रांची: अमूमन लोग यह कहते नजर आते हैं कि अब भगवान ही मालिक है या फिर जहां पर विज्ञान फेल हो जाता है वहां पर चमत्कार के लिए भगवान को याद किया जाता है. वहीं कुछ लोग विज्ञान से ज्यादा भगवान पर भरोसा करते हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में देखने को मिल रही है. यहां पर ट्रामा सेंटर के बाहर कुछ लोग अंधविश्वास का खुला खेल खेल रहे हैं (Game Of Superstition In Premises Of RIMS). रिम्स परिसर में घोड़े के नाल के नाम पर लोगों को एक विशेष तरह की अंगूठी बेची जा रही है जिसके बारे में बताया जा रहा है कि इस अंगूठी के पहनने से लोगों के जीवन में आने वाले संकट समाप्त हो जाएंगे.
अंगूठी बेचने वाले अपने ग्राहक को झूठा आश्वासन देते हैं कि उनकी अंगूठी पहनने से समस्या दूर हो जाएगी. उनकी दुकान के बाहर लोगों की भीड़ भी है. गिरिडीह से आए एक मरीज के परिजन ने बताया कि वे भी अंगूठी खरीदने आए हैं, उन्हें उम्मीद है कि अंगूठी पहनने से शाहद उनके मरीज की हालत में सुधार हो और उनके जीवन में आने वाले संकट भी कम हो.
वहीं, अंगूठी बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि जिन लोगों का विश्वास धर्म पर होता है वह अंगूठी और रत्न जरूर पहनते हैं, क्योंकि कई बार इसका असर देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि जो लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं उनके लिए खरीदने की कोई बाध्यता नहीं है.
रिम्स परिसर में इस तरह से अंगूठी बेचे जाने के बारे में रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में निश्चित रूप से ऐसा कई बार होता है जिसे हम चमत्कार कहते हैं. कई बार भगवान के दिए हुए शरीर में होने वाली बीमारी के लक्षण को डॉक्टर भी नहीं समझ पाते हैं. ऐसे में डॉक्टरों को भी चमत्कार की उम्मीद होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रिम्स परिसर में आने वाले मरीज डॉक्टर से ज्यादा सड़क पर बेचने वाले पत्थर या रत्न विक्रेता पर विश्वास करने लगे. उन्होंने कहा कि अगर रिम्स परिसर में इस तरह के पत्थर और रत्न बेचकर मरीजों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है तो निश्चित रूप से सिक्योरिटी से बात कर वैसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.