रांची: पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के प्रयागराज स्थित कॉल्विन अस्पताल कैंपस में नेता सह माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की सरेशाम हत्या के बाद झारखंड पुलिस भी चौकस हो गई है. सूत्रों के मुताबिक झारखंड के अमन चैन को बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया पर भावनाओं को भड़काने वाली टिप्पणियां की जा रही हैं. इसपर साइबर सेल और पुलिस पैनी नजर बनाए हुए हैं.
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जांच के दौरान ऐसे-ऐसे मैसेज सामने आए हैं जो शहर के अमन चैन में जहर घोल सकते हैं. ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. इसके अलावा तमाम महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा व्यवस्था का रिव्यू किया गया है. इसके बाद कई जगह सादे लिबास में भी पुलिस को तैनात किया गया है. रांची के प्रोजेक्ट भवन और नेपाल हाउस (दोनों सचिवालय बिल्डिंग) में आने-जाने वालों पर पैनी नजर रखी जा रही है. थोड़ा भी संदेह होने पर गाड़ियों की तलाशी ली जा रही है. किसी भी अनजान को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.
झारखंड में दिल दहलाने वाले हत्याकांड: दरअसल, अतीक हत्याकांड जैसी कई घटनाओं का झारखंड भी गवाह रहा है. पिछले माह ही जमशेदपुर में हुए मनप्रीत हत्याकांड के आरोपी नवीन कुमार सिंह पर कोर्ट के सामने जानलेवा हमला हुआ था. हालांकि वह बाल बाल बच गया था. कुछ दिन पहले ही नवीन जमानत पर जेल से बाहर आया था. देवघर कोर्ट परिसर में भी ऐसी घटना हो चुकी है. अपराधियों ने कोर्ट परिसर में घुसकर अमित सिंह नामक हिस्ट्रीशीटर की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हजारीबाग कोर्ट परिसर भी रहा है हत्या का गवाह: साल 2015 में बड़ा अपराधी गैंग चलाने वाले माफिया सुशील श्रीवास्तव को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला था. यह घटना सुबह के वक्त हुई थी. अपराधी सुशील श्रीवास्तव को विनोबा भावे जेल से लाया गया था. लेकिन घात लगाकर बैठे अपराधियों ने एके 47 से हमला बोल दिया था. इस फायरिंग में सुशील श्रीवास्तव के अलावा उसके साथी रियाज के अलावा एक वकील की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि एक जमाने में झारखंड का बड़ा माफिया रहा भोला पांडेय की साल 2010 में हुई हत्या के प्रतिशोध में सुशील श्रीवास्तव की हत्या हुई थी.
जमशेदपुर कोर्ट परिसर में भी चली थी गोली. यह घटना सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद साल 2016 में 30 नवंबर को घटी थी. उस वक्त उपेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस हत्या का आरोप अखिलेश सिंह पर लगा है.