रांचीः समय के साथ कोविड-19 यानी कोरोना वायरस को लेकर लोगों की धारणाएं भी बदल रही हैं. अनलॉक के साथ संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है. ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? कैसे समझ में आएगा कि कोई संक्रमित है? क्या एसिंप्टोमेटिक संक्रमित किसी सामान्य इंसान को सिवियर पेसेंट बना सकता है?
क्या जो एक बार संक्रमित हो गया वह दोबारा संक्रमित नहीं हो सकता है? क्या कोई संक्रमित हो गया तो उसके बाद उसे किसी दूसरी तरह की शारीरिक परेशानी से गुजरना पड़ सकता है? ऐसे ही कई सवाल हैं जो लोगों के बीच चर्चा में हैं. इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने रांची में मेडिका अस्पताल के कोविड-19 विंग के हेड डॉ. विजय मिश्रा से बात की है.
डॉ विजय मिश्रा ने कहा कि अगर आप एसिंप्टोमेटिक संक्रमित हैं तो आप मान लीजिए कि आप भाग्यशाली हैं. अगर आप सामान्य लक्षण के साथ संक्रमित हुए हैं तो उसे माइल्ड सिंप्टोमेटिक कहा जाता है. वैसी स्थिति में मरीज को बुखार, सर्दी खांसी और बदन दर्द की शिकायत रहती है.
यह स्टेज बताता है कि मरीज को हर हाल में कोविड-19 के संक्रमण को रोकने से जुड़ी दवाओं की जरूरत होती है. यहां अगर कोताही होगी तो मरीज मॉडरेट अवस्था में या सिवियर अवस्था में जा सकता है.
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एक धारणा बनी हुई है कि अगर आप कोरोना से संक्रमित हुए और आपकी रिपोर्ट आगे चलकर निगेटिव आ गई, तब भी आपको सतर्क रहने की जरूरत होती है क्योंकि आपको पोस्ट कोविड इफेक्ट से जूझना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में मरीज कमजोरी महसूस करते हैं. कुछ मरीजों में थ्रांबोसिस और क्लॉटिंग के चांस होते हैं. तब मरीज के हिसाब से डॉक्टर तय करते हैं कि मरीज को खून पतला करने की दवा की जरूरत है या नहीं.
हमने डॉ विजय मिश्रा से यह भी सवाल किया कि क्या जाड़े के मौसम में यह वायरस ज्यादा आक्रामक हो सकता है? क्या रिकवरी रेट के आधार पर हम मान लेंगे अब स्थिति सामान्य हो रही है? इन सवालों का भी डॉक्टर विजय मिश्रा ने जवाब दिया.