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HEC में इंजीनियरों की हड़ताल जारी रहेगी, प्रभारी सीएमडी के साथ वार्ता विफल

हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन यानी एचईसी के इंजीनियरों की पिछले 26 दिनों से चल रही हड़ताल जारी रहेगी (Engineers strike to continue at HEC). माना जा रहा था कि दिल्ली से रांची पहुंचे एचईसी के प्रभारी सीएमडी की बैठक में कुछ हल निकलेगा, लेकिन प्रभारी सीएमडी नलिन सिंघल के साथ वार्ता विफल हो गई है.

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Published : Nov 30, 2022, 4:17 PM IST

रांची: देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन यानी एचईसी के इंजीनियरों की हड़ताल जारी रहेगी (Engineers strike to continue at HEC). एचईसी के प्रभारी सीएमडी नलिन सिंघल के साथ वार्ता विफल हो गई है. बुधवार को प्रभारी सीएमडी दिल्ली से रांची पहुंचे और इंजीनियरों के डेलिगेशन के साथ वार्ता की. इंजीनियरों ने बताया कि उन्हें पिछले 13 माह से वेतन नहीं मिला है. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

ये भी पढ़ें: HEC Workers Protest: मजदूरों को वेतन नहीं मिलने पर प्रदर्शन, प्रोजेक्ट भवन घेराव और दिल्ली मार्च का ऐलान

हड़ताली इंजीनियरों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रभारी सीएमडी सिर्फ खानापूर्ति के लिए आए थे. उन्होंने समस्या को सुलझाने के बजाए यह कह दिया कि सैलरी देना सरकार का काम है. तब इंजीनियरों ने कहा कि जब आप कोई निर्णय लेने की स्थिति में ही नहीं हैं तो फिर आपकी जरूरत ही क्या है. इंजीनियरों ने कहा कि प्रभारी सीएमडी के पास हालात से निपटने के लिए कोई प्लान नहीं था. लिहाजा, हड़ताल को जारी रखने का फैसला लिया गया है. पिछले 26 दिनों से एचईसी के इंजीनियर हड़ताल पर हैं. विरोध दर्ज कराने के लिए मुख्लाय के सामने कभी पकौड़े तलते हैं तो कभी प्रदर्शन करते हैं.

दूसरी तरफ प्रभारी सीएमडी नलिन सिंघल ने वर्कर्स यूनियन के डेलिगेशन के साथ भी वार्ता की. यूनियन के महामंत्री रामाशंकर ने बताया कि वर्कर्स काम करना चाहते हैं, लेकिन कच्चे माल के अभाव में प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. बिना इनपुट के आउटपुट संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि एचईसी के पास करीब 1200 करोड़ का ऑर्डर है, लेकिन काम नहीं हो पा रहा है. वर्कर्स का वेतन फरवरी माह से लंबित है. गुजर बसर करना मुश्किल हो रहा है.

एचईसी में एचएमबीपी, एचएमटीपी और एफएफपी नाम से तीन प्लांट हैं. तीनों प्लांट में अधिकारियों और कर्मचारियों की कुल संख्या करीब 3500 है. इनमें करीब 400 इंजीनियर हैं. कर्मचारी हर दिन प्लांट आ रहे हैं. हाजिरी बना रहे हैं, लेकिन कच्चे माल के अभाव में प्रोडक्शन ठप पड़ा है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने आंखें मूंद रखी है. दिन ब दिन अधिकारियों और कर्मचारियों की तकलीफ बढ़ती जा रही है. इस बारे में प्रबंधन से जुड़े लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने फोन रिसिव नहीं किया.

रांची: देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन यानी एचईसी के इंजीनियरों की हड़ताल जारी रहेगी (Engineers strike to continue at HEC). एचईसी के प्रभारी सीएमडी नलिन सिंघल के साथ वार्ता विफल हो गई है. बुधवार को प्रभारी सीएमडी दिल्ली से रांची पहुंचे और इंजीनियरों के डेलिगेशन के साथ वार्ता की. इंजीनियरों ने बताया कि उन्हें पिछले 13 माह से वेतन नहीं मिला है. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

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हड़ताली इंजीनियरों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रभारी सीएमडी सिर्फ खानापूर्ति के लिए आए थे. उन्होंने समस्या को सुलझाने के बजाए यह कह दिया कि सैलरी देना सरकार का काम है. तब इंजीनियरों ने कहा कि जब आप कोई निर्णय लेने की स्थिति में ही नहीं हैं तो फिर आपकी जरूरत ही क्या है. इंजीनियरों ने कहा कि प्रभारी सीएमडी के पास हालात से निपटने के लिए कोई प्लान नहीं था. लिहाजा, हड़ताल को जारी रखने का फैसला लिया गया है. पिछले 26 दिनों से एचईसी के इंजीनियर हड़ताल पर हैं. विरोध दर्ज कराने के लिए मुख्लाय के सामने कभी पकौड़े तलते हैं तो कभी प्रदर्शन करते हैं.

दूसरी तरफ प्रभारी सीएमडी नलिन सिंघल ने वर्कर्स यूनियन के डेलिगेशन के साथ भी वार्ता की. यूनियन के महामंत्री रामाशंकर ने बताया कि वर्कर्स काम करना चाहते हैं, लेकिन कच्चे माल के अभाव में प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. बिना इनपुट के आउटपुट संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि एचईसी के पास करीब 1200 करोड़ का ऑर्डर है, लेकिन काम नहीं हो पा रहा है. वर्कर्स का वेतन फरवरी माह से लंबित है. गुजर बसर करना मुश्किल हो रहा है.

एचईसी में एचएमबीपी, एचएमटीपी और एफएफपी नाम से तीन प्लांट हैं. तीनों प्लांट में अधिकारियों और कर्मचारियों की कुल संख्या करीब 3500 है. इनमें करीब 400 इंजीनियर हैं. कर्मचारी हर दिन प्लांट आ रहे हैं. हाजिरी बना रहे हैं, लेकिन कच्चे माल के अभाव में प्रोडक्शन ठप पड़ा है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने आंखें मूंद रखी है. दिन ब दिन अधिकारियों और कर्मचारियों की तकलीफ बढ़ती जा रही है. इस बारे में प्रबंधन से जुड़े लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने फोन रिसिव नहीं किया.

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