रांचीः एक समय था जब संयुक्त बिहार में वर्तमान झारखंड वाले इलाके जिसे उस समय दक्षिणी बिहार कहा जाता था उसकी पहचान सिर्फ खनिज और माइंस से होती थी. राज्य बनने के बाद झारखंड के मेहनती अन्नदाताओं ने इस मिथक को तोड़ दिया कि पठारी और अपेक्षाकृत कमजोर मिट्टी की वजह से झारखंड में खेती की कभी उन्नत हो ही नहीं सकती. इस साल अच्छी बारिश का असर राज्य के खेत खलिहानों में दिख रहा है. किसानों ने लक्ष्य का 97% यानि 17 लाख 61 हजार 250 हेक्टेयर में धान की फसल लगा ली है तो मक्का, दाल, तिलहन और मोटे अनाज मिलाकर कुल 25 लाख 25 हजार हेक्टेयर खेत में कोई न कोई फसल लगी है जो एक शुभ संकेत है.
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अच्छी बारिश ने किसानों के हौसले को दिए पंख
राज्य में कृषि अभी भी मुख्य रूप से वर्षा जल पर ही आश्रित है. ऐसे में इस बार लगभग समय पर यानि 13 जून को मानसून ने झारखंड में दस्तक दे दी थी तो उसके बाद जून, जुलाई अगस्त में सामान्य और समय पर मेघ बरसते रहे. जिसका फायदा किसानों को हुआ और उन्होंने पूरे उत्साह के साथ खेतों में मेहनत की. कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि इस वर्ष राज्य को पिछली बार की तरह रिकॉर्ड फसल उत्पादन की उम्मीद है.
- जून- 281.18 mm
- जुलाई-297.9 mm
- अगस्त-183.4 mm
- सितंबर( 09 तारीख तक)- 30.9mm
राज्य में अब तक 762.8mm बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से मात्र 04% कम है और यह सामान्य बारिश की श्रेणी में ही आता है.
पिछले वर्ष राज्य में 7245.29 टन हुआ था उत्पादन
कृषि विभाग के उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा बताते हैं कि पिछले वर्ष राज्य में 7245.29 टन कुल फसल का उत्पादन हुआ था. जो झारखंड के अब तक का रिकॉर्ड उत्पादन है. पिछले वर्ष 5116 टन धान, 1222 टन गेहूं, 623.45 टन मक्का, 284.48 टन अरहर, 115.76 टन उड़द और अन्य फसल का उत्पादन हुआ था.