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Lunar Eclipse 2019: गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

इस साल गुरु पूर्णिमा पर दुर्लभ योग बन रहा है. 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा. इस चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा.

चंद्र ग्रहण
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Published : Jul 15, 2019, 5:39 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 6:06 PM IST

रांची/हैदराबादः आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को देशभर में गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है लेकिन इस बार गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण की छाया पड़ने वाली है. खंडग्रास चंद्र ग्रहण को लेकर कई तरह की भ्रम की स्थिति है. धर्म में आस्था रखने वाले गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त और चंद्र ग्रहण के सूतक काल को जानना चाहते हैं वहीं विज्ञान में रुचि रखने वाले इसकी वजह समझना चाहते हैं. 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण के ठीक 14 दिन बाद अब चंद्र ग्रहण है. हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सका था लेकिन चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा.

इस साल कुल 2 चंद्र ग्रहण के योग हैं, जिसमें पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लग चुका है. अब दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लग रहा है. इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है लिहाजा इसका महत्व बढ़ जाता है. ज्योतिषीय संयोगों की वजह से इसे दुर्लभ माना जा रहा है. 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण का योग बना है. गुरु पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण की वजह से कई जगहों पर मंदिरों और आश्रमों में पूजा के समय में बदलाव किया गया है. सूतक लगने से पहले ही गुरु पूर्णिमा की पूजा खत्म करने का विधान है. सूतक लगने के बाद कोई भी शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है.

गुरु पूर्णिमा 2019 मुहूर्त
तिथि आरंभः 16 जुलाई को 01.48 बजे से
तिथि समाप्तः 17 जुलाई को 03:07 बजे तक

गुरु पूर्णिमा की पूजा सूतक लगने से पहले ही कर सकते हैं यानी 16 जुलाई की शाम 4.31 बजे के बाद मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाएंगे. धार्मिक परंपराओं के अनुसार सूतक लगने के बाद आश्रमों और मंदिरों में पूजा शुभ नहीं मानी जाती. हालांकि घर पर भगवान को स्मरण करने और पूजा पाठ करने की मनाही नहीं है. ग्रहण के दौरान खाना और सोना अच्छा नहीं माना जाता है. भगवान की भक्ति में समय बिताना श्रेष्ठ है.

चंद्र ग्रहण 2019 मुहूर्त
सूतक आरंभः 16 जुलाई की शाम 4.31बजे से
ग्रहण आरंभः 16 जुलाई रात 1.31 बजे
मध्यकालः 16 जुलाई रात 3.01 बजे
ग्रहण समाप्तः 17 जुलाई सुबह 4.30 बजे
ग्रहण कालः 2 घंटे 59 मिनट

Lunar Eclipse
कैसे होता है चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण का विज्ञान

  • सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण का योग बनता है.
  • चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है.
  • इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. खगोल विज्ञान में इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.
  • पृथ्वी का व्यास चंद्रमा के 3.70 गुना है, लिहाजा पृथ्वी की छाया से चंद्रमा की चमक नहीं दिख पाती.
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह नहीं दिखता तो इस स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं.
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा आंशिक रूप से नहीं दिखता तो इसे खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं.

रांची/हैदराबादः आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को देशभर में गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है लेकिन इस बार गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण की छाया पड़ने वाली है. खंडग्रास चंद्र ग्रहण को लेकर कई तरह की भ्रम की स्थिति है. धर्म में आस्था रखने वाले गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त और चंद्र ग्रहण के सूतक काल को जानना चाहते हैं वहीं विज्ञान में रुचि रखने वाले इसकी वजह समझना चाहते हैं. 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण के ठीक 14 दिन बाद अब चंद्र ग्रहण है. हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सका था लेकिन चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा.

इस साल कुल 2 चंद्र ग्रहण के योग हैं, जिसमें पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लग चुका है. अब दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लग रहा है. इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है लिहाजा इसका महत्व बढ़ जाता है. ज्योतिषीय संयोगों की वजह से इसे दुर्लभ माना जा रहा है. 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण का योग बना है. गुरु पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण की वजह से कई जगहों पर मंदिरों और आश्रमों में पूजा के समय में बदलाव किया गया है. सूतक लगने से पहले ही गुरु पूर्णिमा की पूजा खत्म करने का विधान है. सूतक लगने के बाद कोई भी शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है.

गुरु पूर्णिमा 2019 मुहूर्त
तिथि आरंभः 16 जुलाई को 01.48 बजे से
तिथि समाप्तः 17 जुलाई को 03:07 बजे तक

गुरु पूर्णिमा की पूजा सूतक लगने से पहले ही कर सकते हैं यानी 16 जुलाई की शाम 4.31 बजे के बाद मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाएंगे. धार्मिक परंपराओं के अनुसार सूतक लगने के बाद आश्रमों और मंदिरों में पूजा शुभ नहीं मानी जाती. हालांकि घर पर भगवान को स्मरण करने और पूजा पाठ करने की मनाही नहीं है. ग्रहण के दौरान खाना और सोना अच्छा नहीं माना जाता है. भगवान की भक्ति में समय बिताना श्रेष्ठ है.

चंद्र ग्रहण 2019 मुहूर्त
सूतक आरंभः 16 जुलाई की शाम 4.31बजे से
ग्रहण आरंभः 16 जुलाई रात 1.31 बजे
मध्यकालः 16 जुलाई रात 3.01 बजे
ग्रहण समाप्तः 17 जुलाई सुबह 4.30 बजे
ग्रहण कालः 2 घंटे 59 मिनट

Lunar Eclipse
कैसे होता है चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण का विज्ञान

  • सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण का योग बनता है.
  • चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है.
  • इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. खगोल विज्ञान में इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.
  • पृथ्वी का व्यास चंद्रमा के 3.70 गुना है, लिहाजा पृथ्वी की छाया से चंद्रमा की चमक नहीं दिख पाती.
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह नहीं दिखता तो इस स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं.
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा आंशिक रूप से नहीं दिखता तो इसे खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं.
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Lunar Eclipse 2019: आज गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

guru purnima on 16 july 2019 cause and effect of lunar eclipse



इस साल गुरु पूर्णिमा पर दुर्लभ योग बन रहा है. 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा. इस चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा.



रांची/हैदराबादः आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को देशभर में गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है लेकिन इस बार गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण की छाया पड़ने वाली है. खंडग्रास चंद्र ग्रहण को लेकर कई तरह की भ्रम की स्थिति है. धर्म में आस्था रखने वाले गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त और चंद्र ग्रहण के सूतक काल को जानना चाहते हैं वहीं विज्ञान में रुचि रखने वाले इसकी वजह समझना चाहते हैं. 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण के ठीक 14 दिन बाद अब चंद्र ग्रहण है. हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सका था लेकिन चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा.



इस साल कुल 2 चंद्र ग्रहण के योग हैं, जिसमें पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लग चुका है. अब दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लग रहा है. इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है लिहाजा इसका महत्व बढ़ जाता है. ज्योतिषीय संयोगों की वजह से इसे दुर्लभ माना जा रहा है. 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा पर ग्रहण का योग बना है. गुरु पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण की वजह से कई जगहों पर मंदिरों और आश्रमों में पूजा के समय में बदलाव किया गया है. सूतक लगने से पहले ही गुरु पूर्णिमा की पूजा खत्म करने का विधान है. सूतक लगने के बाद कोई भी शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है.



गुरु पूर्णिमा 2019 मुहूर्त

तिथि आरंभः 16 जुलाई को 01.48 बजे से

तिथि समाप्तः  17 जुलाई को 03:07 बजे तक



चंद्र ग्रहण 2019 मुहूर्त

सूतक आरंभः 6 जुलाई की शाम 4.31बजे से

ग्रहण आरंभः 16 जुलाई रात 1.31 बजे

मध्यकालः  16 जुलाई रात 3.01 बजे

ग्रहण समाप्तः 17 जुलाई सुबह 4.30 बजे

ग्रहण कालः  2 घंटे 59 मिनट



ग्रहण काल में क्या करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान लोगों को मंत्रों का जाप करना चाहिए. ग्रहण के दौरान खाना और सोना अच्छा नहीं माना जाता है. भगवान की भक्ति में समय बिताया श्रेष्ठ है.



चंद्र ग्रहण का विज्ञान




             
  • सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण का योग बनता है. 

  •          
  • चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है. 

  •          
  • इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. खगोल विज्ञान में इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.

  •          
  • पृथ्वी का व्यास चंद्रमा के 3.70 गुना है, लिहाजा पृथ्वी की छाया से चंद्रमा की चमक नहीं दिख पाती.

  •          
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह नहीं दिखता तो इस स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं.

  •          
  • जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा आंशिक रूप से नहीं दिखता तो इसे खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं.


Conclusion:
Last Updated : Jul 15, 2019, 6:06 PM IST
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