रांचीः पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने आने वाले वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में नई राजनीतिक पार्टी खड़ी करने की घोषणा भी की है. राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद सभी राजनेता और नौकरशाहों की स्वतंत्र जांच करने की भी मांग की.
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पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद ही स्वतंत्र तरीके से इस राज्य में जांच हो सकती है. क्योंकि इस राज्य में जहां खोजो वहीं भ्रष्टाचार है और जहां खोदो वहीं खनिज संपदा है. इसलिए भ्रष्टाचारियों को उजागर करने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू होना जरूरी है. बाबूलाल मरांडी के समय से हेमंत सरकार के मुख्यमंत्री काल तक अगर जांच की जाए तो अधिकतर राजनेता जेल में होंगे.
नौकरशाहों-राजनेताओं ने लूटाः पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि इस राज्य को नौकरशाहों राजनेताओं ने मिलकर लूट लिया है. इस राज्य में कई संभावनाएं थीं. लेकिन उन संभावनाओं का गला घोंट दिया गया. यहां के राजनेताओं और बिहार से आए नौकरशाहों ने मिलकर लूट लिया है. जिस उद्देश्य के साथ बिहार से अलग झारखंड का गठन किया गया था. आज तक उन उद्देश्यों को पूरा नहीं किया जा सका है. उन्होंने झारखंड की तुलना श्रीलंका से की है.
पीआईएल दाखिल करूंगाः प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि श्रीलंका की तर्ज पर युवाओं को सड़क पर उतरना होगा और झारखंड में तख्ता पलट करना होगा. उन्होंने कहा कि इस राज्य में माइनिंग घोटाला हुआ है .जेपीएससी जैसी संस्था में घोटाला हो रहा है. नियुक्तियों में भी घोटाला सामने आया है. इन सभी चीजों की उच्च स्तरीय जांच करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले उनके नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात कर यहां राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की जाएगी. दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से भी मुलाकात की जाएगी. झारखंड में भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में पीआईएल दर्ज कराने की बात भी कही है.
राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी की आशंकाः सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि यह राज्य भ्रष्टाचार की चपेट में है. इसलिए यहां फेयर पॉलिटिक्स की जरूरत है. दागी राजनेताओं को यहां से भगाना होगा और युवाओं को आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में भी हमेशा से ही इस राज्य में खरीद फरोख्त हुई है. बाहर से लोग झोला भर कर पैसा लाते हैं और विधायकों को खरीद कर राज्यसभा का टिकट हासिल करते हैं. इस बार भी झारखंड में ऐसा समीकरण बन रहा है कि चुनाव में गड़बड़ी की आशंका है. इसलिए जांच एजेंसियों को इस पर नजर रखने की जरूरत है.