रांची: 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत विज्ञान सर्वत्र पूज्यते थीम पर बीआईटी मेसरा में विज्ञान प्रौद्योगिकी महोत्सव का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस भी शामिल हुए. इस कार्यक्रम में उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मौके पर शामिल लोगों को संबोधित किया.
इसे भी पढ़ें: राज्यपाल की सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों के साथ बैठक, कहा- शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति जल्द
'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत भारत की आजादी के 75वें साल पर देश भर में 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यते' कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. 22 से 28 फरवरी, 2022 के दरमियान देश के हर हिस्से से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान सर्वत्र पूज्यते अखिल भारतीय कार्यक्रम है. बीआईटी मेसरा की ओर से भी विज्ञान प्रौद्योगिकी महोत्सव विज्ञान सर्वत्र पूज्यते का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस समेत कई विशेषज्ञ, शिक्षक और विद्यार्थी शामिल हुए.
राज्यपाल रमेश बैस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े. उन्होंने कहा कि यह महोत्सव आज के युग के लिए क्रांति लाएगा. मानव जीवन में क्रांति लाने का श्रेय भी विज्ञान को जाता है. ऐसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को विज्ञान और विज्ञान के महत्व के बारे में जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा कि विज्ञान ने धरती, आकाश और जल तीनों को प्रभावित किया है. धरती का तो शायद ही कोई कोना होगा जहां विज्ञान ने कदम ना रखा हो. विज्ञान के कारण मनुष्य की उन्नति और प्रगति की कोई सीमा नहीं है.
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में जो क्रांति आई है. इसका मुख्य कारण विज्ञान ही है. विज्ञान की वजह से आज सब कुछ सामान्य हुआ है. इसके अलावा विभिन्न तरह की कीटनाशक दवाइयों का आविष्कार विज्ञान के कारण ही संभव हो पाया है. कबूतरों से संदेश भेजने वाला मनुष्य चिट्ठी और पोस्ट कार्ड की दुनिया से निकलकर टेलीफोन ईमेल से होते हुए मोबाइल तक आ पहुंचा है.
विज्ञान के बिना जीवन की कल्पना नहीं: राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान ने मनुष्य को नया जीवन दिया है. अब रोगों का इलाज ही नहीं शरीर के अंगो को भी बदला जा रहा है. रक्तदान, नेत्रदान जैसे मानव हित के कार्यों पर विज्ञान के सहयोग से मानव को नवजीवन मिल रहा है. अब विज्ञान के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. यह कार्यक्रम वाकई में आज के युवाओं को विज्ञान के प्रति अग्रसर करेगी.