रांचीः मार्च लूट रोकने के लिए झारखंड सरकार ने कई एहतियातन कदम उठाए हैं. जिसके तहत 31 मार्च को ट्रेजरी के माध्यम से पास होने वाले बिल पर कड़ी नजर रखी जाएगी. वित्त विभाग के द्वारा जारी निर्देश के अनुसार इस वित्तीय वर्ष के समापन के दिन होने वाले बिलों का भुगतान सरकार के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुरूप नहीं होने पर कार्रवाई की जाएगी.
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वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने जारी की चिट्ठीः वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह के द्वारा जारी की गई चिट्ठी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के मार्च महीने में राशि की निकासी के लिए योजना मद के बजट में व्यय की अधिकतम सीमा 15% तक ही होगी. हालांकि विभागीय प्रधान सचिव, मुख्य सचिव और सचिव को इसमें छूट दी गई है. वह अपने स्तर से संतुष्ट होकर इस संबंध में स्पष्ट आदेश निर्गत करेंगे. जिसके बाद विपत्र कोषागार भेजते हुए निकासी की जाएगी.
अधिक राशि होने पर सचिव स्तर के अधिकारी के आदेश पर विपत्र कोषागार भेजे जाएंगेः सचिव स्तर के अधिकारियों के द्वारा हर एक मामलों के लिए आदेश निर्गत किए जाएंगे और आदेश के साथ विपत्र कोषागार में भेजे जाएंगे. वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 15 प्रतिशत के बंधेज से विमुक्ति के लिए आवश्यक मामलों के लिए विभागीय सचिव के द्वारा केस टू केस बेसिस पर किए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी. उसके बाद ही विपत्र को कोषागार भेजा जा सकेगा. गौरतलब है कि झारखंड में सचिव स्तर के अधिकारियों को पांच करोड़ तक के बिल पर हस्ताक्षर करने का अधिकार प्राप्त है. इससे ऊपर विभागीय मंत्री को अधिकार प्राप्त है.
एक करोड़ से अधिक का बिल बगैर वित्त विभाग की अनुमति का नहीं होगा पासः वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन यानी 31 मार्च को ट्रेजरी में एक करोड़ से अधिक का बिल होने पर बगैर वित्त विभाग की मौखिक अनुमति लिए ट्रेजरी ऑफिसर इसे पास नहीं कर सकेंगे. राज्य के सबसे बड़े सरकारी कोषागार यानी डोरंडा ट्रेजरी के कोषागार पदाधिकारी डॉ पंकज नारायण के अनुसार वित्त विभाग के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप मार्च महीने में ट्रेजरी के माध्यम से होने वाले बिलों के भुगतान किए जा रहे हैं. 31 मार्च को वित्तीय वर्ष के समापन के दिन देर रात तक काम होगा. इस दौरान बिलों को सामान्य दिनों की तरह अपराह्न 4ः00 बजे तक ट्रेजरी में लिया जाएगा. हालांकि इस संबंध में उपायुक्त की ओर से निर्देश जारी होने की प्रतीक्षा की जा रही है.
जानिए क्या है 15% का बंधेजः योजनाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए वित्त विभाग ने इस संबंध में 10 जून 2015 को पत्रांक 1681 के माध्यम से एक आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया था. जिसके तहत वित्तीय वर्ष के प्रथम छह माह में योजना मद के बजट की 50 प्रतिशत विभागों द्वारा खर्च किया जाना है. इसके बाद शेष बचे छह महीने में विभाग के द्वारा बाकी 50 फीसदी राशि खर्च की जाएगी. मार्च महीने में होने वाले खर्च और मार्च लूट को रोकने के लिए विभाग ने यह भी निर्देश दे रखा है कि वित्तीय वर्ष के अंतिम छह माह की बची योजना मद की 50 फीसदी राशि का सिर्फ 15% तक ही डीडीओ द्वारा खर्च किया जा सकेगा. जिसको अक्षरशः लागू करने के लिए वित्त विभाग इस बार तत्पर है. बीते वित्तीय वर्षों में 31 मार्च की आपाधापी में इस गाइडलाइन के अवहेलना करने की भी सूचना कोषागार से प्राप्त हुई थी.