रांची: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 (High school teacher recruitment exam 2016 ) मामले में राज्य सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. बुधवार को होनेवाली कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाने की तैयारी है. संभावना यह जताई जा रही है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते हुए 2016 से चल रही इस नियुक्ति में पदों की संख्या और प्रक्रिया में बदलाव लाएगी.
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शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने जानकारी देते हुए कहा कि सोनी कुमारी और अन्य के मामले में पिछले दिनों मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होना पड़ा था. राज्य सरकार इस विज्ञापन को लेकर जारी नियुक्ति पर गंभीर है और कैबिनेट में विचारोपरांत फैसला लेगी. इधर, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 14 दिसंबर को एक बार फिर सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट में पिछले सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने समय लिया था.
याचिकाकर्ता सोनी कुमारी ने सुरक्षा की लगाई गुहार: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 के मामले में हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कानूनी लड़ाई जीतने वाली सोनी कुमारी ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है. सोनी कुमारी ने 14 दिसंबर को सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जाने के दौरान छात्र संगठनों के संभावित विरोध को देखते हुए टाटी सिल्वे थाने में आवेदन दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले में याचिका दाखिल करनेवाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया झारखंड कर्मचारी कर्मचारी चयन आयोग ने शुरू की है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने ऐसे 245 अभ्यर्थियों की सूची जारी की है जिसने कोर्ट के समक्ष अपील की थी. इन अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच 14 और 15 दिसंबर को नामकुम स्थित आयोग कार्यालय में होगा. इसके अलावा आयोग ने 37 वैसे याचिकाकर्ता की सूची जारी किया है जिनका रौल नंबर एवं आवेदित विषय उपलब्ध नहीं है. ऐसे अभ्यर्थियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने झारखंड उच्च न्यायालय रांची में दायर IA की सत्यापित प्रति के साथ अपने प्रवेश पत्र की प्रति आयोग कार्यालय में 13 दिसंबर तक जमा करने को कहा है जिससे इनके दावे का सत्यापन कर आगे की कार्यवाई हो सके.
इधर, इस परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए आनेवाले पेटिशनर बने अभ्यर्थियों का जेएसएससी के समक्ष विरोध करने की धमकी दी है. इसके अलावा
सरकार और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अन्य अभ्यर्थियों के मेरिट लिस्ट तैयार करवा कर जेएसएससी को नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. परीक्षार्थियों का मानना है कि इस संबंध में ना तो जेएसएससी ने कोई सूचना जारी की है और ना ही शिक्षा विभाग का कोई गाइडलाइन आया है. ऐसे में मेरिट लिस्ट जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे झारखंड के विभिन्न जिलों के हजारों विद्यार्थी परेशान हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है राज्य सरकार को निर्देश: 2 दिसंबर को अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटिशनर की मेधा सूची तैयार करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह उपस्थित हुए थे. इस मामले में दाखिल कंटेम्प्ट केस के माध्यम से सोनी कुमारी ने कहा था कि इस वर्ष 2 अगस्त को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और राज्य सरकार द्वारा अवहेलना की जा रही है. जिसके खिलाफ प्रार्थी सोनी कुमारी ने झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ अवमानना वाद दाखिल किया था.
प्रार्थी का मानना था कि जेएसएससी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. मगर जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया है. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद जेएसएससी ने कॉउसिलिंग के लिए लिस्ट जारी करना शुरू किया था. जिसके बाद मेरिट लिस्ट को लेकर विवाद गहराने लगा और एक फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया.
2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था, वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी.
13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.