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डिग्री होल्डर युवा अपराध की राह पर, अंडर ट्रायल में सबसे ज्यादा युवा शामिल! जानिए क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े - झारखंड न्यूज

NCRB report 2023. झारखंड में पढ़े लिखे युवा अपराध में शामिल हो रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़े ये बताते हैं कि डिग्री होल्डर युवा जरायम की दुनिया में कदम रख रहे हैं. अंडर ट्रायल में सबसे ज्यादा संख्या में युवा हैं. इस रिपोर्ट से जानिए, कैसा है झारखंड में अपराध का ग्राफ.

Educated youth getting involved in crime in Jharkhand NCRB report 2023
झारखंड में पढ़े लिखे युवा अपराध में शामिल हो रहे हैं
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 19, 2023, 2:36 PM IST

रांचीः अपराध की दुनिया अपने आप में एक तिलिस्म है, इस तिलिस्म में एक बार जो प्रवेश कर जाता है. उनका इस दलदल से बाहर आना मुश्किल हो जाता है. हैरानी की बात तो यह है कि उच्च डिग्री हासिल करने वाले अपराध करने से नहीं चूकते हैं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड के 32 जेलों में 55 प्रतिशत से ज्यादा युवा अपराधी बंद हैं, जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच है. जो युवा जेलों में बंद हैं, उनमें से अधिकांश ग्रेजुएट, कुछ अंडरग्रेजुएट तो कई इंजीनियर और एमबीए डिग्री होल्डर भी हैं. अंडर ट्रायल कैदियों में सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या है.

अपराध की राह पर डिग्री धारी, कैदियों में पीजी, टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी शामिलः झारखंड की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जिस तरह से युवाओं के कदम डगमगाए हैं, इससे उनका भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. महंगे शौक और जल्द अमीर बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में युवाओं का झुकाव साफ तौर पर नजर आ रहा. एनसीआरबी की ताजा आंकड़े बताते हैं कि राज्य भर के अलग-अलग जेलों में बंद 41 सजायाफ्ता कैदी पीजी डिग्री धारी हैं यानी वे पढ़ने लिखने में तेज थे, जबकि 106 पीजी डिग्री होल्डर कैदी हैं. वहीं 109 कैदी टेक्निकल डिग्री वाले हैं जबकि 201 आर्ट्स, कामर्स और साइंस स्नातक कैदी हैं. वहीं 10वीं से पास होने वाले 1 हजार 465 कैदी है. 2 हजार 815 कैदी नन मैट्रिक और 1 हजार 184 कैदी निरक्षर हैं.

महिला कैदियों की क्या है स्थितिः झारखंड के विभिन्न जेलों में 18 से 30 वर्ष के उम्र के कुल 1 हजार 290 कैदी हैं, जिनमें से 42 महिलाएं हैं. वहीं 30 से लेकर 50 वर्ष की उम्र की कुल 2 हजार 295 कैदी हैं, जिनमें से 105 महिलाएं हैं. झारखंड के विभिन्न जिलों में जो महिलाएं बंद हैं उनमें से अधिकांश नन मैट्रिक हैं. लेकिन कुल 35 महिला बंदी वैसी हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन के साथ-साथ टेक्निकल की डिग्री भी हासिल की है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट- अंडर ट्रायल बंदी ज्यादा पढ़े लिखेः एनसीआरबी के द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि झारखंड के 32 जेलों में कुल 14 हजार 798 अंडर ट्रायल बंदी हैं. बंदियों में झारखंड से बाहर के 925 के साथ साथ दो विदेशी बंदी भी हैं जो अंडर ट्रायल हैं. अंडर ट्रायल बंदियों के शिक्षा की बात करें तो इनमें से 223 टेक्निकल डिग्री और डिप्लोमा धारी हैं. वहीं 190 पोस्ट ग्रेजुएट और 839 ग्रेजुएट हैं.

आर्म्स एक्ट के कारण सबसे ज्यादा जेल गए युवाः नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा जारी रांची सहित राज्यभर के आंकड़ों पर गौर की जाए तो जेलों में बंद अपराधियों में आधे से ज्यादा कैदी युवा हैं. जिनकी उम्र 18 साल से लेकर 30 साल तक की है. इनमें हत्या, लूट, डकैती और बलात्कार जैसे खिलौने कृत्य में भी युवाओं की संख्या बेहद ज्यादा है.

राजधानी रांची में अवैध हथियार रखने के शौक में युवाओं को अपराध की दलदल में फंसा रहा है. पुलिस ने कई ऐसे युवकों को जेल भेजा है, जो वाहन चेकिंग में हथियार के साथ पकड़े गए हैं. उन्होंने हथियार से कोई भी अपराध नहीं किया था लेकिन हथियार के शौक में वे जेल पहुंच गए. केवल रांची में पुलिस ने पिछले तीन साल में 575 लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा, जिनमें ज्यादातर आरोपी अवैध हथियार के साथ पकड़े गए. इनमें 200 से अधिक युवक ऐसे हैं, जो पहली बार जेल गए. इसके अलावा रेप के आरोप में भी 200 से ज्यादा 18 से 35 साल के बीच के व्यक्ति जेलों में बंद हैं, जिनमें से अंडर ट्रायल सबसे ज्यादा हैं.

जेल बन जाता है अपराध की पाठशालाः जानकार बताते है कि छोटे-छोटे अपराध करके जब युवा जेल पहुंचते हैं तब उनकी मुलाकात जेल में बंद शातिर अपराधियों से होती है. बड़ा अपराधी बनने की चाह में युवा शातिर अपराधियों को अपना गुरु मान लेते हैं और अपराध की कई तरह की दांवपेच जेल में ही सीखने लगते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि जब वे बाहर निकलते हैं तब तक वो एक शातिर अपराधी के सारे गुण अपने अंदर आत्मसात कर चुके होते हैं.

2019 में भी सबसे ज्यादा युवा कैदी थेः एनसीआरबी के द्वारा जारी 2019 के आंकड़ों पर गौर करे तो झारखंड में 52.3 प्रतिशत से ज्यादा अंडर ट्रायल अपराधी हैं, जो 18 से 30 साल के हैं. वहीं 39.5 फीसदी 30 से 50 साल की उम्र के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में झारखंड में अंडर ट्रायल अपरधियों की संख्या 12 हजार 759 थी. इनमें 18-30 साल के बीच के युवाओं की संख्या 6 हजार 672 यानी 52.3 प्रतिशत थी. दूसरे नंबर पर 30 से 50 साल के लोग आते हैं. इनकी संख्या 5 हजार 045 यानी 39.5 प्रतिशत रही थी. 50 साल से ऊपर की उम्र के अंडर ट्रायल बंदियों की संख्या 1 हजार 041 यानी 8.2 फीसदी थी. 2019 में झारखंड में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 5871 थी. जिसमें 18-30 साल के 1 हजार 870 कैदी यानी 31.9 प्रतिशत, 30-50 साल के 2 हजार 905 कैदी जबकि 50 साल से उपर के 18.7 प्रतिशत यानि 1 हजार 096 कैदी की संख्या थी.

नया चेहरा बड़े अपराधियों की नजर में रहता हैः बड़े अपराधियों की नजर हमेशा युवाओं पर रहती है. खासकर वैसे युवा जो अपराध की दुनिया में नए आते हैं और वे भी जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड न के बराबर होता है. बड़े अपराधी ऐसे युवाओं की तलाश में रहते हैं. यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से युवा अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- जुर्म के दलदल की ओर युवा, ग्लैमर खींच रहा अपराध की ओर

इसे भी पढ़ें- अपराधियों को रोल मॉडल मान रहे युवा, हथियारों का शौक बना रहा अपराधी

इसे भी पढ़ें- इंस्टेंट अमीर बनने की चाहत में गुमराह हो रहे युवा, खुद का गैंग बना दे रहे आपराधिक वारदात को अंजाम

रांचीः अपराध की दुनिया अपने आप में एक तिलिस्म है, इस तिलिस्म में एक बार जो प्रवेश कर जाता है. उनका इस दलदल से बाहर आना मुश्किल हो जाता है. हैरानी की बात तो यह है कि उच्च डिग्री हासिल करने वाले अपराध करने से नहीं चूकते हैं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड के 32 जेलों में 55 प्रतिशत से ज्यादा युवा अपराधी बंद हैं, जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच है. जो युवा जेलों में बंद हैं, उनमें से अधिकांश ग्रेजुएट, कुछ अंडरग्रेजुएट तो कई इंजीनियर और एमबीए डिग्री होल्डर भी हैं. अंडर ट्रायल कैदियों में सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या है.

अपराध की राह पर डिग्री धारी, कैदियों में पीजी, टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी शामिलः झारखंड की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जिस तरह से युवाओं के कदम डगमगाए हैं, इससे उनका भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. महंगे शौक और जल्द अमीर बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में युवाओं का झुकाव साफ तौर पर नजर आ रहा. एनसीआरबी की ताजा आंकड़े बताते हैं कि राज्य भर के अलग-अलग जेलों में बंद 41 सजायाफ्ता कैदी पीजी डिग्री धारी हैं यानी वे पढ़ने लिखने में तेज थे, जबकि 106 पीजी डिग्री होल्डर कैदी हैं. वहीं 109 कैदी टेक्निकल डिग्री वाले हैं जबकि 201 आर्ट्स, कामर्स और साइंस स्नातक कैदी हैं. वहीं 10वीं से पास होने वाले 1 हजार 465 कैदी है. 2 हजार 815 कैदी नन मैट्रिक और 1 हजार 184 कैदी निरक्षर हैं.

महिला कैदियों की क्या है स्थितिः झारखंड के विभिन्न जेलों में 18 से 30 वर्ष के उम्र के कुल 1 हजार 290 कैदी हैं, जिनमें से 42 महिलाएं हैं. वहीं 30 से लेकर 50 वर्ष की उम्र की कुल 2 हजार 295 कैदी हैं, जिनमें से 105 महिलाएं हैं. झारखंड के विभिन्न जिलों में जो महिलाएं बंद हैं उनमें से अधिकांश नन मैट्रिक हैं. लेकिन कुल 35 महिला बंदी वैसी हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन के साथ-साथ टेक्निकल की डिग्री भी हासिल की है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट- अंडर ट्रायल बंदी ज्यादा पढ़े लिखेः एनसीआरबी के द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि झारखंड के 32 जेलों में कुल 14 हजार 798 अंडर ट्रायल बंदी हैं. बंदियों में झारखंड से बाहर के 925 के साथ साथ दो विदेशी बंदी भी हैं जो अंडर ट्रायल हैं. अंडर ट्रायल बंदियों के शिक्षा की बात करें तो इनमें से 223 टेक्निकल डिग्री और डिप्लोमा धारी हैं. वहीं 190 पोस्ट ग्रेजुएट और 839 ग्रेजुएट हैं.

आर्म्स एक्ट के कारण सबसे ज्यादा जेल गए युवाः नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा जारी रांची सहित राज्यभर के आंकड़ों पर गौर की जाए तो जेलों में बंद अपराधियों में आधे से ज्यादा कैदी युवा हैं. जिनकी उम्र 18 साल से लेकर 30 साल तक की है. इनमें हत्या, लूट, डकैती और बलात्कार जैसे खिलौने कृत्य में भी युवाओं की संख्या बेहद ज्यादा है.

राजधानी रांची में अवैध हथियार रखने के शौक में युवाओं को अपराध की दलदल में फंसा रहा है. पुलिस ने कई ऐसे युवकों को जेल भेजा है, जो वाहन चेकिंग में हथियार के साथ पकड़े गए हैं. उन्होंने हथियार से कोई भी अपराध नहीं किया था लेकिन हथियार के शौक में वे जेल पहुंच गए. केवल रांची में पुलिस ने पिछले तीन साल में 575 लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा, जिनमें ज्यादातर आरोपी अवैध हथियार के साथ पकड़े गए. इनमें 200 से अधिक युवक ऐसे हैं, जो पहली बार जेल गए. इसके अलावा रेप के आरोप में भी 200 से ज्यादा 18 से 35 साल के बीच के व्यक्ति जेलों में बंद हैं, जिनमें से अंडर ट्रायल सबसे ज्यादा हैं.

जेल बन जाता है अपराध की पाठशालाः जानकार बताते है कि छोटे-छोटे अपराध करके जब युवा जेल पहुंचते हैं तब उनकी मुलाकात जेल में बंद शातिर अपराधियों से होती है. बड़ा अपराधी बनने की चाह में युवा शातिर अपराधियों को अपना गुरु मान लेते हैं और अपराध की कई तरह की दांवपेच जेल में ही सीखने लगते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि जब वे बाहर निकलते हैं तब तक वो एक शातिर अपराधी के सारे गुण अपने अंदर आत्मसात कर चुके होते हैं.

2019 में भी सबसे ज्यादा युवा कैदी थेः एनसीआरबी के द्वारा जारी 2019 के आंकड़ों पर गौर करे तो झारखंड में 52.3 प्रतिशत से ज्यादा अंडर ट्रायल अपराधी हैं, जो 18 से 30 साल के हैं. वहीं 39.5 फीसदी 30 से 50 साल की उम्र के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में झारखंड में अंडर ट्रायल अपरधियों की संख्या 12 हजार 759 थी. इनमें 18-30 साल के बीच के युवाओं की संख्या 6 हजार 672 यानी 52.3 प्रतिशत थी. दूसरे नंबर पर 30 से 50 साल के लोग आते हैं. इनकी संख्या 5 हजार 045 यानी 39.5 प्रतिशत रही थी. 50 साल से ऊपर की उम्र के अंडर ट्रायल बंदियों की संख्या 1 हजार 041 यानी 8.2 फीसदी थी. 2019 में झारखंड में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 5871 थी. जिसमें 18-30 साल के 1 हजार 870 कैदी यानी 31.9 प्रतिशत, 30-50 साल के 2 हजार 905 कैदी जबकि 50 साल से उपर के 18.7 प्रतिशत यानि 1 हजार 096 कैदी की संख्या थी.

नया चेहरा बड़े अपराधियों की नजर में रहता हैः बड़े अपराधियों की नजर हमेशा युवाओं पर रहती है. खासकर वैसे युवा जो अपराध की दुनिया में नए आते हैं और वे भी जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड न के बराबर होता है. बड़े अपराधी ऐसे युवाओं की तलाश में रहते हैं. यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से युवा अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं.

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