रांची: झारखंड विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट पेश होने के बाद बजट को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. बजट पर झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं की भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई है. कुछ अधिवक्ताओं का कहना है कि बजट बहुत अच्छा है तो कुछ अधिवक्ताओं ने इसे मिश्रित बजट बताया. जबकि कुछ अधिवक्ताओं का कहना है कि इस बजट में अधिवक्ताओं के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
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बजट में कई पहलुओं पर दिया गया ध्यान
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झारखंड सरकार ने जो बजट पेश किया है, वह बहुत ही अच्छा बजट है. इस बजट में कृषि, सिंचाई, रोजगार और स्वास्थ्य के अवसर पर फोकस किया गया है. यह बहुत ही सराहनीय कदम है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जिस तरह से स्वास्थ्य और शिक्षा पर फोकस किया है, इससे स्पष्ट होता है कि राज्य में अगर शिक्षा का विकास होगा, स्वास्थ्य सही रहेगा तो ही राज्य का विकास निश्चित ही होगा.
कृषि ऋण माफ करने का प्रावधान सराहनीय
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास दुबे ने झारखंड सरकार के इस बजट को बहुत ही सराहनीय बजट कहा है. उन्होंने कहा कि इस बजट में कृषि पर फोकस किया गया है, जो एक सराहनीय कदम है. यहां के किसान काफी कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं. उनका कृषि ऋण माफ करने की बजट में जो प्रावधान किया गया है, वह सराहनीय है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने मनरेगा मजदूरों के लिए जो 31 रुपए मजदूरी बढ़ाई है, वह भी दर्शाता है कि मजदूर के हित में यह बजट है. इसके अलावा भी बजट में जो ग्रामीण और अन्य बिंदुओं पर फोकस किया गया है, वह भी सराहनीय है.
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बजट में अधिवक्ताओं के लिए कुछ नहीं
हाई कोर्ट के अधिवक्ता रजनीश कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार की ओर से पेश की गई बजट अच्छी है. इस बजट में वित्त मंत्री ने बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया है. इसमें ग्रामीण कृषि, मजदूर, शिक्षा और अन्य बिंदुओं पर फोकस किया गया है, वह काबिले तारीफ है. इस सरकार से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. वहीं, इस बजट पर झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष धीरज कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनहोंने कहा कि झारखंड सरकार की बजट अधिवक्ता विरोधी बजट है. इसमें अधिवक्ताओं के लिए कुछ भी नहीं है. कोविड-19 में जिस तरह से अधिवक्ताओं की स्थिति खराब हुई है और वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को अधिवक्ताओं के लिए कुछ तो करना चाहिए था, लेकिन झारखंड सरकार के इस बजट में अधिवक्ताओं के लिए कुछ भी नहीं है.