रांची: झारखंड के अलग अलग जिलों से हर दिन बड़ी संख्या में सर्पदंश के मामले मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राज्य के सभी मेडिकल संस्थान के निदेशक, मेडिकल अधीक्षक, सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर सर्पदंश के प्रबंधन के लिए बनाए गए भारत सरकार के प्रोटोकॉल का पूरी गंभीरता से पालन करने के निर्देश दिया है.
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अपर मुख्य सचिव ने क्या कहा: राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य सेवा) अरुण कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में मानसून की बारिश और उमस भरी गर्मी शुरू होते ही ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश की घटनाएं अचानक बढ़ जाती है. कहा है कि ऐसा देखा जा रहा है कि सांप काटने की घटना के बाद इलाज में देरी और समुदाय में जागरुकता की कमी की वजह से कुछ मौतें हुई हैं. मुख्य सचिव के मुख्य निर्देश इस प्रकार है.
- राज्य के सभी जिलों के जिला अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सभी चिकित्सा महाविद्यालय में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए तथा ई-औषधि पोर्टल पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाए.
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा पदाधिकारी एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी को नेशनल स्नेक बाइट मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण कराने का निर्देश दिया.
- सभी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तियों की रिपोर्टिंग आईडीएसपी के पोर्टल पर अनिवार्य करने की बात कही.
- सर्पदंश होने पर प्राथमिक उपचार के लिए समुदाय में जागरुकता के लिए प्रचार प्रसार सुनिश्चित करने को कहा.
क्या कहते है सर्पदंश आकंड़े: भारत में सर्पदंश के शिकार तीन से चार मिलियन लोग होते हैं, जिसमें 58 हजार की मृत्यु हो जाती है. ऐसे में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्नेक बाइट के समय पर प्रबंधन के लिए कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारियों के लिए "नेशनल स्नेक बाइट मैनेजमेंट प्रोटोकॉल" बनाया गया है.
सिर्फ 25 फीसदी सांप ही विषैले: अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में सर्पदंश के मई महीने में 31, जून महीने में 59 जुलाई महीने में अभी तक 34 केस मिलने की बात कही. अपर मुख्य सचिव ने कहा 250 प्रकार की सांप की प्रजातियां है. जिसमें सिर्फ 25 प्रतिशत सांप ही विषैले में होते हैं.
ब्लीडिंग की वजह से मौत: अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया खेतों में मिलने वाले रसेल वाइपर सांप के काटने पर मनुष्य का खून पतला होने लगता है. ब्लीडिंग की वजह से सर्पदंश के शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है. वहीं करैत काले रंग का होता है और उसपर सफेद रंग का रिंग जैसे बैंड बने होते हैं.
जून-सितंबर केस अधिक: अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जून से सितंबर माह तक सर्पदंश के मामले अधिक देखे जाते है. अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि कई दफा घबराहट की वजह से हृदय गति रुक जाने से भी मौत हो जाती है. इसलिए सांप काटने के बाद लोगों को घबराना नहीं चाहिए. बल्कि हिम्मत रखकर नजदीक के अस्पताल में चिकित्सीय परामर्श लेनी चाहिए.
नहीं पड़े झाड़ फूंक में: उन्होंने सभी स्वास्थ्य संस्थान, अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम सिरम की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया है. उन्होंने कहा है कि यह काफी महत्वपूर्ण है कि लोगों में सर्पदंश के दौरान इलाज के प्रति जागरुकता लाई जाए और उन्हें अंधविश्वास से दूर रखा जाए. कहा कि आज के समय में भी लोग झाड़ फूंक के चक्कर में पड़कर जान गंवा देते है.