रांची: झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली होने की वजह से कई आयोग डिफंक्ड अवस्था में हैं. राज्य के सूचना आयोग, महिला आयोग समेत अन्य आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है. इसको लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के सचिव को एक सप्ताह के भीतर नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के चुनाव का हल करने का निर्देश दिया है.
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अदालत ने चेतावनी भी दी है और कहा है कि अगर एक सप्ताह में यह नहीं होता है तो विधानसभा अध्यक्ष के सचिव खुद उपस्थित होकर अदालत को बताएंगे कि क्यों नहीं अब तक इस समस्या का समाधान हो पाया है. मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. इस संबंध में एडवोकेट एसोसिएशन और याचिकाकर्ता राजकुमार के अलावा अन्य कई याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर की है. सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ सूचीबद्ध कर की गई. अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा और अधिवक्ता नवीन कुमार ने पक्ष रखा. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. अब एक सप्ताह बाद इस मामले में सुनवाई होगी.
आपको बता दें कि सदन में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से कई आयोग का काम प्रभावित हो रहा है. इस मसले पर लंबे समय से राजनीति भी हो रही है. सत्ताधारी दल कई बार कह चुके हैं कि जब बाबूलाल मरांडी का मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में है तो फिर उन्हें किसी दूसरे को नेता प्रतिपक्ष मनोनीत करना चाहिए. भाजपा जानबूझकर मामले को लटका रही है. वहीं भाजपा का कहना है कि चुनाव आयोग ने भी बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक की मान्यता दे रखी है. राज्यसभा चुनाव में वह भाजपा विधायक की हैसियत से वोट भी करते हैं. फिर भी उनको विधायक दल का नेता चुने जाने के बावजूद सदन में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी जा रही है.