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जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितताः मामले में ईडी ने दर्ज की FIR

जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में ईडी ने एफआईआर दर्ज की है. जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित तीन अधिकारियों पर अब ईडी में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है.

ED registers FIR in irregularities worth 170 crores in JREDA in ranchi
ईडी ने दर्ज की FIR
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Published : Feb 13, 2021, 11:54 PM IST

रांचीः 170 करोड़ रुपये के हेराफेरी मामले में मामलों में फंसे जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित तीन अधिकारियों पर अब ईडी में भी प्राथमिकी दर्ज हो गई है. इन अधिकारियों पर मनी लाउंड्रिंग एक्ट में प्राथमिकी दर्ज हुई है. ईडी ने यह एफआईआर एसीबी में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया है. जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार बलदेव प्रसाद और इलेक्ट्रॉनिक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर श्रीराम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

इसे भई पढ़ें- रांचीः एएसआई बीएन मंडल का शव कुएं से निकाला गया, 3 दिनों से थे लापता


एसीबी कर रही पहले से मामले की जांच
पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद जेरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता, पद के दुरुपयोग के मामले में एसीबी को जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में निरंजन कुमार समेत तीन अधिकारियों की भूमिका आई थी. जिसके बाद एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग निगरानी विभाग से की थी. विभाग से अनुमति मिलने के बाद तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को दिया काम
एसीबी की पीई जांच में यह बात सामने आई थी कि अधिकारियों ने शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को काम दिया था. कंपनी के द्वारा एक ऐसी कंपनी को काम दिया गया था जो मैन्यूफैक्चरिंग का काम नहीं करती थी, लेकिन उसे मैन्यूफैक्चरिंग का काम दिया गया. एसीबी ने जब मामले की तहकीकात की थी तब पता चला था कि कंपनी के द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग नहीं किया जाता था, इस बात की पुष्टि कंपनी के सलाना रिटर्न की जांच से भी हुई. टेंडर देने में एसीबी ने श्रीराम सिंह की भूमिका गलत पाई गई थी.

कंपनी के साइलेंट पार्टनर बन कर काम करते थे अफसर
जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि जरेडा और उर्जा निगम में कई अधिकारियों ने अपने ही लोगों के नाम से कंपनी खोल रही थी, इन कंपनियों को ही काम भी आवंटित किया जाता था. कई कंपनियों में अधिकारियों के साइलेंट पार्टनर होने की बात भी सामने आई थी. जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी की जांच का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. पीई दर्ज कर एसीबी ने मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद निरंजन कुमार समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका गलत पाई गई थी.

कैसी-कैसी अनियमितता आई थी सामने
इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनांस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने एवं सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने, विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति की जानकारी नहीं देने का आरोप लगा था.

कौन हैं निरंजन कुमार
निरंजन कुमार इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को एक दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था, तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाये गए थे. निरंजन कुमार पर अपने पुराने परिचयों का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल और जरेडा का निदेशक बनने, उस पद हेतु कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं करने, 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार अथवा डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी. लेकिन तब सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

रांचीः 170 करोड़ रुपये के हेराफेरी मामले में मामलों में फंसे जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित तीन अधिकारियों पर अब ईडी में भी प्राथमिकी दर्ज हो गई है. इन अधिकारियों पर मनी लाउंड्रिंग एक्ट में प्राथमिकी दर्ज हुई है. ईडी ने यह एफआईआर एसीबी में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया है. जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार बलदेव प्रसाद और इलेक्ट्रॉनिक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर श्रीराम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

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एसीबी कर रही पहले से मामले की जांच
पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद जेरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता, पद के दुरुपयोग के मामले में एसीबी को जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में निरंजन कुमार समेत तीन अधिकारियों की भूमिका आई थी. जिसके बाद एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग निगरानी विभाग से की थी. विभाग से अनुमति मिलने के बाद तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को दिया काम
एसीबी की पीई जांच में यह बात सामने आई थी कि अधिकारियों ने शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को काम दिया था. कंपनी के द्वारा एक ऐसी कंपनी को काम दिया गया था जो मैन्यूफैक्चरिंग का काम नहीं करती थी, लेकिन उसे मैन्यूफैक्चरिंग का काम दिया गया. एसीबी ने जब मामले की तहकीकात की थी तब पता चला था कि कंपनी के द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग नहीं किया जाता था, इस बात की पुष्टि कंपनी के सलाना रिटर्न की जांच से भी हुई. टेंडर देने में एसीबी ने श्रीराम सिंह की भूमिका गलत पाई गई थी.

कंपनी के साइलेंट पार्टनर बन कर काम करते थे अफसर
जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि जरेडा और उर्जा निगम में कई अधिकारियों ने अपने ही लोगों के नाम से कंपनी खोल रही थी, इन कंपनियों को ही काम भी आवंटित किया जाता था. कई कंपनियों में अधिकारियों के साइलेंट पार्टनर होने की बात भी सामने आई थी. जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी की जांच का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. पीई दर्ज कर एसीबी ने मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद निरंजन कुमार समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका गलत पाई गई थी.

कैसी-कैसी अनियमितता आई थी सामने
इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनांस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने एवं सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने, विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति की जानकारी नहीं देने का आरोप लगा था.

कौन हैं निरंजन कुमार
निरंजन कुमार इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को एक दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था, तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाये गए थे. निरंजन कुमार पर अपने पुराने परिचयों का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल और जरेडा का निदेशक बनने, उस पद हेतु कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं करने, 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार अथवा डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी. लेकिन तब सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

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