रांची: झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के माध्यम से राज्य के 32 लाख ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को 2.70 लाख सखी मंडल के रूप में संगठित करेगी और उनके बनाए जा रहे उत्पादों के लिए पलाश स्मार्ट बनाने का एलान किया है, जोकि सभी जिलों में स्थापित किए जाएंगें.
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इसी के तहत राजधानी रांची स्थित झारखंड स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग भवन में विभागीय सचिव आराधना पटनायक की ओर से पलाश मार्ट का उद्घाटन किया गया. इस दौरान झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के नए राज्य कार्यालय का भी उद्घाटन भी किया गया.
32 लाख ग्रामीण परिवारों को जोड़ा जाएगा
इस मौके पर विभागीय सचिव आराधना पटनायक ने राज्य कार्यालय का भ्रमण करते हुए वहां की व्यवस्था की जानकारियां ली. उन्होंने कहा कि पलाश मार्ट का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के उत्पादित सामानों को मार्केट उपलब्ध कराना है. उन्होंने बताया कि 32 लाख ग्रामीण परिवार को इससे जोड़ा गया है और ग्रामीण महिलाओं के बनाए गए उत्पाद को फील्ड से लेकर मार्केट तक लिंकेज किया गया है. उत्पादित सामान की सही तरीके से पैकेजिंग करके पलाश के रूप में ब्रांडिंग करते हुए मार्केट में लांच किया गया है.
अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के साथ भी किया गया टाइपअप
उन्होंने बताया कि पलाश की लॉन्चिंग मुख्यमंत्री ने 29 सितंबर को की थी, लेकिन इसे मार्केट में सही तरीके से लाने के लिए पलाश मार्ट की स्थापना की जा रही है. सभी जिला मुख्यालयों में इसकी स्थापना होगी. उन्होंने बताया कि 10 जिलों में पलाश मार्ट की स्थापना की जा चुकी है. वहीं राजधानी रांची हेड क्वार्टर में भी इसकी स्थापना की गई है. साथ ही रिलायंस मार्ट के साथ इसे टाइप किया गया है और ऑनलाइन लॉन्च करने के लिए अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के साथ भी टाइपअप किया गया है. कई स्थानों पर इसकी स्थापना किए जाने की तैयारियां चल रहीं हैं. पलाश मार्ट में 37 तरह के प्रोडक्ट लोगों के लिए मौजूद रहेंगे.
5000 महिलाएं मार्केटिंग से जुड़ीं
उन्होंने कहा कि महिलाओं के बनाए गए प्रोडक्ट को सही मार्केट मिलेगा और इसका सीधा लाभ ग्रामीण महिलाओं को मिलेगा. लगभग दो लाख ग्रामीण महिलाएं इससे जुड़ी हुईं हैं. साथ ही 5000 महिलाएं मार्केटिंग से जुड़ी हुई हैं. पिछले 2 से 3 महीने में लगभग एक करोड़ से ज्यादा का बिजनेस भी किया जा चुका है, साथ ही इसे क्लस्टर के रूप में भी डेवलप्ड किया जा रहा है. गिरिडीह में साबुन का बड़ा कलस्टर है, उसी तरह हजारीबाग में सरसों तेल को प्रमोट किया जा रहा है, तो लातेहार में अरहर दाल की मांग है पाकुड़ में तो लोबिया तक को प्रमोट किया जा रहा है.
मिलावट से हैं कोसों दूर
कई बड़ी कंपनियों से पलाश के उत्पाद के कंपटीशन के मामले को लेकर उन्होंने कहा कि सभी उत्पादित वस्तुओं को ऑर्गेनिक फार्मिंग के तहत उत्पादित किया गया हैं. जिसमें प्योरिटी और क्वालिटी है. मार्केट में बहुत सारी कंपनियां आईं हैं, लेकिन उसमें मिलावट होती है, लेकिन पलाश में प्योरिटी होने की वजह से इसकी डिमांड बढ़ रही है. झारखंड राज्य में पलाश ने अपनी पहचान बना ली है लेकिन देश में भी इसकी पहचान बने, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.