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रांची: ब्लॉक स्तर पर नहीं मिल रहा है किसानों को सुविधा, धान की खेती में हो रही है परेशानी

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Published : Jul 16, 2020, 5:16 PM IST

रांची में लॉकडाउन के बाद अब किसानों को धान की खेती करने में काफी परेशानी हो रही है. सरकारा की तरफ से चलाई गई योजनाओं का ब्लॉक स्तर पर किसानों को सुविधा नहीं मिल पा रही है.

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किसानों को हो रही धान की खेती में परेशानी

रांची: लॉकडाउन में ग्रामीण क्षेत्रों में धान की खेती के लिए किसानों का अब चुनौती भरा दिन आ गया है. लॉकडाउन के दौरान में कृषि मंत्री की तरफ से इन किसानों को ब्लॉक स्तर पर धान का बिचड़ा आमंत्रित करवाने का आदेश भी दिया था. कई ब्लॉक में गिने-चुने किसानों को कुछ चुरा मिला भी, लेकिन ज्यादातर किसान इस सरकारी धान के बीज से वंचित रह गए. मजबूरन इस बार की धान खेती में कई क्षेत्र बिना बुवाई के ही रह जाएगा. किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जिससे बाजार से खरीदे हुए बेचरा से वह धान की बुवाई कर सके.


किसानों को हो रही है परेशानी
नामकुम के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में धान की बुवाई कर रही ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं बता रही है कि पिछले तीन-चार महीनों से लॉकडाउन होने से अब हम सब की आर्थिक स्थिति बाजार से बिछड़ा खरीद कर नहीं रह गई है. सरकार सिर्फ आदेश देती है जमीनी हकीकत पर नहीं ब्लॉक अस्तर पर हम लोगों को बिचरा मुहैया कराया जाता है और न ही हम किसानों की सुध लेने वाला कोई है.


इसे भी पढ़ें-रांचीः भारी बारिश से रिम्स के इमरजेंसी में भरा पानी, घंटों ठप रहा कामकाज

योजनाओं से वंचित रहते हैं किसान
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार ज्यादातर किसानों के लिए ही बयानबाजी और योजनाएं लाती है. बावजूद धरातल पर यह क्यों नहीं पहुंच पाता है. लॉकडाउन में कृषि विभाग को सरकार की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रीय में सक्रिय होने की बात का दावा करती है. वहीं ज्यादातर किसान सरकार के आने वाले कई योजनाओं से वंचित रह जाते हैं.

रांची: लॉकडाउन में ग्रामीण क्षेत्रों में धान की खेती के लिए किसानों का अब चुनौती भरा दिन आ गया है. लॉकडाउन के दौरान में कृषि मंत्री की तरफ से इन किसानों को ब्लॉक स्तर पर धान का बिचड़ा आमंत्रित करवाने का आदेश भी दिया था. कई ब्लॉक में गिने-चुने किसानों को कुछ चुरा मिला भी, लेकिन ज्यादातर किसान इस सरकारी धान के बीज से वंचित रह गए. मजबूरन इस बार की धान खेती में कई क्षेत्र बिना बुवाई के ही रह जाएगा. किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जिससे बाजार से खरीदे हुए बेचरा से वह धान की बुवाई कर सके.


किसानों को हो रही है परेशानी
नामकुम के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में धान की बुवाई कर रही ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं बता रही है कि पिछले तीन-चार महीनों से लॉकडाउन होने से अब हम सब की आर्थिक स्थिति बाजार से बिछड़ा खरीद कर नहीं रह गई है. सरकार सिर्फ आदेश देती है जमीनी हकीकत पर नहीं ब्लॉक अस्तर पर हम लोगों को बिचरा मुहैया कराया जाता है और न ही हम किसानों की सुध लेने वाला कोई है.


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योजनाओं से वंचित रहते हैं किसान
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार ज्यादातर किसानों के लिए ही बयानबाजी और योजनाएं लाती है. बावजूद धरातल पर यह क्यों नहीं पहुंच पाता है. लॉकडाउन में कृषि विभाग को सरकार की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रीय में सक्रिय होने की बात का दावा करती है. वहीं ज्यादातर किसान सरकार के आने वाले कई योजनाओं से वंचित रह जाते हैं.

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