रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में मरीजों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है, अगर बात करें सर्जरी के मरीजों की तो उनकी परेशानी का कोई समाधान अब तक नहीं निकल पाया है. आज भी राजधानी के सरकारी अस्पतालों में गरीब और जरूरतमंद लोगों को सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
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मरीज का सुध लेने वाला नहीं है कोई
ईटीवी भारत की टीम ने जब रिम्स के सर्जरी विभाग का जायजा लिया तो पाया कि यहां कई ऐसे मरीज हैं, जो महीनों से ऑपरेशन के इंतजार में अस्पताल में पड़े हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. दुमका जिले के मरीज अनीता देवी 27 फरवरी से सर्जरी विभाग में ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं. लंबा इंतजार करने के बाद भी उन्हें 22 मार्च को ऑपरेशन की तारीख मिली, जिसके लिए उन्हें कहा गया था कि मरीज को ऑपरेशन से पहले कुछ भी खाना नहीं देना है. मरीज 22 मार्च को सुबह से लेकर रात 8 बजे रात तक सिर्फ इसलिए भूखे रही कि शायद उनका ऑपरेशन हो पाएगा, लेकिन 8:00 बजे के बाद पता चला कि उसका ऑपरेशन नहीं हो पाएगा. इसके बाद उनके पति राजेंद्र मंडल ने उन्हें भोजन कराया.
ऑपरेशन के नाम पर मिलती है सिर्फ तारीख
उसके पति राजेंद्र मंडल ने बताया कि पिछले 26 दिनों से वह इसी इंतजार में हैं कि शायद उनके मरीज का ऑपरेशन हो जाएगा और वह ठीक होकर घर चली जाएगी, लेकिन ऑपरेशन के नाम पर कुछ मिल रहा है तो सिर्फ तारीख. अब अगली तारीख 25 मार्च की मिली है. अब यह देखना होगा कि 25 मार्च को ऑपरेशन हो पाता है या फिर तारीख ही मिलेगी. वहीं, धनबाद से आए मरीज धनेश्वर पंडित पिछले 20 दिनों से ऑपरेशन के इंतजार में हैं, लेकिन अभी तक उनका नंबर नहीं आया है. धनेश्वर की पत्नी रीना देवी बताती हैं कि सीढ़ी से गिरने की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी, जिसके बाद धनबाद में इलाज के लिए उन्हें भर्ती कराया था, लेकिन धनबाद के डॉक्टरों ने रिम्स रेफर कर दिया.
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मरीज और परिजन दोनों को हो रही परेशानी
रिम्स में इलाज करवाने पहुंची रीना देवी बताती हैं कि यहां आने के बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन की बात कही है, लेकिन ऑपरेशन के लिए अभी तक नंबर नहीं आया है. जब भी डॉक्टरों से इस बारे में कहा जाता हैं तो वे कुछ भी जवाब नहीं देते हैं. रीना देवी बताती हैं कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं और कमाने वाला व्यक्ति बीमार है. इसके बाद भी रिम्स के डॉक्टर उनकी मजबूरी को नहीं समझ रहे हैं. अगर जल्दी ऑपरेशन हो जाता तो वे लोग घर जा पाते और अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में जुट जाते. इधर, साहिबगंज के बरहेट इलाके से इलाज करने आए समसूई खान के परिजन बताते हैं कि डॉक्टर विनय प्रताप की यूनिट में उनके मरीज का इलाज चल रहा था और उन्होंने ऑपरेशन करने की सलाह दी थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से वे लोग डॉक्टर साहब का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक ऑपरेशन को लेकर किसी तरह का कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है.
जांच की लंबी प्रक्रिया
जब भी इसके बारे में जानने की कोशिश की जाती है तो जूनियर डॉक्टर यह कह कर टाल देते हैं कि अभी सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं है. इस वजह से कई दिनों से ऑपरेशन के लिए इंतजार कर रहे है. देवघर जिले से अपने बेटे का इलाज कराने आये एक बुजुर्ग पिता बताते हैं कि एक्सीडेंट के कारण उनके बेटे के दिमाग में चोट आई थी. इसे लेकर न्यूरो सर्जरी में ऑपरेशन कराने की सलाह दी गई, लेकिन ऑपरेशन से पहले होने वाली जांच की लंबी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद भी अभी तक ऑपरेशन की तारीख नहीं मिल पाई है. इस वजह से वे हॉस्पिटल में काफी परेशान हैं.
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मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
लोहरदगा जिले से आए मरीज प्रयाग उरांव की पत्नी बताती हैं कि उनलोगों के लिए सरकारी अस्पताल ही एक मात्र सहारा है, लेकिन यहां मरीजों को सही समय पर ऑपरेशन नहीं हो पाता है, जिस वजह से उनकी बीमारी ठीक नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि समय पर ब्लड नहीं मिलने के कारण ऑपरेशन का टाइम डॉक्टरों की ओर से नहीं दिया जा रहा है और वे ऑपरेशन के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. अगर आंकड़े की बात करें तो रिम्स में प्रतिदिन सर्जरी विभाग में माइनर और मेजर सर्जरी मिलाकर 30 से 40 ऑपरेशन किए जाते हैं. वहीं, बड़े ऑपरेशन की बात करें तो न्यूरो विभाग में प्रतिदिन 3 से 4 ऑपरेशन होते हैं. कार्डियोलॉजी विभाग में भी प्रतिदिन दो से तीन ऑपरेशन होते हैं, जबकि इन सभी विभागों में मरीजों की संख्या अत्यधिक होती है, क्योंकि सिर्फ रांची से ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य से मरीज रिम्स में ऑपरेशन कराने पहुंचते हैं.
चिकित्सकों की संख्या में कमी
मरीजों की परेशानी को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा कि मरीजों को इंतजार इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल में सर्जन की काफी कमी है. ऑपरेशन थिएटर भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है. जब मरीजों की संख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी होगी और सर्जन चिकित्सकों की संख्या में कमी आएगी तो निश्चित रूप से इंतजार की अवधि बढ़ जाती है, इसीलिए रिम्स प्रबंधन मरीजों के वेटिंग टाइम को समाप्त करने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द नए सर्जन की बहाली कर ऑपरेशन के लिए इंतजार करने वाले मरीजों को राहत दी जाएगी. ऐसे में जरूरी है कि राज्य के सभी मेडिकल संस्थानों में सर्जन चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए, ताकि उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सके और ऑपरेशन कराने वाले मरीजों को राहत मिल सके.