परिवहन विभाग के अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

रांची गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता सुनील सिंह ने बताया कि झारखंड परिवहन विभाग का पाप ट्रांसपोर्टर्स को ढोना पड़ रहा है. हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं होने से खासकर यूपी और साउथ में दिक्कत होती है. एक सिपाही भी गाड़ी को रोक देता है. इस दौरान मैनेज करने में काफी दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टर्स का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. इसी वजह से अब परिवहन विभाग में बोलना बंद कर दिया गया है. अगर परमिट फेल है तो ये लोग तुरंत फाइन वसूलते हैं. लेकिन वक्त पर परमिट जारी नहीं करते.

क्या है हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट: हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट यानी एचएसआरपी एक होलोग्राम स्टीकर होता है. स्टीकर पर गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर दर्ज होता है. इसको वाहन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इस नंबर को प्रेशर मशीन से प्रिंट किया जाता है. वाहन में लगने में बाद इस प्लेट को कोई नहीं खोल पाएगा. पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों के लिए हरे नीले रंग का और डीजल गाड़ियों के लिए नारंगी रंग का स्टीकर होता है. कई दूसरे राज्य इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं.

रि-रजिस्ट्रेशन की भी सुस्त रफ्तार: झारखंड में हर दिन गाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. राज्य बनने के बाद साल 2001 में झारखंड में निबंधित वाहनों की कुल संख्या 22,240 थी जो नवंबर 2022 तक बढ़कर 66,69,640 हो गयी है. इसमें 15 साल पुरानी गाड़ियों की तादात अच्छी खासी है. खराब फिटनेस के कारण बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इसी साल से राज्य में न सिर्फ कॉमर्शिल और फोर व्हीलर बल्कि सभी गाड़ियों का दोबारा रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन इसका कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है. राजधानी रांची में ही 1200 से ज्यादा ऐसे ऑटो चल रहे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन फेल हो चुका है.

Last Updated : Dec 9, 2022, 8:22 PM IST
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