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Jharkhand High Court: सीयूजे अनियमितता के खिलाफ दिए एकल पीठ के आदेश को युगल पीठ ने किया निरस्त

झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड (सीयूजे) (Central University Jharkhand) के एक मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद अदालत ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया.

Hearing of CUJ irregularity case in Jharkhand High Court
Hearing of CUJ irregularity case in Jharkhand High Court
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Published : Jul 31, 2021, 10:00 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड (सीयूजे) (Central University Jharkhand) के एक मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद अदालत ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया.

इसे भी पढ़ें- रांची: CUJ के निलंबित कर्मचारी के मामले में हुई सुनवाई, अदालत ने दिए ये निर्देश

अदालत ने कहा कि सीयूजे के चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. ईश्वरचंद्र के खिलाफ तीन माह के अंदर विभागीय कार्रवाई को पूरी करें. एकल पीठ ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी, झारखंड के उस आदेश को निरस्त कर दिया था. जिसमें यूनिवर्सिटी ने मेडिकल पदाधिकारी डाॅ. ईश्वरचंद्र को वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की थी. एकल पीठ के आदेश के खिलाफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोज टंडन ने बताया कि डाॅ. ईश्वरचंद्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में नियुक्त हुए थे. वित्तीय अनियमितता के आरोप में 9 मई 2019 को उनको निलंबित कर दिया गया. इसके खिलाफ डाॅ. ईश्वरचंद्र ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल पीठ ने सुनवाई के बाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की ओर से इनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को निरस्त कर दिया.

उन्होंने अदालत को बताया कि डाॅ. ईश्वरचंद्र के खिलाफ यूनिवर्सिटी अभी आरोप गठित कर कार्रवाई शुरू की है. एकल पीठ को इस मामले में हस्तक्षेप करने का उचित समय नहीं था. ऐसे में एकल पीठ के आदेश को निरस्त किया जाए. इस पर अदालत ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया. अदालत ने यूनिवर्सिटी को कहा कि इस मामले में 3 माह के अंदर सारी कार्रवाई पूरी कर ली जाए.

पहले की सुनवाई में क्या हुआ था

झारखंड हाई कोर्ट ने सीयूजे के निलंबित पदाधिकारी के मामले में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें आजीविका भत्ता देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने सीयूजे की अपील पर सुनवाई करते हुए सीयूजे को निर्देश दिया कि सुनवाई लंबित रहने तक चिकित्सा पदाधिकारी को अजीविका भत्ता दिया जाए.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड (सीयूजे) (Central University Jharkhand) के एक मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद अदालत ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया.

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अदालत ने कहा कि सीयूजे के चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. ईश्वरचंद्र के खिलाफ तीन माह के अंदर विभागीय कार्रवाई को पूरी करें. एकल पीठ ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी, झारखंड के उस आदेश को निरस्त कर दिया था. जिसमें यूनिवर्सिटी ने मेडिकल पदाधिकारी डाॅ. ईश्वरचंद्र को वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की थी. एकल पीठ के आदेश के खिलाफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी.

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोज टंडन ने बताया कि डाॅ. ईश्वरचंद्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में नियुक्त हुए थे. वित्तीय अनियमितता के आरोप में 9 मई 2019 को उनको निलंबित कर दिया गया. इसके खिलाफ डाॅ. ईश्वरचंद्र ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल पीठ ने सुनवाई के बाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की ओर से इनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को निरस्त कर दिया.

उन्होंने अदालत को बताया कि डाॅ. ईश्वरचंद्र के खिलाफ यूनिवर्सिटी अभी आरोप गठित कर कार्रवाई शुरू की है. एकल पीठ को इस मामले में हस्तक्षेप करने का उचित समय नहीं था. ऐसे में एकल पीठ के आदेश को निरस्त किया जाए. इस पर अदालत ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया. अदालत ने यूनिवर्सिटी को कहा कि इस मामले में 3 माह के अंदर सारी कार्रवाई पूरी कर ली जाए.

पहले की सुनवाई में क्या हुआ था

झारखंड हाई कोर्ट ने सीयूजे के निलंबित पदाधिकारी के मामले में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें आजीविका भत्ता देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने सीयूजे की अपील पर सुनवाई करते हुए सीयूजे को निर्देश दिया कि सुनवाई लंबित रहने तक चिकित्सा पदाधिकारी को अजीविका भत्ता दिया जाए.

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