रांची: झारखंड में राजनीतिक उठापटक के बीच प्रवर्तन निदेशालय की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. मनरेगा, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन के बाद जमीन घोटाले में भी पूछताछ की कवायद शुरू हो गई है. इस बीच ईडी ने झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Jharkhand Pollution Control Board) के सदस्य सचिव यतिंद्र कुमार दास को अवैध पत्थर खनन मामले में नोटिस भेजा है. (ED notice to Yatindra Kumar Das)
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यतिंद्र कुमार दास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले ऐसे पदाधिकारी हैं जिन्हें समन किया गया है. माना जा रहा है कि उनसे साहिबगंज के 69 स्टोन क्रशर के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण के बाबत एक्शन नहीं लिये जाने से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक बोर्ड की तरफ से संबंधित क्रशर यूनिट से सीटीओ यानी कंसेंट टू ऑपरेट वापस ले लिया गया था. लेकिन बाद में 23 स्टोन क्रशर के नाम सीटीओ जारी कर दिया गया था.
आपको बता दें कि साहिबगंज में हुए अवैध खनन को लेकर पिछले दिनों ईडी की ओर से छापेमारी की गई थी. इस मामले में सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा न्यायिक हिरासत में हैं. दूसरी तरफ ईडी की कार्रवाई से झारखंड की राजनीति गरमाई हुई है. सत्ताधारी दल बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र के इशारे पर एक साजिश के तहत कार्रवाई की जा रही है ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके. इस बीच सोमवार यानी 7 नवंबर को सीएम से जुड़े पीआईएल की वैद्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सत्ताधारी दल और हमलावर हो गये हैं. इनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट से फैसले से साबित हो गया है कि एक साजिश के तहत पीआईएल दायर कराकर सीएम को फंसाने की कोशिश की जा रही थी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि सीएम के खिलाफ पीआईएल सुनवाई योग्य नहीं है. इस पर झारखंड के महाधिवक्ता ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया है, जिसमें पीआईएल को सुनवाई योग्य बताया गया था.