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झारखंड की सरकारों को उंगली पर नचा रहे हैं ब्यूरोक्रेट्स ! पुरानी योजना के नाम बदल कर दिला रहे क्रेडिट, पढ़ें रिपोर्ट

झारखंड में पुरानी योजनाओं के नाम बदलकर नई योजना के तौर पर पेश किया जा रहा है. मुख्यमंत्री सुकन्या योजना, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के रूप में बदल गया है. क्या झारखंड में अधिकारी यहां की सरकारों को अपनी उंगली पर नचा रहे हैं.

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Published : Mar 29, 2023, 6:28 PM IST

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुख्यमंत्री सुकन्या योजना कब सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना बन गई पता ही नहीं चला. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चाईबासा में इस योजना को 2 फरवरी 2019 को लांच किया था. तब उनका मकसद था कि भ्रूण हत्या और बाल विवाह रुके. बेटियों को सम्मान मिले. बेटियां पढ़-लिखकर आगे बढ़ें. उनकी पढ़ाई और सपनों के आड़े गरीबी ना आए. लेकिन उनकी योजना रफ्तार पकड़ती, इससे पहले ही आचार संहिता लागू हो गई और 2019 के चुनाव में उनकी कुर्सी खिसक गई. लेकिन अच्छी बात यह रही कि वह योजना मरी नहीं.

ये भी पढ़ें- सावित्री फुले किशोरी समृद्धि योजना से जुड़ेंगी हजारों लड़कियां, आठवीं से बारहवीं तक की छात्राओं को मिलेगा लाभ

अव्वल तो ये कि रघुवर सरकार को हटाकर मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने जब सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना का शुभारंभ किया तो लगा कि यह सरकार बेटियों के लिए कुछ नया लेकर आई है. लिहाजा, खूब तालियां बजीं. महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग से जुड़ी इस योजना को झारखंड की गरीब बेटियों के लिए मील का पत्थर बताया गया. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नई योजना के नाम पर पुराने प्रोडक्ट का सिर्फ कवर बदल दिया गया.

नाम बदलते ही बदल गया फॉर्मेट: तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में शुरू मुख्यमंत्री सुकन्या योजना के तहत बेटी के जन्म पर मां के खाते में ₹5000, पहली कक्षा में दाखिले पर ₹5000, पांचवी पास करने पर ₹5000, आठवीं पास करने पर ₹5000 दसवीं पास करने पर ₹5000 और 12वीं पास करने पर ₹5000 के अलावा 18 साल की उम्र पूरी करने पर अतिरिक्त ₹10000 यानी कुल 40000 रु. रुपए देने का प्रावधान था. इतना ही नहीं 7 किस्त में ₹40000 देने के अलावा बेटी की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अलग से ₹30000 देने की बात थी. कुल मिलाकर कहें तो मकसद था कि बच्ची पढ़ भी लेती, बालपन को पार भी कर जाती, भविष्य का सफर तय करने योग्य बन जाती और इस बीच गरीब परिवार वाले धूमधाम से शादी भी कर देते. रघुवर दास की सरकार ने इस योजना में एसईसीसी डाटा के तहत शामिल 27 लाख परिवारों को जोड़ा था.

सावित्रीबाई फुले योजना का फॉर्मेट: 2019 के दिसंबर माह में सरकार बदली तो उसका सामना कोरोना से हुआ. 2 साल तक कोरोना से जूझने के बाद सरकार ने जब लोक कल्याण पर फोकस करना शुरू किया तो यहां के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री सुकन्या योजना को नया नाम और नया तरीका देकर पेश कर दिया. लिहाजा, 2019 की योजना को नये नाम के साथ फिर घोषित हुई. फर्क इतना था बच्ची के जन्म के बजाय आठवीं कक्षा में नामांकन पर ₹2500, नवी कक्षा में नामांकन पर ₹2500, दसवीं कक्षा में नामांकन पर ₹5000, 11वीं में नामांकन पर ₹5000 और 12वीं में नामांकन पर ₹5000 के अलावा 18 साल की उम्र पूरी करने पर ₹20000 देने की व्यवस्था कर दी.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री सुकन्या योजना की लोगों को नहीं है पूरी जानकारी, बेटियों का कैसे होगा पूर्ण विकास ?

अब सवाल है कि क्या बदला. अंतर बस इतना आया कि रघुवर दास वाली योजना में जन्म के साथ ही पैसे देने की व्यवस्था थी लेकिन हेमंत सरकार की योजना में आठवीं से खाता खोलने की व्यवस्था की गई है. रघुवर सरकार ने 7 इंस्टॉलमेंट में 40,000 देने की बात कही थी. जबकि हेमंत सरकार 6 इंस्टॉलमेंट में 40,000 रुपए दे रही है. जाहिर है कि यह करिश्मा ब्यूरोक्रेट्स ही कर सकते हैं. हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि भले नाम बदला हो, लेकिन इस योजना को गंभीरता से क्रियान्वित किया गया तो आने वाले दिनों में राज्य में बड़ा सामाजिक बदलाव देखने को मिल सकता है.

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुख्यमंत्री सुकन्या योजना कब सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना बन गई पता ही नहीं चला. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चाईबासा में इस योजना को 2 फरवरी 2019 को लांच किया था. तब उनका मकसद था कि भ्रूण हत्या और बाल विवाह रुके. बेटियों को सम्मान मिले. बेटियां पढ़-लिखकर आगे बढ़ें. उनकी पढ़ाई और सपनों के आड़े गरीबी ना आए. लेकिन उनकी योजना रफ्तार पकड़ती, इससे पहले ही आचार संहिता लागू हो गई और 2019 के चुनाव में उनकी कुर्सी खिसक गई. लेकिन अच्छी बात यह रही कि वह योजना मरी नहीं.

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अव्वल तो ये कि रघुवर सरकार को हटाकर मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने जब सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना का शुभारंभ किया तो लगा कि यह सरकार बेटियों के लिए कुछ नया लेकर आई है. लिहाजा, खूब तालियां बजीं. महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग से जुड़ी इस योजना को झारखंड की गरीब बेटियों के लिए मील का पत्थर बताया गया. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नई योजना के नाम पर पुराने प्रोडक्ट का सिर्फ कवर बदल दिया गया.

नाम बदलते ही बदल गया फॉर्मेट: तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में शुरू मुख्यमंत्री सुकन्या योजना के तहत बेटी के जन्म पर मां के खाते में ₹5000, पहली कक्षा में दाखिले पर ₹5000, पांचवी पास करने पर ₹5000, आठवीं पास करने पर ₹5000 दसवीं पास करने पर ₹5000 और 12वीं पास करने पर ₹5000 के अलावा 18 साल की उम्र पूरी करने पर अतिरिक्त ₹10000 यानी कुल 40000 रु. रुपए देने का प्रावधान था. इतना ही नहीं 7 किस्त में ₹40000 देने के अलावा बेटी की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अलग से ₹30000 देने की बात थी. कुल मिलाकर कहें तो मकसद था कि बच्ची पढ़ भी लेती, बालपन को पार भी कर जाती, भविष्य का सफर तय करने योग्य बन जाती और इस बीच गरीब परिवार वाले धूमधाम से शादी भी कर देते. रघुवर दास की सरकार ने इस योजना में एसईसीसी डाटा के तहत शामिल 27 लाख परिवारों को जोड़ा था.

सावित्रीबाई फुले योजना का फॉर्मेट: 2019 के दिसंबर माह में सरकार बदली तो उसका सामना कोरोना से हुआ. 2 साल तक कोरोना से जूझने के बाद सरकार ने जब लोक कल्याण पर फोकस करना शुरू किया तो यहां के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री सुकन्या योजना को नया नाम और नया तरीका देकर पेश कर दिया. लिहाजा, 2019 की योजना को नये नाम के साथ फिर घोषित हुई. फर्क इतना था बच्ची के जन्म के बजाय आठवीं कक्षा में नामांकन पर ₹2500, नवी कक्षा में नामांकन पर ₹2500, दसवीं कक्षा में नामांकन पर ₹5000, 11वीं में नामांकन पर ₹5000 और 12वीं में नामांकन पर ₹5000 के अलावा 18 साल की उम्र पूरी करने पर ₹20000 देने की व्यवस्था कर दी.

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अब सवाल है कि क्या बदला. अंतर बस इतना आया कि रघुवर दास वाली योजना में जन्म के साथ ही पैसे देने की व्यवस्था थी लेकिन हेमंत सरकार की योजना में आठवीं से खाता खोलने की व्यवस्था की गई है. रघुवर सरकार ने 7 इंस्टॉलमेंट में 40,000 देने की बात कही थी. जबकि हेमंत सरकार 6 इंस्टॉलमेंट में 40,000 रुपए दे रही है. जाहिर है कि यह करिश्मा ब्यूरोक्रेट्स ही कर सकते हैं. हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि भले नाम बदला हो, लेकिन इस योजना को गंभीरता से क्रियान्वित किया गया तो आने वाले दिनों में राज्य में बड़ा सामाजिक बदलाव देखने को मिल सकता है.

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