रांची: सुदेश महतो को चुनाव में हराने वाले जेएमएम के पूर्व विधायक अमित महतो, और उनकी पत्नी सीमा महतो ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. सोशल मीडिया पर दोनों ने इस्तीफे की घोषणा करते हुए इसके लिए 1932 आधारित स्थानीय नीति और भाषा विवाद पर सरकार की नाकामी को जिम्मेवार ठहराया है.
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क्या लिखा है सोशल मीडिया पर
अमित महतो के इस्तीफे की जानकारी सोशल मीडिया अकाउंट पर दी गई है. जिसमें लिखा है कि जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है " भाषा, झारखंडी संस्कृति और स्थानीयता को लेकर हो रहा आंदोलन व्यापक रूप से पूरे झारखंड प्रदेश में आग की तरह फैल गई है.भाषा और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने में वर्तमान सरकार विफल रही, इससे आहत होकर सिल्ली पूर्व विधायक अमित महतो ने इस्तीफ़ा दिया. ये बहुत खुशी की बात है कि हमारे बीच एक ऐसे नेता हैं जो चाटुकारिता नहीं करते. अपने वादे पर अडिग रहने वाले झारखंड के युवा वर्ग के चहेते रहे हैं. उनका इस्तीफा कहीं न कहीं JMM के लिए कील साबित होगा. झारखंड में विद्रोह का इतिहास तो वर्षों पुराना रहा है. लेकिन उस समय के लोग जंगलों झाड़ियों में रहते थे, शिक्षा की कमी थी, अगर उस समय हमारे झारखंड की माटी ने तिलका मांझी, बुधु भगत, शेख भिखारी , बिरसा मुंडा, टाना भगत, तेलंग खड़िया, निर्मल महतो जैसे वीर क्रांतिकारियों को पैदा किया है तो निश्चित ही वर्तमान समय में कितने निर्मल, कितने बिरसा, कितने झारखंडी माटी के क्रांतिकारी लाल जन्म लिए हैं ये आने वाला समय बताएगा.
पार्टी से मिले सम्मान को भूल गए अमित महतो
वहीं पूर्व विधायक अमित महतो और सीमा महतो के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए झामुमो नेता विनोद पांडेय ने कहा कि उनका और उनकी पत्नी का इस्तीफा अभी तक आलाकमान को नहीं मिला है. सोशल मीडिया से इसकी जानकारी मिली है जब इस्तीफा केंद्रीय अध्यक्ष को मिल जाएगा तब कुछ कहा जा सकता है. अभी इतना ही कह सकते हैं कि झारखंड की राजनीति में उनकी एंट्री भी झामुमो ने कराई थी और फिर कई दल की सवारी करते हुए झामुमो में आए तो मोर्चा ने उन्हें और उनकी पत्नी को विधायक बनवाया. उन्हें मान सम्मान दिया जिसका भी उन्होंने ख्याल नहीं रखा.