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फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड बांटने वाला देश का पहला राज्य बना झारखंड, पर्यावरण संरक्षण में बेहतरीन कदम

आज हमारी पृथ्वी का भू-क्षरण और मृदा की उपजाऊ क्षमता तेजी से घटती जा रही है. इस समस्या से पूरी दुनिया परेशान है. इसके समाधान के लिए देश में पहली बार झारखंड में फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड बांटे (Forest Soil Health Cards Distributed in Jharkhand) गए.

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Published : Dec 6, 2022, 8:44 AM IST

रांची: आज हमारी पृथ्वी का भू-क्षरण और मृदा की उपजाऊ क्षमता का तेजी से हृास होता जा रहा है. इसके साथ ही हरियाली कम होती जा रही है और उपजाऊ धरती सिकुड़ रही है. इन्हीं सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए देश में पहली बार झारखंड में फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड (Forest Soil Health Cards Distributed in Jharkhand) का वितरण किया गया.


यह भी पढ़ें: झारखंड में पशुपालन से कैसे समृद्ध होंगे लोग, सरकारी पशु चिकित्सकों की है घोर कमी


फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड बांटे गए: सम्पूर्ण विश्व, धरती के मृदा अपरदन और बढ़ते मिट्टी कटाव से काफी चिंतित है. झारखंड का वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग भी धरती की इस विषम परिस्थिति से चिंतित है. सारी दुनिया के साथ इस भू-संरक्षण और मृदा संरक्षण हेतु जन-जागृति पैदा करने के लिये प्रयत्नशील भी है. राज्य के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते ने देश में पहली बार झारखंड में सभी वन प्रमंडल पदाधिकारियों को फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड (Forest Soil Health Card) का वितरण किया. साथ ही इस मौके पर कहा कि पर्यावरण को बचाने हेतु कई सकारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं.


कौन कौन रहे उपस्थित: वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विश्व मृदा दिवस पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विश्व मृदा विभाग द्वारा पर्यावरण को बचाने हेतु कई सकारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं. आज के कार्यक्रम में प्रधान और मुख्य वन संरक्षक डॉ संजय श्रीवास्तव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान और प्रशिक्षक दीक्षा प्रसाद, मुख्य वन संरक्षक, प्रशिक्षक शैलजा सिंह, सदस्य सचिव और जैव विविधता पर्षद डॉ नितिन कुलकर्णी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे.

वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में भी मृदा दिवस पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड की अहमियत पर परिचर्चा हुई. जिला कृषि कार्यालय और राज्य के KVK पर भी संगोष्ठी आयोजित किये गए और मिट्टी क्षरण को रोकने पर चर्चा हुई.

रांची: आज हमारी पृथ्वी का भू-क्षरण और मृदा की उपजाऊ क्षमता का तेजी से हृास होता जा रहा है. इसके साथ ही हरियाली कम होती जा रही है और उपजाऊ धरती सिकुड़ रही है. इन्हीं सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए देश में पहली बार झारखंड में फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड (Forest Soil Health Cards Distributed in Jharkhand) का वितरण किया गया.


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फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड बांटे गए: सम्पूर्ण विश्व, धरती के मृदा अपरदन और बढ़ते मिट्टी कटाव से काफी चिंतित है. झारखंड का वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग भी धरती की इस विषम परिस्थिति से चिंतित है. सारी दुनिया के साथ इस भू-संरक्षण और मृदा संरक्षण हेतु जन-जागृति पैदा करने के लिये प्रयत्नशील भी है. राज्य के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते ने देश में पहली बार झारखंड में सभी वन प्रमंडल पदाधिकारियों को फॉरेस्ट स्वायल हेल्थ कार्ड (Forest Soil Health Card) का वितरण किया. साथ ही इस मौके पर कहा कि पर्यावरण को बचाने हेतु कई सकारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं.


कौन कौन रहे उपस्थित: वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विश्व मृदा दिवस पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विश्व मृदा विभाग द्वारा पर्यावरण को बचाने हेतु कई सकारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं. आज के कार्यक्रम में प्रधान और मुख्य वन संरक्षक डॉ संजय श्रीवास्तव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान और प्रशिक्षक दीक्षा प्रसाद, मुख्य वन संरक्षक, प्रशिक्षक शैलजा सिंह, सदस्य सचिव और जैव विविधता पर्षद डॉ नितिन कुलकर्णी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे.

वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में भी मृदा दिवस पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड की अहमियत पर परिचर्चा हुई. जिला कृषि कार्यालय और राज्य के KVK पर भी संगोष्ठी आयोजित किये गए और मिट्टी क्षरण को रोकने पर चर्चा हुई.

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