रांची: 12 वर्षीय आदिवासी बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार (Harassment of minor domestic servant) करने वाले मां-बेटे को अरगोड़ा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. दोनों की प्रताड़ना से तंग आकर 12 वर्षीय मासूम किसी तरह भागने में सफल हो गया था जिसके बाद उसे चाइल्ड लाइन में रखा गया था.
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एफआईआर दर्ज होने के बाद हुई गिरफ्तारी: मामला सामने आने के बाद मासूम के पिता जगलाल के द्वारा अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी. पुलिस ने अपनी जांच में यह सत्य पाया कि मां भारती उर्फ भागीरथी साहू और आशीष साहू के साथ-साथ एक अन्य व्यक्ति के द्वारा मासूम बच्चे के साथ मारपीट की जाती थी साथ ही उसे घरेलू कामकाज भी करवाया जाता था. इस दौरान कामकाज नहीं करने पर लोहे के रड से उसे दागा जाता था. पूरे मामले में भागीरथी देवी और आशीष कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं एक आरोपी अभी फरार है, उसकी गिरफ्तारी के लिए भी प्रयास किया जा रहा है.
क्या है पूरा मामला: एक सप्ताह पहले अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार को उनके क्षेत्र में एक 11 वर्षीय आदिवासी बच्चा भटकते हुए मिला था. विनोद कुमार ने बच्चे को चाइल्डलाइन को सौंप दिया था कि उसे रहने की जगह मिल जाए. चाइल्डलाइन पहुंचने के बाद बच्चा वहीं पर रह रहा था, इसी दौरान सीडब्ल्यूसी की टीम चाइल्ड लाइन पहुंची थी. इस दौरान पुलिस के द्वारा चाइल्डलाइन को सौपें बगैर बच्चे की काउंसलिंग शुरू की गई.
काउंसलिंग में जो बातें निकल कर सामने आई उसमें सामने बैठे सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों के चौंक गए. मासूम आदिवासी बच्चे ने अपनी प्रताड़ना की जो कहानी सुनाई वह बहुत ही दर्दनाक थी. मासूम में सीडब्ल्यूसी को बताया कि उसके मां-बाप ने उसे 7 साल की उम्र में ही अरगोड़ा की रहने वाली भारती कुमार को सौंप दिया था. भारती कुमार ने उसे बंधुआ मजदूर बना लिया और उसके बाद शुरू हुआ सितम का दौर.
पढ़ाने के नाम पर महिला ने बच्चे को अपने घर पर लाया था, लेकिन उससे वह अपने घरेलू काम करवाने लगी और काम में थोड़ी सा भी कोई गलती हो जाती तो बच्चे को लोहे को गर्म कर उसकी पीठ पर दागा जाता था. यहां तक की चाबी से भी उसके शरीर में जख्म किए जाते थे. मासूम ने सीडब्ल्यूसी को यह भी बताया है कि ठंड की रात में भी उसे छत पर सोने की जगह दी जाती थी. जब भी महिला के घर कोई मेहमान आता था तो उसे छत पर भेज दिया था ताकि उसके बारे में किसी को कोई जानकारी ना मिल सके.
तंग आकर हो गया था फरार: काउंसलिंग के दौरान सीडब्ल्यूसी की टीम ने मासूम बच्चे के शरीर को भी देखा उसके पीठ में 100 से अधिक चोट के निशान मिले हैं. मासूम ने सीडब्ल्यूसी को बताया की प्रताड़ना से तंग आकर वह एक दिन घर से भाग गया. स्थानीय लोगों की मदद और पुलिस के माध्यम से वह ओपन शेल्टर होम पहुंच गया.