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किसानों को सता रहा फोनी तूफान का डर, खेतों में लगी फसलें हो सकती हैं बर्बाद

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Published : May 3, 2019, 9:15 AM IST

झारखंड में फोनी तूफान को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं, तूफान को लेकर होने वाली बर्बादी से किसान सहमे हुए हैं. राजधानी के पिठोरिया में किसानों ने फोनी तूफान को लेकर अपनी चिंता जहिर की है.

फसल बर्बादी से किसान सहमे

रांचीः बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान फोनी ने उत्तर भारत में दस्तक दे दी है. फोनी तूफान को लेकर झारखंड में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं, मौसम में होने वाले बदलाव से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है. खेतों में कई तरह के फसल लगे हैं. फोनी तूफान से फसल बर्बाद हो सकते हैं.

किसानों ने फोनी तूफान को लेकर अपनी चिंता जहिर की

गौरतलब है कि राजधानी का पिठोरिया और आसपास का इलाका कृषि प्रधान है. यहां खेती जीविका का एकमात्र साधन है. ऐसे में बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान फोनी किसानों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. किसानों ने बताया कि मौसम की मार से हमेशा किसानों को जूझना पड़ता है. कम बारिश के कारण फसल नहीं होती. वहीं, समय पर बारिश नहीं होने से खेतों में फसल की रोपणी देर से होती है. मौसम का कहर गरीब किसानों पर ही गिरता है. फोनी तूफान का डर सभी किसानों को सता रहा है.

ये भी पढ़ें- ध्यान दें! बढ़ते तापमान को लेकर स्कूल के समय में बदलाव

विकासशील किसान नकुल महतो ने बताया कि फोनी चक्रवात का असर जैसे-जैसे झारखंड में दिखने लगा है. किसानों की परेशानी बढ़ गई है. मौसम के बदलते मिजाज को देखकर किसानों को फसलों की चिंता सता रही है. इस समय पूरे देश में खेतों में गेहूं की फसल लगी है. जिसकी कटाई जल्द से जल्द नहीं की गई तो फोनी चक्रवात से पूरा बर्बाद हो जाएगा. झारखंड में किसान इस समय सबसे ज्यादा हरी सब्जी की खेती करते हैं, जिसे नुकसान होने की संभावना है.

रांचीः बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान फोनी ने उत्तर भारत में दस्तक दे दी है. फोनी तूफान को लेकर झारखंड में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं, मौसम में होने वाले बदलाव से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है. खेतों में कई तरह के फसल लगे हैं. फोनी तूफान से फसल बर्बाद हो सकते हैं.

किसानों ने फोनी तूफान को लेकर अपनी चिंता जहिर की

गौरतलब है कि राजधानी का पिठोरिया और आसपास का इलाका कृषि प्रधान है. यहां खेती जीविका का एकमात्र साधन है. ऐसे में बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान फोनी किसानों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. किसानों ने बताया कि मौसम की मार से हमेशा किसानों को जूझना पड़ता है. कम बारिश के कारण फसल नहीं होती. वहीं, समय पर बारिश नहीं होने से खेतों में फसल की रोपणी देर से होती है. मौसम का कहर गरीब किसानों पर ही गिरता है. फोनी तूफान का डर सभी किसानों को सता रहा है.

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विकासशील किसान नकुल महतो ने बताया कि फोनी चक्रवात का असर जैसे-जैसे झारखंड में दिखने लगा है. किसानों की परेशानी बढ़ गई है. मौसम के बदलते मिजाज को देखकर किसानों को फसलों की चिंता सता रही है. इस समय पूरे देश में खेतों में गेहूं की फसल लगी है. जिसकी कटाई जल्द से जल्द नहीं की गई तो फोनी चक्रवात से पूरा बर्बाद हो जाएगा. झारखंड में किसान इस समय सबसे ज्यादा हरी सब्जी की खेती करते हैं, जिसे नुकसान होने की संभावना है.

Intro:रांची
बाइट--नकुल महतो प्रगतिशील किसान

बंगाल की खाड़ी मैं उठे चक्रवाती तूफान फेनी ने उत्तर भारत में दस्तक दे दिया है जिसका असर झारखंड में भी देखने को मिल रहा है भरी दोपहरी में तेज धूप के बीच अचानक तेज हवाओं के साथ काले बादलों ने दस्तक दी तो एक बार किसान फिर से सहम गए हैं। किसान को डर सता रहा है कि फैनी तूफान इस बार आखिर कितना तबाही मचा कर जाएगा। क्योंकि इस समय खेतों में लगे कई फसलों को नुकसान होने का डर सता रहा है


Body:राजधानी रांची के पिठोरिया और आसपास के इलाके कृषि प्रधान गांव माने जाते हैं जहां पर कृषि जीविका का एकमात्र साधन है। ऐसे में बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान फेनी(fani cyclone) ने किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है किसानों की मानें तो प्राकृतिक की मार से हमेशा किसान ही जूझता है कम बारिश के कारण फसल नहीं होती। तो वही समय से बारिश नहीं होने के कारण अपने खेतों में फसल की बुवाई नहीं कर पाते। ऐसे में किसी तरह किसान फसल की बुवाई तो कर देते हैं लेकिन प्रकृति का कहर इन गरीब किसानों पर ही गिरता है। फेनी तूफान का डर तमाम किसानों को सता रहा है कारण यह है कि खेतों में लगे गर्मी सीजन के जितने भी फसल है वह बर्बाद हो जाएगा।


Conclusion:वहीं विकासशील किसान नकुल महतो ने कहा कि फैनी चक्रवात अब उठना लगा है जिसका असर झारखंड में भी देखने को मिल रहा है मौसम के बदलते मिजाज देखकर अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई है क्योंकि इस समय पूरे देश में खेतों में गेहूं की फसल लगी होती है जिसे यदि कटाई जल्द से जल्द नहीं किया गया तो फेनी चक्रवात पूरा बर्बाद कर देगा। ऐसे में किसानों के लिए ऊपर वाला ही एक उम्मीद का जरिया बना हुआ है। रही बात झारखंड की किसानों के तो इस समय सबसे ज्यादा हरी सब्जी का खेती किया जाता है लेकिन या तूफान किसी को नहीं बकसने वाला है। हम किसान हर तरफ कमर जलते हैं बाजार का मार हो या फिर प्राकृतिक का मार
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