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एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, सरकार से मांगी अपडेट जानकारी

झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति (Appointment of vacant posts in FSL) मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि अधिसूचना वापस क्यों नहीं भेजी गयी, जिसपर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. अदालत ने राज्य सरकार को शीघ्र अधिसूचना कर्मचारी चयन आयोग को भेजने को कहा है.

Jharkhand High Court
एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई
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Published : Nov 18, 2022, 6:40 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य नयायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री(एफएसएल) में रिक्त पदों पर नियुक्ति (Appointment of vacant posts in FSL) मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग से पूछा की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है. इसके जवाब में आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कहा कि आयोग ने कुछ जानकारी मांगते हुए सरकार को अधिसूचना वापस कर दिया था. इसके बाद सरकार के पास से अभी तक अधिसूचना कर्मचारी चयन आयोग को नहीं भेजा गया है. इसलिए नियक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है.

यह भी पढ़ेंः एफएसएल के रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, सरकार से मांगा लिखित जवाब

अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि अधिसूचना वापस क्यों नहीं भेजा गया, जिसपर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. अदालत ने राज्य सरकार को शीघ्र अधिसूचना कर्मचारी चयन आयोग को भेजने को कहा है. इसके साथ ही आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर अवगत कराने का निर्देश दिया है. अब इस मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है.

पहले सुनवाई के दौरान इस मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में चतुर्थवर्गीय पदों के लिए जेएसएससी को अधियाचना भेज दी गई है. आउटसोर्सिंग पर लिए गए कर्मियों को रेगुलराइज करने के लिए बैठक की जा रही है. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. अपने मौखिक टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट एफएसएल में नियुक्ति के संदर्भ में मॉनिटरिंग कर रहा है तो कोर्ट से बिना पूछे हुए कैसे इस संबंध में बैठक की जा रही है.


पूर्व की सुनवाई में अदालत ने सरकार से पूछा था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं साथ ही रिक्त पदों की संख्या और काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या कितनी है. सरकार से इस संबंध में जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी थी. सरकार की ओर से पूर्व में बताया गया था कि रिक्त पदों पर जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से जो अनुशंसा की गई थी, उसकी नियुक्ति हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने अन्य पदों के बारे में जानकारी मांगी थी.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य नयायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री(एफएसएल) में रिक्त पदों पर नियुक्ति (Appointment of vacant posts in FSL) मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग से पूछा की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है. इसके जवाब में आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कहा कि आयोग ने कुछ जानकारी मांगते हुए सरकार को अधिसूचना वापस कर दिया था. इसके बाद सरकार के पास से अभी तक अधिसूचना कर्मचारी चयन आयोग को नहीं भेजा गया है. इसलिए नियक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है.

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अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि अधिसूचना वापस क्यों नहीं भेजा गया, जिसपर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. अदालत ने राज्य सरकार को शीघ्र अधिसूचना कर्मचारी चयन आयोग को भेजने को कहा है. इसके साथ ही आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर अवगत कराने का निर्देश दिया है. अब इस मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है.

पहले सुनवाई के दौरान इस मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में चतुर्थवर्गीय पदों के लिए जेएसएससी को अधियाचना भेज दी गई है. आउटसोर्सिंग पर लिए गए कर्मियों को रेगुलराइज करने के लिए बैठक की जा रही है. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. अपने मौखिक टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट एफएसएल में नियुक्ति के संदर्भ में मॉनिटरिंग कर रहा है तो कोर्ट से बिना पूछे हुए कैसे इस संबंध में बैठक की जा रही है.


पूर्व की सुनवाई में अदालत ने सरकार से पूछा था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं साथ ही रिक्त पदों की संख्या और काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या कितनी है. सरकार से इस संबंध में जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी थी. सरकार की ओर से पूर्व में बताया गया था कि रिक्त पदों पर जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से जो अनुशंसा की गई थी, उसकी नियुक्ति हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने अन्य पदों के बारे में जानकारी मांगी थी.

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