रांची: ग्रामीण विकास विभाग के धनकुबेर इंजीनियर वीरेंद्र राम के भाई आलोक रंजन को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. आलोक रंजन की गिरफ्तारी रांची से की गई है. आलोक रंजन वीरेंद्र राम के द्वारा की गई काली कमाई का निवेश किया करता था.
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रिमांड पर लेगी ईडी: ईडी की टीम अब आलोक रंजन से वीरेंद्र राम के द्वारा की गई अकूत संपत्ति कहां-कहां निवेश किया गया है इसकी जानकारी जुटाएगी. आलोक रंजन को रिमांड पर लेने के लिए ईडी ने अदालत से आग्रह किया है.
2019 में मिले थे करोड़ों रुपये: दरअसल 13 नवंबर 2019 को एंटी करप्शन ब्यूरो ने वीरेंद्र राम के अधीन काम करने वाले जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद शर्मा को एक ठेकेदार की शिकायत पर रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. सुरेश के मकान में ही विरेंद्र ने एक कमरा किराए पर ले रखा था कमरे में आलोक रंजन रहा करता था, टीम जब सुरेश वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की थी तब आलोक के कमरे से ढाई करोड़ नगद बरामद हुए थे. इसी मामले के बाद वीरेंद्र राम और आलोक रंजन दोनों ही ईडी के रडार पर आए थे.
ईडी जब्त करेगी संपत्ति: झारखंड सरकार के धनकुबेर पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की संपत्ति को ईडी जब्त करने वाली है. ईडी ने वीरेंद्र कुमार राम के पिता गेंदा राम के नाम पर खरीदी गई छतरपुर के फार्म हाउस, दिल्ली के पॉश डिफेंस कॉलोनी में खरीदे गए मकान को जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है, अगले दो से तीन दिनों में एजेंसी दिल्ली समेत अन्य शहरों में वीरेंद्र राम की बनाई अचल संपत्ति को पीएलएमए प्रावधानों के तहत जब्त कर लेगी.
18 करोड़ कैश देकर खरीदी गई थी छतरपुर की प्रॉपर्टी: ईडी के पूछताछ में वीरेंद्र राम ने अपनी कई संपत्तियों के बारे में खुलासा किया था अब उन संपत्तियों को एडिट करेगी. ईडी की पूछताछ में वीरेंद्र राम ने स्वीकार किया था कि छतरपुर की प्रापर्टी उन्होंने 18 करोड़ कैश देकर खरीदी थी, अब इस प्रापर्टी का बाजार मूल्य 30 करोड़ के करीब है. इस मामले में ईडी ने प्रॉपर्टी के मालिक का बयान भी दर्ज किया है. इस प्रॉपर्टी की खरीद वीरेंद्र राम ने अपने पिता गेंदा राम के नाम पर की थी, जबकि गेंदा राम सेवानिवृत शिक्षक रहे हैं. ईडी ने छतरपुर के अलावा वीरेंद्र नाम पर कई अन्य संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी की है.
22 फरवरी को हुई थी वीरेंद्र की गिरफ्तारी: 22 फरवरी को ईडी ने झारखंड में सरकारी ठेकों में कमीशन के जरिए उगाही के मामले में वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था. तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं. अब तक के अनुसंधान में ईडी ने कई कंपनियों में इंवेस्टमेंट, ठेकों में कमीशनखोरी, वरीय अफसरों व नेताओं के सांठगांठ के जरिए 250 करोड़ से अधिक के कमाई के साक्ष्य जुटाए हैं.